27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

आपकी बात, ध्रुवीकरण की राजनीति का देश पर क्या असर पड़ता है?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

2 min read
Google source verification

image

Patrika Desk

Jul 12, 2022

आपकी बात, ध्रुवीकरण की राजनीति का देश पर क्या असर पड़ता है?

आपकी बात, ध्रुवीकरण की राजनीति का देश पर क्या असर पड़ता है?

चिंता की बात
ध्रुवीकरण की राजनीति आज जोरों पर है। देश की जनता में नफरत कूट-कूट कर भरी जा रही है। जिस देश में कई धर्म, जाति और समुदाय के लोग निवास करते हों, वहां थोड़ा बहुत मन मुटाव होना साधारण सी बात है, लेकिन इतनी नफरत घोलना देश के लिए अच्छा नहीं है। वोट पाने और प्रमुख मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए लोगों में फूट डाली जा रही है। गंगा में बहती हुई लाशें व मोक्ष धाम को ढकने के लिए बनाई गई दीवारें जैसी सुर्खियां बहुत पुरानी नहीं हैं। अब रेकॉर्ड तोड़ती महंगाई और बेरोजगारी से जनता परेशान है। इस सभी को जनता के जहन से निकलने के लिए आज मंदिर मस्जिद को मुद्दा बनाया जा रहा है। यह वाकई चिंता की बात।
-नटेश्वर कमलेश, चांदामेटा, मध्यप्रदेश
..............

भावनाओं को भड़काया जाता है
ध्रुवीकरण की राजनीति में किसी खास राजनीतिक उद्देश्य के लिए किसी खास वर्ग समुदाय की भावनाओं को भड़काया जाता है। इससे जनता भावना में बहकर अयोग्य व्यक्ति का चुनाव कर लेती है। ऐसे जनप्रतिनिधि सही नीतियां नहीं बना पाते। इसका दुष्परिणाम आम जनता को भुगतना पड़ता है। ध्रुवीकरण की राजनीति जनता की सोच पर गहरा प्रभाव डालती है।
-नूरजहां डायर, भीलवाड़ा
.................

सामाजिक सौहार्द को खतरा
ध्रुवीकरण की राजनीति का देश की सामाजिक समरसता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। वर्तमान में हम यह देख रहे हैं। ध्रुवीकरण चाहे धार्मिक हो, साम्प्रदायिक, भाषाई या क्षेत्रीय, सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ कर कट्टरपंथी एवं विघटनकारी ताकतों को ही खाद-पानी देता है। यह देशहित में नहीं है।
-आर. के, यादव, नीमराना अलवर
.......................

अयोग्य का चयन
ध्रुवीकरण का आधार धर्म, संप्रदाय, जाति, भाषा और क्षेत्रीय अस्मिता, हो सकते हैं। उदाहरण के लिए दक्षिण भारत के कई राजनीतिक दल हिंदी विरोध कर भाषा के आधार पर ध्रुवीकरण कर सत्ता में आ चुके हैं। ध्रुवीकरण से प्रभावित होकर जनता सुपात्र के बदले अयोग्य उम्मीदवार को चुनती है। इसका दुष्परिणाम जनता को भुगतना पड़ता है।
-उपेंद्र मिश्रा, जयपुर
.................

खतरे में लोकतंत्र
देश में जब ध्रुवीकरण की राजनीति जोर पकड़ती है, तो देश में लोकतंत्र खतरे में आना स्वाभाविक है। धर्मों को माध्यम बनाकर ध्रुवीकरण की राजनीति का माहौल बनाया जाता है। इससे समाज में द्वेष की भावना बढ़ती है। समय रहते कानून बनाकर ध्रुवीकरण की राजनीति पर लगाम लगाई जाए।
-सी. आर. प्रजापति, जोधपुर
.................

घातक है ध्रुवीकरण
ध्रुवीकरण सार्वजनिक असंतोष को भी बढ़ावा देता है। यह असहिष्णुता और भेदभाव को बढ़ावा देता है, जो देश में होने वाले सांप्रदायिक हिंसा का एक कारण है। ध्रुवीकृत राजनीति से मस्तिष्क में द्वेष की भावना उपज होती है, जो देश के विकास में बाधा उत्पन्न करती है। गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसी राष्ट्रीय मुद्दे गौण हो जाते हैं।
-विभा गुप्ता, मैंगलोर
..........

अराजकता का माहौल
ध्रुवीकरण के कारण देश में अराजकता का वातावरण पैदा होता है। ध्रुवीकरण का दुष्परिणाम जनता को ही भुगतना होता है। इस तरह की राजनीति के कारण धार्मिक और जातीय झगड़े पनपते है। लोकतंत्र पर नकारात्मक असर पड़ता है। राष्ट्रीय मुद्दे गौण हो जाते हैं। नेता लोगों के दिमाग में जातीय और धर्म से जुड़ी दुर्भावनाएं डालकर अपनी कमियां छिपा लेते हैं। यह राष्ट्रीय एकता के लिए घातक है। इससे लोकतंत्र की जड़ें कमजोर होती हैं। योग्य व्यक्ति सदन तक नहीं पहुंच पाता है। देश विकास नहीं विनाश की ओर अग्रसर होता है।
-खुशवन्त कुमार हिण्डोनिया, चित्तौडग़ढ़
.............

बढ़ता है वैमनस्य
धुव्रीकरण की राजनीति के कारण सम्प्रदाय व जातिवाद तेजी से फैलता है। सभी वर्गों तक सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पाता। सम्प्रदायो में आपसी वैमनस्य बढ़ जाता है और देश का विकास नहीं हो पाता।
-वीरभान गुर्जर, अजमेर