
कर्नाटक : चामराजपेट मैदान विवाद को सुलझाने शांति बैठक आज
संयुक्त राष्ट्र को मजबूत बनाया जाए
संयुक्त राष्ट्र को मजबूत करते हुए उसके निष्पक्ष फैसलों को मानना होगा। सभी देशों को विकास के पथ पर आगे बढऩे के समान अवसरों का निर्माण करना और उन्हें बढ़ावा देना होगा। सभी की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी होनी चाहिए। सभी देशों को एक-दूसरे के अस्तित्व, स्वाभिमान ,अखंडता और प्रभुसत्ता का सम्मान करना होगा। एक-दूसरे के आंतरिक विषयों में हस्तक्षेप नहीं करने के साथ समानता और परस्पर लाभ की नीति का पालन करना होगा।
विजय नेहरा, खाजूवाला (बीकानेर), राजस्थान
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नैतिक शिक्षा से शांति
विश्व शांति के लिए सभी देशों को नैतिक शिक्षा, नैतिक प्राकृतिक कृषि की ओर बढऩा होगा। बढ़ते अपराध और लगातार टूटते हुए परिवार को कम करने के लिए परिवार और विद्यालय में नैतिक शिक्षा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। विश्व में शांति तब होगी, जब शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी और पैसा कमाना नहीं होगा बल्कि शिक्षा का उद्देश्य व्यक्तित्व निर्माण और सहअस्तित्व की भावना का विकास होगा।
- उमराव सिंह, बेमेतरा, छत्तीसगढ़
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अहिंसा परमो धर्म
जैसे व्यवहार की हम दूसरों से अपेक्षा करते हैं, वैसा ही व्यवहार हमें दूसरों से भी करना चाहिए। सभी जीवों में एक ही आत्मा है। विश्व शांति की स्थापना के लिए अहिंसा परमो धर्म के साथ-साथ अहस्तक्षेप की नीति का भी अनुसरण करना होगा। यदि सभी सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक आचरण अपनाएं तो बहुत से विवादों का समाधान हो सकता है। बौद्ध धर्म, जैन धर्म या हिंदू धर्म सभी में अहिंसा अस्तेय, अपरिग्रह को स्थान दिया गया है। वर्तमान में जिस प्रकार से विश्व के कई देश एक-दूसरे को खत्म करने पर तुले हैं, उन्हें भारतीय दर्शन से सीख लेने की आवश्यकता है। यदि सभी देश शांतिपूर्ण, सौहार्दपूर्ण और सह अस्तित्व की भावना के साथ एक-दूसरे की एकता, संप्रभुता, अखंडता का सम्मान करें तो विश्व शांति कायम रह सकती है।
एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
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हस्तक्षेप बंद होगा तभी शांति संभव
संघर्ष, आतंक और अशांति के इस दौर में शांति तभी बनेगी, जब एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र के निर्णयों में हस्तक्षेप ना करें, क्योंकि वह उसका स्वतंत्र प्रभाव है। यदि दो देशों के हित टकराते हैं तो उन्हें संघर्ष के बजाए आपसी बातचीत से उसका हल निकालना चाहिए। सभी देश राष्ट्रहित का ध्यान रखें, तभी विश्व शांति कायम हो सकेगी। साथ ही, पड़ोसी देशों में आतंकवाद को बढ़ावा नहीं दिलवाना चाहिए जबकि इसमें अन्य देशों का साथ लेकर आतंकवाद का सफाया करना चाहिए।
- मनोज दायमा, उदयपुरवाटी (झुंझुनूं), राजस्थान
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वसुधैव कुटुम्बकम् में समाधान
साम्राज्य का विस्तार करने के लिए विश्व में युद्ध जैसे कृत्य हो रहे हैं, उन्हें किसी भी हालात में सही नहीं ठहराया जा सकता है। आज रूस और यूक्रेन का युद्ध इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। साम्राज्य विस्तार की महत्वकांक्षा ने पूरी मानव जाति को हिलाकर रख दिया है। अत: यदि विश्व में अमन-चैन कायम रखना तो हमें साम्राज्यवादी नीति को छोड़कर आपसी सौहार्द बनाए रखना होगा और वसुधैव कुटुम्बकम् नीति का पालन करना होगा तभी पूरे विश्व में शांति स्थापित हो सकती है।
- कैलाश चन्द्र मोदी, सादुलपुर (चूरू), राजस्थान
