
लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि पर नगर परिषद परिसर में लगी प्रतिमा पर जब कांग्रेसी माल्यापर्ण करने पहुचे तो लकड़ी की सीढी पर चढते समय काफी तकलीफ उठानी पड़ी। गिरने के डर से बाद में कार्यकर्ताओं को नीचे से ही माला पकड़ाकर नेताजी ने खुद ही सबकी और से माला पहना दी। जबकि नगर परिषद के कार्मिको का कहना था कि उन्हें माल्यापर्ण की कोई सूचना नहीी थी।पहले लेटर आता है उसके बाद व्यवस्था होती है।

लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि पर नगर परिषद परिसर में लगी प्रतिमा पर जब कांग्रेसी माल्यापर्ण करने पहुचे तो लकड़ी की सीढी पर चढते समय काफी तकलीफ उठानी पड़ी। गिरने के डर से बाद में कार्यकर्ताओं को नीचे से ही माला पकड़ाकर नेताजी ने खुद ही सबकी और से माला पहना दी। जबकि नगर परिषद के कार्मिको का कहना था कि उन्हें माल्यापर्ण की कोई सूचना नहीी थी।पहले लेटर आता है उसके बाद व्यवस्था होती है।

लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि पर नगर परिषद परिसर में लगी प्रतिमा पर जब कांग्रेसी माल्यापर्ण करने पहुचे तो लकड़ी की सीढी पर चढते समय काफी तकलीफ उठानी पड़ी। गिरने के डर से बाद में कार्यकर्ताओं को नीचे से ही माला पकड़ाकर नेताजी ने खुद ही सबकी और से माला पहना दी। जबकि नगर परिषद के कार्मिको का कहना था कि उन्हें माल्यापर्ण की कोई सूचना नहीी थी।पहले लेटर आता है उसके बाद व्यवस्था होती है।

लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि पर नगर परिषद परिसर में लगी प्रतिमा पर जब कांग्रेसी माल्यापर्ण करने पहुचे तो लकड़ी की सीढी पर चढते समय काफी तकलीफ उठानी पड़ी। गिरने के डर से बाद में कार्यकर्ताओं को नीचे से ही माला पकड़ाकर नेताजी ने खुद ही सबकी और से माला पहना दी। जबकि नगर परिषद के कार्मिको का कहना था कि उन्हें माल्यापर्ण की कोई सूचना नहीी थी।पहले लेटर आता है उसके बाद व्यवस्था होती है।