
जानिए...मारवाड़-गोडवाड़ के उद्यमियों के मन के विचार
पाली। कोरोना महामारी [ Corona virus ] से जनजीवन ही नहीं समूचा उद्योग भी त्रस्त है। कोविड 19 के बढ़ते प्रकोप से उद्योगों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है। उद्यमी और औद्योगिक संगठन भी केन्द्र व राज्य सरकार से लगातार पैकेज की मांग कर रहे हैं। इसी के मद्देनजर राजस्थान पत्रिका ने एक विशेष अभियान की शुरुआत की है, जिसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उद्योग जगत के सामने आ रही समस्याओं को सरकार के समक्ष उठाया जाएगा। इसी क्रम में पाली, जालोर व सिरोही जिले के प्रमुख उद्यमियों ने कोरोना के चलते ठप पड़े उद्योगों को पटरी पर लाने के लिए कई उपयोगी सुझाव दिए।
उद्योगों की प्रकृति के हिसाब से मिले राहत
उद्यमियों का कहना है कि उद्योग की प्रकृति के अनुरूप सहयोग देना चाहिए, ताकि सभी छोटे-बड़े उद्योग फिर से सुचारू हो सके। केन्द्र व राज्य सरकार को ट्रेड के अनुसार राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए। उद्यमियों का मानना है कि लॉकडाउन से बिगड़े हालात में सुधार आने मेें कम से कम छह माह लगेंगे। श्रमिकों के पलायन करने से श्रमिकों की भी कमी का उद्यमियों को सामना करना पड़ेगा। उद्यमियों का यह भी कहना है कि श्रमिकों को वेतन देने में भी सरकार को मदद करनी चाहिए।
ऑनलाइन संवाद : उद्योगों को मिले ऑक्सीजन
श्रम नियमों का सरलीकरण किया जाए
लॉकडाउन के बाद भारतीय उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए निर्यात पर रोक लगानी चाहिए। लघु एवं वृहद उद्योग को देखते हुए स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहन दिए जाने की सख्त आवश्यकता है। प्रत्येक उद्योग की अलग समस्याएं और जरूरतें हैं। इसको ध्यान में रखते हुए उद्यमियों को सरकार की ओर से रियायत मिलनी चाहिए। उद्योगों के संचालन में श्रम कानूनों के सरलीकरण की भी आवश्यकता है। -किशन जैन, डायरेक्टर, इलेक्ट्रिकल्स कंपनी, जालोर
ग्रेनाइट पर कम हो जीएसटी दर
जालोर ग्रेनाइट की बड़ी मंडी है। लॉकडाउन का असर यहां भी पड़ा है। बड़ी मात्रा में उद्यमी और श्रमिक प्रभावित हुए हैं। वर्तमान में ग्रेनाइट पर 18 फीसदी जीएसटी है। इसे घटा कर 9 प्रतिशत करना चाहिए जिससे राजस्व में इजाफा होगा। ओवरलोड में भी एक निश्चित मात्रा तक छूट देनी चाहिए, जिससे ट्रांसपोर्ट चार्ज में कमी आएगी। जो खान डेड रेंट के कारण केंसल हो रही है, उनकी पैनल्टी और ब्याज माफ करना चाहिए। -लालसिंह धानपुर, अध्यक्ष ग्रेनाइट एसोसिएशन, जालोर
ऋण प्रक्रिया में सरलीकरण
लघु उद्योग का विद्युत न्यूनतम चार्ज माफ होना चाहिए। सरकार को मुख्य रूप से ऋण प्रक्रिया में सरलीकरण करना चाहिए। जिस उद्यमी ने ऋण ले रखा है उनको समय सीमा बढ़ाने पर ही उद्योग पुनस्र्थापित हो सकेंगे। गे्रनाइट मंडी को कई तरह की रियायतें मिलनी चाहिए। यहां से सरकार को बड़ी मात्रा में राजस्व अर्जित होता है। ऐसे में ग्रेनाइट उद्योग के लिए सरकार जितना हो सके, सहयोग करें। - नंदकिशोर मंत्री, कोषाध्यक्ष, ग्रेनाइट एसोसिएशन जालोर, मंत्री ग्रेनाइट इण्डस्टीज, जालोर
खनन मशीनरी का ब्याज ऋण माफ हो
कम से कम अगले छह माह के लिए ग्रेनाइट ब्लॉक और स्लैब पर जीएसटी घटाकर 5 प्रतिशत कर देनी चाहिए। विद्युत दरों में कमी की जाए। खनन से जुड़े व्यवसायियों के लिए त्रैमासिक माइंस डेड रेंट माफ किया जाना चाहिए। खनन मशीनरी पर लिए गए ऋण पर ब्याज माफ किया जाना चाहिए। केन्द्र और राज्य सरकार के सहयोग पर ग्रेनाइट उद्योग का भविष्य निर्भर करेगा। -राजवीरसिंह देवड़ा, संरक्षक, माइनिंग एसोशिएशन, जालोर
रॉयल्टी दरों में मिले रियायत
