कोच जीएस संधू के नेतृत्व में भारत द्वारा 6 मेडल जीतकर टुर्नामेंट से वापस लौटी टीम की सदस्य 22 वर्षीय नीरज ने कहा, 'भाई के घायल के पहले मैनें कभी भी किसी स्पोर्ट या बॉक्सिंग के बारे में नहीं सोचा था। मैं सिर्फ पढ़ाई कर रही थी। मैं कभी अकेले भिवानी नहीं गई थी। मेरे पिता चाहते थे कि परिवार का कोई एक सदस्य स्पोर्ट्स में अपना करियर बनाये। भाई के घायल होने के बाद पिता के सपनों को पूरा करने के लिए मैनें स्पोर्ट्स का चुनाव किया। ट्रेनिंग कैंप में जाने के पहले शुरुआत के दो साल मैनें खुद तैयारी इसकी तैयारी की। उसके बाद मैं अपने भाई के साथ भिवानी आकर ट्रेनिंग कैंप में हिस्सा लिया। मैं एक किराये के मकान में रह रही थी। यह मेरे लिए काफी कठिन था, लेकिन अपने परिवार के लिए जब मैने पहला अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडल जीती तो यह मेरे लिए रिवार्ड है।' अब नीरज फोगाट और उसके परिवार की नजर ओलंपिक पर है।