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पूर्व आईएसआई चीफ का दावा- इस बार तालिबान पाकिस्तान नहीं भारत की सुन रहा और उसके मुद्दों को तवज्जो देगा

Published: Sep 22, 2021 08:20:58 am

Submitted by:

Ashutosh Pathak

असद दुर्रानी ने दावा किया कि अफगानी तालिबान सिर्फ पाकिस्तान के कहने पर कश्मीर के मुद्दे पर हस्तक्षेप नहीं करेगा। दुर्रानी ने मौजूदा आईएसआई प्रमुख फैज हामिद के हाल के काबुल दौरे पर भी सवाल खड़े किए हैं।
 

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नई दिल्ली।

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर) असद दुर्रानी के मुताबिक पाकिस्तान का अफगानिस्तानी तालिबान पर कोई प्रभाव नहीं है। दुर्रानी ने दावा किया कि इस बार का तालिबान पहले से अलग है और यह चरमपंथी संगठन भारत समेत हर देश के साथ अपने हितों के आधार पर रिश्ते बनाएगा।
असद दुर्रानी ने यह भी दावा किया कि अफगानी तालिबान सिर्फ पाकिस्तान के कहने पर कश्मीर के मुद्दे पर हस्तक्षेप नहीं करेगा। यही नहीं, दुर्रानी ने मौजूदा आईएसआई प्रमुख फैज हामिद के हाल के काबुल दौरे पर भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि यह दौरा मुनासिब नहीं था और इसे लेकर बिना वजह अटकलों का बाजार गर्म हो गया।
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दुर्रानी ने कहा कि तालिबान इस बार दुनिया के किसी भी देश के साथ अपने हितों को ध्यान में रखते हुए बातचीत जारी रखना चाहेंगे। फिर चाहे वह देश भारत हो या रूस। अफगानिस्तानी तालिबान ने गत 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा जमाने के बाद कई बार भारतीय अधिकारियों से संपर्क साधा है और रिश्तों तथा संपर्कों पर काम करने की बात कही है। दुर्रानी के मुताबिक, इस बार तालिबान पाकिस्तान से ज्यादा भारत को तवज्जो दे रहा।
वहीं, अगस्त महीने के अंत में भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से एक बयान जारी किया गया था कि कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल ने तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के लिए खुद तालिबान की ओर से अपील की गई थी। हालांकि, उस मुलाकात के दौरान बातचीत का मुद्दा अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों की सुरक्षित और जल्द से जल्द वापसी को लेकर था।
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बहरहाल, अफगानिस्तान की पूर्व सरकारों के साथ भारत के करीबी संबंध रहे हैं। भारत ने वर्ष 2001 के अमरीकी हमले के बाद अफगानिस्तान में विकास के लिए बड़ी भूमिका निभाई और काफी रकम निवेश किया। वैसे, भारत ने अभी तक तालिबान से रिश्ते और अफगानिस्तान में पहले से चल रहे प्रोजेक्टों को जारी रखने पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है।
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