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कर्मचारियों का सरकार के प्रति आक्रोश, सरकार का श्राद्ध मनाया

राज्‍य कर्मचारियों ने अपनाया विरोध का अनूठा तरीका

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पाली

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Ramesh Sharma

Oct 08, 2018

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पाली, 8 अक्टूबर, पंचायतीराज सेवा परिषद् , उप शाखा पंचायत समिति पाली द्वारा मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बावजूद आदेश जारी नहीं किये जाने के और सरकार द्वारा कर्मचारियों के साथ किये गये छल-कपट से व्यथित होकर मौजूदा राज्य सरकार का श्राद्ध पूरे विधि विधान से किया गया।
सर्वप्रथम प्रात:काल लाखोटिया तालाब में तर्पण किया गया। बाद में सभी पंचायत प्रसार अधिकारी,ग्राम विकास अधिकारी पंचायत समिति कार्यालय में एकत्रित हुए जहां पंडितों द्वारा पूरे विधि विधान से मौजूदा राज्य सरकार का श्राद्ध किया गया। श्राद्ध में गाय,कुत्ते और कौए को ग्रास देने के बाद 11 पंडितों को श्राद्ध का भोजन (खीर,पुडी,सब्जी) करवाया गया। सभी कर्मचारियों द्वारा भी श्राद्ध का भोजन ग्रहण किया गया।

कार्यक्रम में पंचायत प्रसार अधिकारी संघ के जिलाध्यक्ष दौलतसिंह अखावत द्वारा मौजूदा सरकार की कर्मचारी विरोधी नीति की कडी भत्र्सना करते हुए बताया कि सरकार के द्वारा 9 बार लिखित में किये गये समझौते छल-कपट साबित हुए। 15 सितम्बर को मुख्यमंत्री द्वारा कैडर स्ट्रेन्थ और पदोन्नति जैसी वाजिब मांगों का अनुमोदन किये जाने के बावजूद आदेश जारी नहीं किये गये। पंचायतीराज विभाग में पिछले 5 में कोई पदोन्नति नहीं की गई। मौजूदा राज्य सरकार द्वारा कर्मचारियों के पीठ में छुरा घोपने,छल-कपट करने और मुंह में राम बगल में छुरी की नीति से व्यथित होकर राजस्थान पंचायतीराज सेवा परिषद् द्वारा कार्यग्रहण करने से पूर्व श्राद्ध किया गया। कार्यक्रम के बाद सभी द्वारा कार्यग्रहण किया गया।
कार्यक्रम में पंचायत प्रसार अधिकारी मनोज भाटी, सुरेन्द्रसिंह,रणवीरसिंह, हीरालाल गोयल,अरूण वैष्णव, भंवरलाल चौधरी,ग्राम विकास अधिकारी ब्लॉक अध्यक्ष जितेन्द्र पाण्डेय, शांतीलाल भाटी,अरविन्द ओझा, शोभावती ,धर्मेन्द्र खण्डेलवाल सहित कई कर्मचारी मौजूद रहे।

सूने पड़े सरकारी कार्यालयों में लौटी चहल-पहल

उधर सुमेरपुर में पिछले कई दिनों से रोडवेज कार्मिकों व अन्य विभागों के कर्मचारियों की हड़ताल के समाप्त होने के बाद सोमवार को चहल-पहल लौटी। पंचायतराज कर्मचारियों व अधिकारियों की हड़ताल के चलते ग्रामीण इलाकों में विकास कार्य बंद थे। ग्राम पंचायतों पर ताला लगा था। केन्द्र व राज्य सरकार की फ्लेगशीप योजनाएं कागजों में ही सीमित होकर रह गई थी। मनरेगा श्रमिकों का भुगतान अटक गया था। चुनाव आयोग के चुनाव की घोषणा करने के साथ ही सभी हड़ताल स्वत: समाप्त हो गई और कर्मचारी काम पर लौटे। इससे अब ग्रामीणों व अन्य लोगों को राहत मिली है।