
निकाय चुनाव: बहुमत का आंकड़ा होने के बावजूद भाजपा को क्रॉस वोटिंग का डर
सुमेरपुर (निसं). सुमेरपुर नगरपालिका चेयरमैन के लिए भाजपा को स्पष्ट बहुमत के अलावा निर्दलीयों का समर्थन मिलने के बावजूद अभी तक क्रॉस वोटिंग का भय सता रहा है। वहीं कांग्रेस बहुमत से कोसों दूर होने के बावजूद भाजपा के असंतुष्ट पार्षदों पर अपनी पैनी नजर लगाए है। जहां भाजपा ने एक साथ परिणाम घोषित होते ही सभी पार्षदों को शपथ दिला दी, लेकिन कांग्रेस ने टुकडों में आकर अपने पार्षदों को शपथ दिलाई।
सुमेरपुर नगरपालिका में कुल 35 वार्ड हैं। बहुमत के लिए 18 पार्षदों की जरूरत है। भाजपा को 18 सीटें मिली। जबकि कांग्रेस को 9 और निर्दलीयों को 8 सीटें मिली हैं। इसके अलावा निर्दलीय जीतकर आए वार्ड 23 से गोविंदकुमार व वार्ड 25 से पर्बतसिंह को अपने पक्ष में करने के साथ ही भाजपा की सदस्यता दिलाई। कांग्रेस ने वार्ड 26 से निर्दलीय जीतकर आए नरेन्द्रकुमार को अपने पाले में लेकर आंकडा 10 तक पहुंचा दिया। इसके अलावा अन्य निर्दलीयों का भी समर्थन होने का दावा किया जा रहा है।
दोनों दलों में क्रॉस वोटिंग की आशंका
चेयरमैन पद के लिए नामांकन जमा करवाने के लिए भाजपा की ओर से पूर्व विधायक गुलाबसिंह राजपुरोहित, जिलाध्यक्ष करणसिंह राजपुरोहित, नगर मण्डल अध्यक्ष मांगीलाल सुथार व युवा मोर्चा अध्यक्ष छगन सैन अपने अधिकृत प्रत्याशी व एक प्रस्तावक सदस्य को लेकर पहुंचे थे। जबकि कांग्रेस की ओर से एक गुट से एआईसीसी सदस्या रंजू रामावत अपने अधिकृत प्रत्याशी के साथ पहुंची थी। दूसरे गुट से युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष जगदीश राजपुरोहित, पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष करणसिंह मेडतिया, जिला महामंत्री कैलाश सोलंकी, सुभाष मेवाड़ा, जिला सचिव जाफर सिलावट व नगर अध्यक्ष रमेश अग्रवाल के साथ पहुंचे थे और कांग्रेस पार्षद से एक कांग्रेस व एक निर्दलीय के रूप में नामांकन जमा करवाया था। प्रदेश नेतृत्व की समझाइश के बाद अपना नामांकन वापस ले लिया था। इस प्रकार भाजपा में जहां दूसरे गुट के पार्षदों की ओर से क्रोस वोटिंग होने का अंदेशा है। जबकि कांग्रेस में भी क्रोस वोटिंग की पूरी संभावना जताई जा रही है। यही वजह है कि भाजपा को बहुमत मिलने के बावजूद और समर्थन के लिए निर्दलीयों का सहारा लिया जा रहा है। जिससे क्रोस वोटिंग की स्थिति में भी चेयरमैन सीट पर कब्जा जमाया जा सके।
एक नजर में सुमेरपुर नगरपालिका
वर्ष 1989 से अब तक सुमेरपुर नगरपालिका में अधिकांश बार अविश्वास प्रस्ताव का बोलबाला रहा। पहली बार वर्ष 1986 में हुए चुनाव में भाजपा के मीठालाल बोहरा को पालिकाध्यक्ष चुना गया। वार्ड पुर्नगठन से पहले 25 वार्ड थे। वर्तमान में बढकर 35 वार्ड हुए हैं। इस बार महिलाओं के लिए आरक्षित 11 वार्ड के मुकाबले 46 महिलाएं चुनाव मैदान में थी। इसमें भाजपा से 15, कांग्रेस से 14 व 17 निर्दलीय के रूप में थी। जिसमें से भाजपा से 8, कांग्रेस से 4 व निर्दलीय 3 महिलाएं चुनाव जीतने में सफल रही। इसके अलावा पुरुष सीट पर चुनाव मैदान में उतरी कांग्रेस की मंजू मेवाड़ा, परमिंदर कौर व भाजपा की पेपीदेवी भी चुनाव जीतने में सफल रही।
Published on:
25 Nov 2019 05:12 am
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