Bal Shram in Pali Rajasthan : खेलने-कूदने की उम्र में कई बच्चे बालश्रम में धकेल दिए जाते हैं। पाली जिला भी इससे अछूता नहीं है। शहर ही नहीं, जिले के गांव-कस्बों की होटलों व इकाइयों में कई बच्चे बालश्रम करने को मजबूर है। कहने को तो सरकार उमंग 2 सहित अन्य अभियानों के जरिए ऐसे बच्चों को बालश्रम से मुक्त करवाने का प्रयास करती है। लेकिन, बालश्रम से बच्चों को मुक्त कराने के आंकड़े काफी निराशानजक है। गत पांच वर्षों के आंकडों पर नजर डाले तो 134 मामले दर्ज कर दौ सौ बच्चों को मानव तस्करी विरोधी यूनिट की ओर से बाल श्रम से मुक्त कराया गया है। बड़ी बात ये है वर्ष 2022 में 11 मामले दर्ज कर महज 15 बच्चों को बाल श्रम से मुक्त करवाया गया था। बालश्रम से मुक्त कराए गए बच्चों में से ज्यादातर 9 से 14 वर्ष के है।
केस एक- शहर का नया गांव मार्ग
शहर के नया गांव मार्ग स्थित चाय-नाश्ते की एक दुकान पर शुक्रवार सुबह एक बालक कार्य करता नजर आया। वह चाय-नाश्ता बनाने से लेकर ग्राहकों को सामान भी बेचता रहा।
केस दो- बांगड़ कॉलेज मार्ग
शहर के बांगड़ कॉलेज मार्ग पर बाहर से आए एक परिवार के बच्चे शुक्रवार सुबह खजूर की सुखी डालियों से झाडू बनाने का कार्य करते नजर आए। इसमें कुछ बालिकाएं तो कुछ बालक भी शामिल थे।
केस तीन- नवलखा मंदिर मार्ग
नवलखा मंदिर मार्ग स्थित कचरा स्टैंड पर एक बालिका कचरे से कबाड़ निकाल बोरे में भरती नजर आई। बालिका आंधे घंटे तक प्लास्टिक की खाली बोतलें, कागज के गत्ते, प्लास्टिक की खाली थैलियां, खाली बोतले निकालकर बोरे में भरती रही। बोरा भर जाने के बाद उसे कंधे पर उठाकर घर की तरफ निकल गई।
इस वर्ष 18 बच्चे पहुंचे घर
पाली मानव तस्करी विरोधी यूनिट की ओर से बाल श्रम के मामले में विभिन्न अभियानों के तहत वर्ष 2018 से मई 2023 तक 200 सौ बच्चों को बालश्रम से मुक्त करवाया गया है। इस वर्ष 20 जून तक 18 बच्चों को बालश्रम से मुक्त करवाकर 15 मुकदमे दर्ज किए गए। पुलिस संरक्षण में लिए गए बच्चे को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। उसकी उम्र तथा स्वास्थ्य की जांच के पश्चात परिजनों को सुपुर्द किया जाता है। वही संबधित थाने में मुकदमा भी दर्ज करवाया जाता है।
बाल श्रम बढ़ने का ये भी कारण
बाल श्रम बढ़ने के पीछे गरीबी तो है ही, लेकिन सख्ती से कार्रवाई ना होना भी इसका प्रमुख कारण है। पुलिस बाल श्रमिक को रेस्क्यू कर उनके माता-पिता के सुपुर्द कर देती है, लेकिन माता-पिता गरीबी के चलते अपने बच्चे को फिर से बाल मजदूरी में धकेल देते हैं। इस पर प्रभावी कार्रवाई नहीं होती।
वर्ष- मुकदमों की संख्या, बालश्रम/भिश्रावृत्ति से मुक्त बच्चे
2018- 15, 38
2019- 32, 48
2020- 42, 52
2021- 19, 29
2022- 11, 15
2023- (20 जून तक) 15, 18