खनन विभाग द्वारा रॉयल्टी दरों में कमी करनी चाहिए। इसके साथ ही रॉयल्टी प्रक्रिया में सरलीकरण करते हुए पॉल्यूशन सर्टीफिकेट जारी करनी चाहिए। कार्यशील पूंजी को बैंकों को 20 प्रतिशत से बढ़ाकर कम से कम 35 प्रतिशत तक कर देनी चाहिए। रीको के चार्ज को भी कम से कम से अगले 6 माह के लिए माफ किया जाना चाहिए। -दिव्यप्रकाश गोयल, ग्रेनाइट उद्यमी, जालोर
लघु उद्योगों के लिए नीति बनाएं
लघु उद्योगों में बिजली के सरचार्ज एवं दरों में कमी करते हुए न्यूनतम दर पर बिजली उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। नए कनेक्शन जारी करने की प्रक्रिया में भी सरलीकरण किया जाए। लघु उद्योग भी कोरोना की महामारी में मृत प्राय हो गए हैं। ऐसे उद्योगों को बचाने के लिए सरकार अलग से नीति बनाए। -मोतीलाल माली, उद्यमी, जालोर
रेप रेट का फायदा तत्काल मिलें
रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में पॉइंड 75 की जो कमी की गई थी उसका फायदा ग्राहकों को तत्काल मिले। सभी बैंकों को यह तुरंत लागू करना चाहिए। लॉकडाउन में ऋण एवं टर्म लोन पर लगने वाले ब्याज की दरों में भी 50 फीसदी छूट का प्रावधान होना चाहिए। सरकार इएसआई के माध्यम से फंड एकत्रित करती है। बंद समय में मजदूरों को देने वाले वेतन में कुछ हिस्सा इस फंड में से भी दिया जाना चाहिए। -विनय बंब, अध्यक्ष, राजस्थान टेक्सटाइल हैंड प्रोसेसर्स एसोसिएशन, पाली
स्मॉल स्कैल इंडस्ट्री को राहत मिलें
कलर कैमिकल पर 18 फीसदी से जीएसटी घटाकर कम करनी चाहिए। स्मॉल स्कैल इंडस्ट्री के लिए सरकार नई पॉलिसी लाएं। ब्याज इत्यादि में भी छूट देकर उद्योगों को राहत पहुंचाई जानी चाहिए। इएसआइ व पीएफ में जमा होने वाले पैसों को लेकर भी उद्यमियों को राहत मिलनी चाहिए। पाली में गारमेंट का काम बड़े पैमाने पर होता है। इसके संरक्षण के लिए भी सरकार उचित कदम उठाए। -पियूष गोगड़, कपड़ा उद्यमी, पाली
सरकार से आर्थिक मदद मिलना आवश्यक
लॉकडाउन खुलने के बाद उद्योगों को राहत प्रदान करने के लिए योजना तैयार करना जरूरी है। राज्य सरकार व केंद्र सरकार का आदेश है कि किसी भी मजदूर व कर्मचारी का वेतन नहीं काटा जाए। उद्यमी इसकी पालना के लिए तैयार है, लेकिन आबूरोड जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्र में आम दिनों में भी मजदूर दस-पंद्रह दिन से अधिक उपस्थित नहीं रहते हैं। ऐसे में औसत उपस्थिति के आधार पर वेतन का भुगतान किया जाना चाहिए। -रमण बंसल, अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती आबूरोड
बिजली का स्थायी शुल्क स्थगित हो
लॉकडाउन अवधि में बिजली बिलों के स्थाई शुल्क को उद्योगों के लिए आगामी छह माह के लिए स्थगित किया जाना चाहिए। जीएसटी को भी पचास प्रतिशत करने की आवश्यकता है। सरकार को इकाइयों में कार्यरत मजदूरों को अपने स्थानों से स्क्रीनिंग के बाद पुन: इकाइयों में लाने की सुविधा प्रदान करने की जरूरत है। इससे इकाइयों को वापस पटरी पर आने में कम समय जाएगा। -भगवान अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष, आबू मार्बल एसोसिएशन आबूरोड
जापान की तर्ज पर तैयारियों की आवश्यकता
जापान की तर्ज पर बड़ी कम्पनियों को यहां स्थापित करने की योजना बनाएं। जापान में इन इकाइयों को अपने यहां स्थापित करने के लिए अलग से बजट की घोषणा की गई है। इससे स्थानीय छोटे सप्लायर व उद्यमियों को राहत मिलेगी। उद्योगों को गति प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार को उद्योगों के लिए एक साल का आयकर का भुगतान किश्तों में करने की छूट दी जानी चाहिए। -अंकित शाह, सचिव, लघु उद्योग भारती आबूरोड
Published on:
13 Apr 2020 02:30 pm
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