बुडापेस्ट में हुए ग्रैंडमास्टर टूर्नामेंट में अभिमन्यु ने भारतीय ग्रैंडमास्टर लियॉन मेनडोंका को हराकर यह खिताब अपने नाम किया। अभिमन्यु जब ढाई साल के थे तो उनके पिता हेमंत मिश्रा ने उनको शतरंज खेलना सिखाना शुरू किया था। अभिमन्यु के पिता अमरीका के न्यू जर्सी में डेटा मैनेजमेंट से जुड़े हैं। जब अभिमन्यु पांच वर्ष का हुआ तो वह अपने पिता को भी शतरंज में हराने लगा। इसके बाद वह स्थानीय टूर्नामेंट्स में हिस्सा लेने लगा। उन स्थानीय टूर्नामेंट्स में अभिमन्यु अपने पिता की उम्र के खिलाड़ियों को हरा देते थे।
अभिमन्यु के कोच अरुण प्रसाद ने एक मीडिया हाउस को बातचीत में बताया कि जब अभिमन्यु 9 साल केे थे तो उन्होंने 70 वर्षीय खिलाड़ी के खिलाफ मैच खेला। इसमें अभिमन्यु ने कुछ ही देर में उस खिलाड़ी को हरा दिया। कोच का कहना है कि तब उन्हें लगा कि वह इतिहास बनते देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि तब अहसास हुआ कि अभिमन्यु सामान्य नहीं है। वह जो कुछ भी देखता है उसे याद करता है। अभिमन्यु की मेमोरी इतनी तेज है कि उन्हें वर्ष 2014 और 2015 के खेलों के मूव्स तक याद हैं।
वहीं अभिमन्यु ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा कि ग्रैंडमास्टर टूर्नामेंट में लियॉन के खिलाफ मुकाबला मुश्किल था, लेकिन आखिर में उनकी गलती का फायदा मिला। अभिमन्यु का कहना है कि सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बनने पर उन्हें बहुत खुशी हो रही है। इससे पहले वह अमरीका में सबसे कम उम्र के राष्ट्रीय चैंपियन भी बने थे। उस वक्त अभिमन्यु 9 वर्ष के थे। इसके बाद अभिमन्यु (10 साल, 9 माह, तीन दिन) दुनिया के सबसे युवा अंतरराष्ट्रीय मास्टर बने। नवंबर 2019 में उन्होंने भारत के आर प्रागनंदा (10 साल, 9 महीने, 20 दिन) का रिकॉर्ड तोड़ा था।