स्वतंत्रता के समय पाकिस्तान ने अपने को इस्लामिक राष्ट्र घोषित किया, वहीं भारत ने अपने को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया। वर्तमान में दोनों राष्ट्रों के तुलनात्मक विश्लेषण से स्पष्ट सिद्ध हो रहा है कि धर्म पर आधारित राष्ट्र की अपेक्षा धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र ही अति उत्तम विकल्प है। धर्मनिरपेक्षता में किसी एक धर्म की कट्टरता का भय नहीं होता।
-राजेश गोस्वामी, हनुमानगढ़
……………………
धर्मनिरपेक्षता पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण करते हुए धर्म को राज्य से अलग करती है। वहां धर्म तंत्र का उदय राजतंत्र पर चर्च के वर्चस्व को खत्म करने के लिए हुआ था, जो कि एक नकारात्मक अभिव्यक्ति है। भारतीय धर्म एक सकारात्मक विचार है। इसी पर हमारा स्वस्थ लोकतंत्र टिका हुआ है। हमारे संविधान ने सभी धर्मों को समान आदर दिया है। हां, धर्म का विकृत रूप सांप्रदायिकता एक अफीम की तरह जरूर है, जो देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा है।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
…………………..
कोई राष्ट्र यदि धर्म के आधार पर बना है या केवल एक धर्म को मानने वाला है, तो दूसरे धर्म को मानने वाली जनता पर अत्याचार ज्यादा होते हैं। उन पर कई प्रकार के अत्याचार कर धर्म परिवर्तन करवाने का कार्य करने लगता है। इसके चलते अराजकता का जन्म होता है। किसी राष्ट्र की प्रगति के लिए उसका धर्मनिरपेक्ष होना बहुत जरूरी है ।
-गिरधारी लाल कुड़ी, श्रीमाधोपुर, सीकर
………………………………
धर्म आधारित जो देश होता है, उसका शीघ्र ही पतन हो जाता है। भारत में सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखा जाता है। हर धर्म का सम्मान होता है। फिर भी कई लोग उन्माद फैलाते हैं, जो कतई ठीक नहीं है। भारत का धर्मनिरपेक्ष स्वरूप ही श्रेष्ठ है।
-अरुण भट्ट, रावतभाटा
…………………………..
धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में सभी धर्मों को समान रूप से आदर और सम्मान मिलता है। ऐसे राष्ट्र में आपसी भेदभाव न होने और सबको साथ लेकर चलने की परंपरा होने से विकास तेज होता है। दूसरी ओर धर्म आधारित राष्ट्रों मे धर्म विशेष के लोगों को ही प्राथमिकता मिलती है। अन्य समुदाय के लोगों की उपेक्षा होती है। धार्मिक कट्टरता के चलते आपसी टकराव और वैमनस्यता की स्थितियां अक्सर बनती रहती हंै। धार्मिक कट्टरपंथ के चलते ही इन राष्ट्रों में आतंकवाद को बढ़ावा मिलता है।
-नरेश कानूनगो, बैंगलूरू
……………………….
-डॉ.वेदवती मण्डावी, भिलाई, दुर्ग, छत्तीसगढ़
……………………….
धर्म आधारित राष्ट्र और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में से निश्चित रूप से धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र ही श्रेष्ठ होता है, क्योंकि यह इसमें सभी लोगों को अपने-अपने धर्म की पालना की छूट होती है। सभी धर्म के लोग एक दूसरे के धर्मों का आदर करते हैं। दूसरी ओर धर्म आधारित राष्ट्र में किसी एक धर्म को ही महत्त्व दिया जाता है। ऐसे राष्ट्रों में कट्टरपंथियों का बोलबाला होता है। अत: धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र ही श्रेष्ठ होता है ।
-विमल कुमार शर्मा, मानसरोवर, जयपुर
………………………..
धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में विकास की संभावनाएं सर्वाधिक रहती हैं। लड़ाई झगड़े धर्म आधारित राष्ट्र के भीतर ज्यादा होते हैं। धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में कानून व्यवस्था बनाए रखने वाले सक्रिय रहें तो किसी भी धर्म की कट्टरता को खत्म भी किया जा सकता है।
-मुकेश भटनागर, वैशाली नगर, भिलाई
…………………..
भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है। धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र ही बेहतर है। धर्मनिरपेक्षता ही भारत की पहचान है। राज्य की दृष्टि में सभी धर्म समान हंै। यहां किसी धर्म को कोई विशेषाधिकार नहीं मिला है, संविधान के अनुसार सभी को धार्मिक स्वतंत्रता है। इसीलिए विश्व में भारत की पहचान धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में होती है और यह पहचान और पुख्ता होनी चाहिए ।
-सतीश उपाध्याय, मनेंद्रगढ़ कोरिया, छत्तीसगढ़
…………………………
आज के परिप्रेक्ष्य में धर्म निरपेक्ष राष्ट्र को ही श्रेष्ठ राष्ट्र की संज्ञा दी जा सकती है। धर्म आधारित राष्ट्र कभी दूसरे धर्म का सम्मान नहीं करता है और केवल अपने धर्म को बढ़ावा देता है। सही मायने में धर्म आधारित राष्ट्र में सच्चे लोकतंत्र की कल्पना करना भी मुश्किल हो जाता है।
-श्रीकृष्ण पचौरी ग्वालियर मध्यप्रदेश
…………………….
सर्वे भवन्तु सुखिनः: सर्वे सन्तु निरामयाः, जैसे विचार ही एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की सच्ची परिभाषा है। विभिन्न धर्म के अनुयायियों को एक ध्वज तले एक करना ही राष्ट्र धर्म है।
अंकित व्यास, भीलवाड़ा
………………………… धर्मनिरपेक्षता को महत्ता
धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र ही श्रेष्ठ है, जो सभी धर्म के लोगों को स्वतंत्रता देता है। हमारी संवैधानिक व्यवस्था में भी किसी धर्म विशेष को मानने की बाध्यता नहीं है, बल्कि सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखने की बात कही गई है। धर्मनिरपेक्षता देश में साम्प्रदायिक सौहार्द, सद्भाव, प्रेम, एकता- अखंडता बनाए रखने में मददगार बनी है।
शिवजी लाल मीना, जयपुर
……………………
धर्मनिरपेक्षता राष्ट्र में सभी धर्मों का समान रूप से आदर होता है। सभी लोग एक दूसरे की धार्मिक भावनाओं का आदर करते हैं और मिलजुल कर रहते हैं। वर्तमान स्थितियों को देखते हुए आवश्यक भी है कि राष्ट्र धर्मनिरपेक्ष हो, जिससे शांति बनी रहे।
-बिहारी लाल बालान, लक्ष्मणगढ़, सीकर
………………….
धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की परिकल्पना धर्म आधारित राष्ट्र से बेहतर है। सभी नागरिकों को एक समान अधिकार प्राप्त होता है। सामाजिक समरसता व सौहार्दपूर्ण माहौल को महत्व दिया जाता है। सभी धर्मों के त्योहारों को एक समान रूप से देखा जाता है। मानवता को बचाना ही प्रथम लक्ष्य होता है।
-अनुपम कुमार, सीकर