
2018 में डीपीसी की और 2020 में फिर कर दी
राजीव दवे. पाली. शिक्षा विभाग के कार्मिक व अधिकारी कार्य के प्रति कितने सजग हैं, इसका उदाहरण उनकी ओर से 24 जून को जारी एक शिक्षकों की सूची से लगाया जा सकता है। विभाग के कार्मिकों ने सूची में डीपीसी के पात्र शिक्षकों के नाम शामिल किए थे। जिसमें वे नाम शामिल थे, जिन शिक्षकों की वर्ष 2018 में डीपीसी हो चुकी है। वे नई स्कूल में ज्वाइन भी कर चुके हैं और बढ़ा हुआ वेतनमान भी पा रहे हैं, लेकिन विभाग के रेकर्ड में आज भी वे वर्ष 2018 वाले स्कूलों में ही पढ़ा रहे थे। यह सूची जारी होने के बाद कई शिक्षकों व शिक्षक संगठनों की ओर से आपत्ति दर्ज कराई गई तो आनन-फानन में विभाग की ओर से नई सूची जारी की गई।
उर्दू भाषा के थे सभी शिक्षक
विभाग की ओर से जारी यह गडबड़ी भी उस विषय में सामने आई है, जिसमें शिक्षकों की संख्या सामान्य विषयों के शिक्षकों से कम है। इस डीपीसी की सूची में जिन शिक्षकों के नाम रिपीट आए हैं। वे सभी उर्दू विषय के हैं। बड़ी बात यह है कि उनकी स्कूल की दो वर्ष पुरानी ही दर्शाई गई है।
गडबड़ी का यह दिया जा रहा तर्क
यह गडबड़ी होने के कारण शिक्षा विभाग की ओर से तर्क भी बड़ा अजीब दिया गया है। इसमें बताया गया कि शिक्षकों ने डीपीसी के बाद ऑनलाइन पोर्टल पर अपडेट नहीं किया गया। स्कूलों की ओर से सूचना नहीं दी गई। जबकि हकीकत यह है कि यह कार्य स्कूल लेवल पर नहीं किया जाता है।
नई सूची करवाई जारी
सूची बनाते समय शिक्षकों के नाम कम्प्यूटर से कॉपी पेस्ट करने में गलती हो गई थी। इस कारण से नाम रिपीट आ गए। हमे पता लगते ही हमने तुरन्त नई सूची जारी करवा दी।
श्यामसुंदर सोलंकी, संयुक्त निदेशक, शिक्षा मण्डल, पाली
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इन शिक्षकों के नाम फिर आए सूची में
-बरकत अली, राउप्रावि, नाहरगढ़
-इमरान अली, राबाउप्रावि डिंगरना
-औसाफ हुसैन, राप्रावि, विश्नोइयों की ढाणी, लाणेरा
-चांद खान, राउप्रावि निम्बाड़ा
-बरकत खान, राउप्रावि बुधवाड़ा
-मोहम्मद सिद्दीकी, राउप्रावि सालाकोट
-इकबाल मोहम्मद, राउप्रावि सोवणिया
-नसीम मोहम्मद, राउप्रावि सिलोइया
Published on:
26 Jun 2020 07:00 am
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