गुड़ा एन्दला थाना देश के उन ऐतिहासिक थानों में शुमार है, जिनकी स्थापना ब्रिटिश इस्ट इंडिया कंपनी के दौर में हुई थी। इस थाने की स्थापना कंपनी ने सन 1836 में गांव के आक्रामक प्रवृत्ति के लोगों पर नियंत्रण करने करन के लिए की थी। बताते है कि राजस्थान में आदिवासी जनजातियों द्वारा ब्रिटिश कंपनी का जमकर विरोध किया जा रहा था, उसी विद्रोह को दबाने के लिए कंपनी ने गुड़ा एंदला थाने की स्थापना की थी, उस समय मीणा जनजाति का प्रमुख गढ़ गुड़ा एन्दला गांव हुआ करता था। गुड़ा एंदला के निवासी बीजारामजी मीणा (रिटायर्ड अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक) के अनुसार इस थाने की शुरुआत एक शिव मंदिर से हुई थी, जो आज भी मौजूद है। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने थाना संचालन के लिए भवन निर्माण करवाया था, जो करीब सौ साल पहले की बात है। तब से आज तक इसी इमारत में यह थाना चल रहा है। अब यह भवन जर्जर हो चुका है।
गुड़ा एंदला थाना क्षेत्र के अंतर्गत 50 से अधिक गांव आते हैं। फोरलेन भी इसी थाना क्षेत्र से गुजरता है। सडक़ हादसे, मादक पदार्थों की तस्करी, माइनिंग एरिया, गांवों का क्राइम आदि रोकने के लिए यहां थाना जरूरी है। आजादी के बाद से आज तक राज्य सरकारों द्वारा इस थाने की अनदेखी की गई और थाने में नए निर्माण के लिए किसी भी तरह का कोई बजट नहीं दिया गया। यह तो समय-समय पर थानाधिकारियों के प्रयासों से भामाशाहों द्वारा जीर्णोद्धार करवाया गया।
गुड़ा एन्दला थाने को गुंदोज गांव पास हाइवे पर गुंदोज पुलिस चौकी के निकट जमीन आवंटित की गई है। लेकिन बजट नहीं मिला, इस कारण नए भवन का काम शुरू नहीं हो पाया। हाइवे पर सडक़ हादसे व अन्य क्राइम की स्थिति में पुलिस को मौके पर पहुंचने से समय भी लगता है, साथ ही परिवादियों को भी गुड़ा एन्दला गांव में आने जाने में दिक्कतें होती है। ऐसे में जल्द से जल्द हाइवे पर नए भवन के निर्माण की मांग उठ रही है।
इमारत काफी पुरानी है और जीर्णोद्धार की आवश्यकता है। भामाशाहों के आर्थिक सहयोग से यहां प्रमुख कार्यालय कक्ष और कुछ सुधार जरूर हुआ है। नए थाना भवन के लिए गुंदोज पुलिस चौकी के निकट पांच बीघा भूमि आवंटित की गई है, जहां उम्मीद है कि जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होगा। – रविंद्रपाल सिंह राजपुरोहित, थानाधिकारी, गुड़ा एन्दला, पाली