
मोतियाबिंद व कालापानी... ये अंधता की बड़ी वजह, नेत्रदान से पाली दे रहा रोशनी
blindness prevention week : अधंता होने पर जीवन की सारी खुशियों पर कालापन छा जाता है। भारत में अंधता का बड़ा कारण मोतियाबिंद और कालापानी है। इसके अलावा रैटिनोपैथी व आंखों में चोट लगाना भी अंधता के कारण बन जाते है। अंधता के प्रति जागरूकता के लिए 1 से 7 अप्रेल तक अंधता निवारण सप्ताह मनाया जाता है। पाली जिले में मोतियाबिंद के सबसे अधिक केस आते हैं।
जिले में हर साल करीब 15 हजार लोगों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन होते हैं। मधुमेह के मरीजों के बढ़ने से रैटिनोपैथी मरीजों में भी इजाफा हुआ है। रैटिना खराब होने के बाद ठीक होने की उम्मीद कम होती है, लेकिन समय पर उपचार से अंधता के दंश से बचा जा सकता है।
पाली में अब तक 950 से ज्यादा नेत्रदान
पाली दृष्टिहीनों को सतरंगी दुनिया दिखाने के मामले में काफी आगे है। पाली में वर्ष 1993 से लेकर अब तक मरणोपरांत 950 से अधिक नेत्रदान हो चुके है। आई बैंक ऑफ सोसायटी पाली चैप्टर सचिव केवलचंद कवाड़ ने का कहना है कि मणोपरांत कोर्निया दान में प्राप्त करते हैं। जिसका ट्रांसप्लांट होने पर दो लोगों को नेत्र ज्योति मिलती है। इसी तरह पाली में कई संस्थाओं की ओर से अंधता निवारण के लिए मोतियाबिंद के ऑपरेशन करवाए जाते हैं। पाली सेवा मण्डल के जोइन्ट सेक्रेट्री प्रमोद जैथलिया ने बताया कि मण्डल की स्थापना 1946 में की गई थी। आंखों का अस्पताल 1966 में बना। इसके बाद से मोतियाबिंद के ऑपरेशन किए जा रहे हैं। पिछले साल 6000 ऑपरेशन मोतियाबिंद के किए गए।
मधुमेह व रैटिना खराब होना भी एक कारण, पाली में अब कोर्निया ट्रांसप्लांट
अंधता के मुख्य कारण मोतियाबिंद व कालापानी है। इसके अलावा नेत्र कमजोर होने पर भी जो बच्चे चश्मा नहीं लगाते है। उनमें भी अंधता आ सकती है। मधुमेह के कारण या अन्य किसी कारण से रैटिना खराब होने व आंख में चोट लगने पर भी अंधता आ सकती है। मोतियाबिंद व कालेपानी की अंधता का उपचार किया जा सकता है। अब तो पाली में कोर्निया ट्रांसप्लांट की सुविधा भी शुरू होने वाली है। मोतियाबिंद का मुख्य कारण तो उम्र है। इसके अलावा चोट व बिना चिकित्सक की सलाह के कुछ दवाएं लेने पर भी मोतियाबिंद जल्दी आ जाता है। रैटिना खराब होने पर उपचार मुश्किल होता है।
-विपूल नागर, सह आचार्य, मेडिकल कॉलेज, पाली
Published on:
01 Apr 2024 05:21 pm
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