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कूटनीति से हल संभव
आज विश्व में अशांति का वातावरण बना हुआ है। भारत हमेशा से ही कूटनीतिक तरीके से वार्तालाप करने की सलाह देता आ रहा है। आज रूस-यूक्रेन जंग के बीच भारत भी महाशक्तियों का केंद्र है। वहीं, इसी प्रकार सभी देशों को साथ मिलकर कूटनीति तरीके व बातचीत करके विश्व में शांति का माहौल उत्पन्न करने की सलाह देता है।
- नीतेश
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भाईचारे की भावना जरूरी
विश्व शांति बनाए रखने के लिए आपसी भेदभाव को समाप्त कर परस्पर सहयोग एवं भाईचारे की भावना बनाए रखने की जरूरत है।
प्रकाश कुमार खोवाल, फलासिया (चित्तौडग़ढ़), राजस्थान
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महावीर के सिद्धांतों से शांति संभव
भगवान महावीर स्वामी का उपदेश था, 'जीयो और जीने दोÓ। आज के इस तनावपूर्ण माहौल में उनके उपदेश और भी ज्यादा प्रासंगिक है। राजनीतिक रूप से भी देखें तो सत्ता का बहुत ज्यादा केंद्रीयकरण है और ठीक उसी प्रकार आर्थिक सत्ता का भी। सरकार सिर्फ खैरात बांटने में लगी हुई हैं। गरीबों को राशन, चिकित्सा, शिक्षा बिजली पानी आदि सबकुछ मुफ्त में दिया जा रहा है ताकि वे कहीं कोई सवाल ना करें। न बेरोजगारी पर न महंगाई पर न कानून व्यवस्था पर। शुरू-शुरू में तो जनता को भी यह सब अच्छा लगता है। लेकिन उनकी आंखें तब खुलती हैं, जब उनके सारे अधिकार शासन की जंजीरों में कैद हो जाते हैं। फिर कानून का शासन नहीं रह जाता है बल्कि शासन का कानून चलता है। कहीं भारत भी उसी दिशा में तो नहीं बढ़ चला है? यह प्रश्न विचारणीय है।
नवीन थिरानी, नोहर, राजस्थान
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संयम बरतने की जरूरत
विश्व शांति का प्रमुख जिम्मा शक्तिशाली राष्ट्रों पर ज्यादा है क्योंकि संपन्न राष्ट्र ही छोटे व कमजोर देशों पर प्रभुत्व हासिल करना चाहते हंै। दूसरे देशों की क्षेत्रीय अखंडता व संप्रभुता का सम्मान करना, उनके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना, परस्पर लाभ व सम्मान का सम्बन्ध स्थापित करना, ये ही सारे प्रयास विश्व शांति के लिए अपनाए जा सकते हैं। साथ ही, विवादों का शांतिपूर्ण ढंग से निपटारा करना, कमजोर देशों पर आक्रमण न करना और समस्याओं के समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग लेना भी विश्व शांति के लिए जरूरी है।
- मधुरा व्यास, उदयपुर, राजस्थान
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अहिंसा को अपनाना होगा
विश्व शांति तभी संभव है, जब सारे देश अहिंसा के महत्त्व को समझने का प्रयास करेंगे। अति महत्वाकांक्षी होना उचित नहीं है। बेवजह दूसरे देशों पर हमला करना, आतंकवाद को बढ़ावा देना, दूसरे देशों की सीमा पर अतिक्रमण कर युद्घ करना अच्छी बात नहीं है। सामुहिक प्रयास से ही विश्व शांति सम्भव है।
- लता अग्रवाल, चित्तौडग़ढ़, राजस्थान
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विस्तारवादी नीतियों को छोड़ें
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना विश्व शांति के लिए हुई थी लेकिन वह महाशक्तियों के आगे असहाय और पंगु बन बैठा है। ऐसे में, वीटो पावर पर पुनर्विचार होना चाहिए। संपन्न देश अपने हथियार बेचने की प्रतिस्पर्धा व विस्तारवादी नीतियों को अपनाए हुए हैं। ऐसे में जरूरी है कि विश्व के देश कट्टरपंथ छोड़कर एक-दूसरे का सम्मान व मदद करें।
प्रहलाद यादव, कोदरिया(महू), मध्यप्रदेश
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पंचशील सिद्धांत आज भी प्रासंगिक
