28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बचपन में पिता से मिली बंदूक को ही बना लिया अपना करियर, आज हैं टॉप लेवल के शूटर

भारतीय शूटर गगन नारंग बचपन में पिता से मिले एक उपहार में ही अपना करियर बना लिया।

4 min read
Google source verification
gagan narang

नई दिल्ली। बच्चों को जितना प्यार खिलौनों से होता है, शायद उतना किसी और चीज ने नहीं होता। माता-पिता भी हर खास मौकों पर अपने बच्चों के लिए ऐसे खिलौने लाते रहते है, जिसे देखकर बच्चों का मन खुश हो जाता है। आमतौर पर खिलौनों में लड़कों को सबसे ज्यादा प्यारा बंदूक लगता है जबकि लड़कियों को गुड़िया। इसे हासिल करते ही बच्चे खेलने में मग्न हो जाते है। लेकिन ऐसा विरले होता है कि बचपन में मिले बंदूक से खेलते-खेलते कोई इंसान दुनिया का बड़ा निशानेबाज बन जाए। लेकिन हम आपको यहां एक ऐसे ही निशानेबाज से मिला रहे है, जिसने बचपन में पिता से मिले बंदूक को ही अपना करियर बना लिया। आज उनकी गिनती न केवल भारत के बल्कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शूटरों में होती हैं।

कौन हैं ये शख्स
ये शख्स कोई और नहीं भारत के दिग्गज शूटर गगन नारंग हैं। पद्म श्री और राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित नारंग भारत के इकलौते शूटर है, जिन्होंने लंदन ओलंपिक में क्वालीफाई करने में कामयाबी हासिल की थी। नारंग ने 2012 ओलंपिक में 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में कांस्य पदक जीत कर इतिहास रच दिया था। नारंग आज किसी परिचय के मोहताज बेशक नहीं हो, लेकिन एक स्पोर्टसमैन के रूप में इस ख्याति को हासिल करने में गगन ने कठोर परिश्रम किया है। जिसेक दम पर आज वो इस मुकाम पर पहुंच सके है।

मूलत: हरियाणा से है नारंग का परिवार
गगन का जन्म चेन्नई में हुआ लेकिन मूलत: इनका परिवार हरियाणा का रहने वाला है। नारंग परिवार गगन के जन्म से पहले ही काम के सिलसिले में चेन्नई जाकर बस गए थे। जहां 6 मई 1983 को नारंग का जन्म हुआ। हरियाणा में नारंग का ताल्लुक पानीपत जिले से है। जहां से यह जाट परिवार चेन्नई जाकर बस गया था। नारंग के माता-पिता का नाम भीमसेन नारंग और अमरजीत हैं। गगन नारंग का जन्मस्थल तो चेन्नई था, पर उनका पालन पोषण हैदराबाद में हुआ। नारंग के पिता एयर इंडिया के एक सेवानिवृत्त मुख्य प्रबंधक हैं। नौकरी में मिल तबादले के बाद भीमसेन नारंग का परिवार नन्हे गगन के साथ हैदराबाद जा बसा। जहां से गगन की प्रारंभिक पढ़ाई-लिखाई हुई।

बीसीए की पढ़ाई की हैं नारंग ने
नारंग ने गीतांजलि सीनियर स्कूल से अपनी पढ़ाई की। बाद में उच्च शिक्षा नारंग ने हैदराबाद की उस्मानिया विश्वविद्यालय से हासिल की। शूटर नारंग पढ़ने में अच्छे थे। इन्होंने बैचलर ऑफ कम्प्यूटर ऍप्लिकेशन की डिग्री प्राप्त की हैं। गगन जब दो साल के थें, तभी पिता से मिले टॉय गन से गुब्बारे को उड़ा दिया था। नन्हे गगन के इस करामात से परिवार हैरान भी हुआ था। बाद में गगन की इस खास प्रतिभा को परिवार वाले तब पहचानें जब 14 साल की उम्र में नारंग ने एक बार फिर टॉय गन से अपनी निशानेबाजी की धार दिखाई। साल 1997 में भीमसेन नारंग ने गगन को एक पिस्तौल खिलौना दिया था। जिससे गगन ने अपने घर के पिछवाड़े सटीक निशाना लगाने का कमाल दिखाया था।

2003 में मिला था बड़ा ब्रेक थ्रू
गगन को बड़ी सफलता 2003 में मिली। इस साल गगन ने हैदराबाद में आयोजित 2003 अफ्रो एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया था। गगन को मिली इस सुनहरी सफलता ने उन्हें एक शूटर के रूप में स्थापित कर दिया। जिसके बाद साल 2006 में विश्व कप में गगन ने एकबार फिर बेहतरीन निशाना साधते हुए गोल्ड मेडल हासिल किया। इस जीत के साथ ही गगन एयर राइफल की स्पर्धा में बेहतरीन शूटर के रूप में मशहूर हो गए। इसके बाद गगन ने जर्मनी में आयोजित निशानेबाजी टूर्नामेंट में विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक जीता ।

2008 में चीन में जीता सोना
नारंग ने 2008 में चीन के आयोजित विश्व कप में स्वर्ण पदक जीत कर आईएसएफ़ विश्व कप फाइनल के लिए क्वालीफाई किया था। इस प्रतियोगिता में नारंग ने क्वालिफिकेशन राउंड में 600 में 600 अंकों का स्कोर करते रिकॉर्ड कायम किया। ऐसा रिकॉर्ड कायम करने वाले गगन दुनिया के तीसरे शूटर है। इसी साल नवंबर में गगन ने ऑस्ट्रिया के थॉमस फोर्निक के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया। गगन की यह जीत इस मायने में खास थी कि बराक ओबामा ने उसी दिन अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव जीता था। नारंग ओबामा को अपना रोल मॉडल मानते हैं। नारंग ने 2010 में नई दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीयों के लिए 4 स्वर्ण पदक जीते। पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल एकल घटना में, उन्होंने एक आदर्श 600 शॉट किया जो एक नया रिकॉर्ड था। गगन ने भी एशियाई खेलों 2010 में अपने पालतू आयोजन में रजत पदक जीता था। उन्होंने चैंपियन चीन की टीम प्रतियोगिता में एक और रजत के साथ देश को उपलब्ध कराने के लिए अभिनव बिंद्रा और संजीव राजपूत के साथ मिलकर काम किया। एशियाई खेलों के शुरुआती दिनों में उनके दोनों सिल्वर जीते थे।

ओलंपिक में कास्य पर साधा निशाना
गगन नारंग ने 2012 ओलंपिक में कास्य पदक पर निशाना साधते हुए देशवासियों को खुश होने का एक बड़ा मौका दिया। 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में नारंग ने रजत पदक विजेता इटली के शूटर निककोलो कैंपरीनी को कड़ी टक्कर दी थी। हालांकि वे महज 0.4 के स्कोर से पिछड़ गए थे। ओलंपिक में गगन ने 701.1 का स्कोर किया था। जबकि निककोलो 701.5 के स्कोर से साथ सिल्वर मेडल जीतने में कामयाब हुए थे। ओलंपिक के बाद गगन के खाते में बड़ी कामयाबी तब हाथ लगी जब साल 2014 में ग्लासगो में आयोजित कॉमनवेल्थ खेल में नारंग ने 1 रजत पदक और 1 कांस्य पदक जीता।