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मैरी कॉम बोलीं- युवा पीढ़ी एक बार चैंपियन बनकर हो जाती है संतुष्ट, नहीं दिखती भूख

मैरी कॉम का मानना है कि युवा पीढ़ी एक बार चैंपियन बनकर संतुष्ट हो जाती है। यदि मेरी तरह युवाओं में भी जज्बा और भूख हो तो हमारे देश में ढेर सारे पदक होंगे।

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नई पीढ़ी के एथलीटों में सफलता हासिल करने की पर्याप्त भूख नहीं है। वे एक ही उपलब्धि से संतुष्ट हो जाते हैं। यह मानना है छह बार की विश्व चैंपियन और 2012 लंदन ओलंपिक गेम्स की कांस्य पदक विजेता भारत की दिग्गज मुक्केबाज एमसी मैरी कॉम का। उन्होंने कहा, मैं सुपर फिट हूं और अधिक से अधिक सफलता हासिल करना चाहती हूं। यह भूख मुझमें है। युवा पीढ़ी एक बार चैंपियन बनकर संतुष्ट हो जाती है। यदि मेरी तरह उनमें भी जज्बा और भूख हो तो हमारे देश में ढेर सारे पदक होंगे।

दो-तीन साल और खेलना चाहती हैं दिग्गज मुक्केबाज

मैरी कॉम ने कहा, मैं 41 साल की हूं, मैं इस साल से कोई भी इंटरनेशनल (एमेच्योर) प्रतियोगिता में नहीं उतर सकती, क्योंकि उम्र एक सीमा है। हालांकि मैं अपने खेल को एक, दो या तीन साल तक जारी रखना चाहती हूं।

मुक्केबाजी में महिलाओं के आने पर जताई खुशी

मैरी कॉम ने कहा, जब उन्होंने मुक्केबाजी शुरू की थी तब की तुलना में खेलों में अधिक सुविधाएं और विकल्प होने के बावजूद वर्तमान पीढ़ी में पर्याप्त जज्बा नहीं है। हालाकि कम उम्र की कई महिलाओं के मुक्केबाजी में उतरने पर खुशी जताते हुए उन्होंने कहा, मेरी कड़ी मेहनत सफल हुई। अब बहुत सारी मैरी कॉम आ रही हैं।

भारतीय होने पर बहुत गर्व

मुझे एक लडक़ी, एक मां, एक भारतीय होने पर बहुत गर्व महसूस होता है। बहुत से लोग मेरे नक्शेकदम पर चल रहे हैं। 2001 में जब मैंने अपना करियर शुरू किया था, तब मुक्केबाजी में महिलाओं को कोई नहीं जानता था।