विश्व शांति के लिए आज के हालात को देखते हुए भगवान महावीर का अहिंसा का सिद्धांत कारगर साबित हो सकेगा। वहीं, वैश्विक साहचर्य और सद्भाव के लिए पंचशील सिद्धान्त आज भी प्रासंगिक हैं। हथियारों की होड़ से बचना, क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता का सम्मान, शांतिपूर्ण सह अस्तित्व ,सभी देशों के बीच समानता का व्यवहार वैश्विक शांति के लिए मददगार बन सकेगा।
- शिवजीलाल मीना, जयपुर, राजस्थान
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अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं मजबूत बनें
विश्व में शांति के लिए हमें भुखमरी, गरीबी, शिक्षा का अभाव जैसी आधारभूत समस्याओं के समाधान पर विचार करना होगा क्योंकि आंतरिक शांति से ही बाह्य शांति संभव है। विश्व शांति के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठन और संस्थाएं मिलकर एकीकृत कार्यक्रम शुरू करें।
मोहित सोलंकी, जोधपुर, राजस्थान
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निष्पक्ष होना चाहिए
विश्व शांति के लिए सभी देशों को मिलकर उन्मादी, आतंकवादी और विस्तारवादी शक्तियों पर अंकुश लगाना चाहिए एवं संयुक्त राष्ट्र को किसी देश का गुलाम बनने के बजाय निष्पक्ष होकर कार्य करना चाहिए तभी जाकर पूरा विश्व शांति के सूत्र में बंध पाएगा
- शुभम वैष्णव ,सवाई माधोपुर ,राजस्थान
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पंचशील सिद्धांत से स्थाई शांति
विश्व शांति प्राप्त करने के लिए भारत की ओर से वर्षों पूर्व प्रतिपादित 'पंचशील सिद्धांतÓ का संपूर्ण विश्व में प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। पंचशील सिद्धांत की प्रमुख बातें अनाक्रमण, अहस्तक्षेप, एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान, परस्पर सहयोग एवं व्यापार आदि आज भी प्रासंगिक हैं। वैश्विक संस्था संयुक्त राष्ट्र में व्यापक सुधारों की आवश्यकता है, इसकी सुरक्षा परिषद में भारत जैसे विकासशील देशों को स्थाई सदस्य बनाकर महाशक्तियों में शक्ति संतुलन स्थापित किया जा सकता है, जिससे रूस तथा अमेरिका जैसे बड़े देशों की मनमानी पर रोक लगाई जा सकेगी। संयुक्त राष्ट्र को सही मायनों में एक शक्तिशाली नियंत्रक संस्था के रूप में स्थापित करना आज के विश्व की महती आवश्यकता है।
- रवि शर्मा
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बुनियादी लक्ष्य को नहीं भूलना चाहिए
विश्व शान्ति के लिए भाईचारे की भावना सबसे जरूरी है। परस्पर दु:ख-सुख की भावना और कल्याण स्थापना की भावना विश्व शान्ति के लिए ठोस कदम होगा। शांति और सद्भाव किसी भी देश का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। देश के लोग सिर्फ सुरक्षित महसूस कर सकते हैं और केवल वही जो समृद्ध होते हैं, जब सामाजिक माहौल शांतिपूर्वक बनाए रखता हैं। हमें इस बुनियादी लक्ष्य को नहीं भूलना चाहिए। आज धरती पर मानव सहित सभी प्राणियों को परमाणु हथियारों से सबसे ज्यादा खतरा है। परमाणु शक्ति समृद्ध देशों के सभी नेताओं-जिनके हाथ में वास्तव में दुनिया का भविष्य है, वैज्ञानिकों एवं तकनीशियनों, जो आश्चर्यजनक विध्वंसक अस्त्रों को बनाना जारी रखे हुए हैं और सामान्य रूप से सभी लोगों जो अपने नेताओं पर दबाव डालने की स्थिति में हैं, से अपील की जानी चाहिए कि वे बुद्धिमत्ता से काम लें और सभी परमाणु हथियारों को नष्ट कर दें। हमें अपने पुरातन काल के ऋषियों और मुनियों के अलौकिक और दिव्य जीवन संदेश को समझना होगा। उनका हमें अनुसरण करना होगा।
- प्रदीप सिंह अड़सेला, कोटा, राजस्थान
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Published on:
14 Apr 2022 05:42 pm
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