
पाली। मम्मी भूख लागी है..., की खावा नै दे कोनी..., आज चाय कौनी पाई है...। बिलखते हुए बच्चों के मुंह से ये लफ्ज सुनकर मां के साथ परिजनों का दिल भर आया। उन्होंने सरकारी कर्मचारी से जाकर कहा कि बच्चे भूखे हैं। खाने या नाश्ते के लिए कुछ दे दो तो जवाब मिला बस पांच-सात मिनट में खाना आ रहा है। उस समय दोपहर के एक बजे थे। ये हालात शनिवार को बिपरजॉय तूफान की चेतावनी के बाद प्रशासन की ओर कच्ची बस्तियों व डूब क्षेत्र में रहने वालों को सुरक्षित स्कूल, सामुदायिक भवनों व रैन बसेरों में शिफ्ट किए गए स्थलों के रहे। इन लोगों की देखभाल के लिए पटवारी और अन्य सरकारी कार्मिकों को लगाया गया था, लेकिन वे आश्वासन के अलावा कुछ नहीं दे सके।
अव्यवस्था... किसान भवन से लौट गए
प्रशासन की ओर से कच्ची बस्तियों से शिफ्ट किए गए लोगों के लिए खाने व नाश्ते आदि की व्यवस्था नहीं करने के कारण बरसात के दौरान ही कई लोग वापस अपनी बस्तियों में लौट गए। किसान भवन में रात को रुके लोग सुबह व्यवस्था के अभाव में चले गए। ऐसा ही अन्य जगहों पर भी हाल रहा।
बांगड़ स्कूल से लौटने लगे तो रोका
बांगड़ स्कूल में बांडी नदी के डूब क्षेत्र में रहने वाले लोगों को रखा गया था। वहां बच्चों को भूख से बिलखते देख बाबूलाल के साथ अन्य लोग वापस अपने घरों की तरफ बरसात में लौटने लगे तो कार्मिकों ने उनको रोका। इस पर वे बोले यहां रहने से क्या होगा, बच्चे तो भूख से मर रहे हैं।
हवारा ऊं कोई कोनी आयो
स्कूल में रह रही भीखी देवी, सुआ बाई व वचना बाई ने कहा कि म्हानै काले बांडी नदी घर ऊं लाया था। आज हवारा ऊं हाल कोई चाय रो पूछण वाळो कोनी आयो है। म्हारो तो कोई कोनी, पण टाबर भूखा किकर रै। उनसे अन्य व्यवस्था का पूछने पर बोली बिछाने व ओढ़ने तक को पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।
इन जगहों से किया लोगों को शिफ्ट
● बांडी नदी मस्तान बाबा क्षेत्र
● ओड बस्ती
● पुनायता औद्योगिक क्षेत्र मार्ग
● रामदेव रोड के पास लाखोटिया के गैर मुमकिन नाला क्षेत्र
● पांच मौखा पुलिया के निकट रहवास
Published on:
18 Jun 2023 04:42 pm
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