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Old market: ये चार स्थल आमने-सामने, जो बनाते है शहर को खास

पाली में चार कटले, जहां से चलता था व्यापार, होलसेल व खुदरा किराणे से लेकर कपड़े तक मिलते थे कटलों में, सर्राफा बाजार में आमने-सामने है कटले।

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पाली

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Rajeev Dave

Nov 14, 2023

Old market: ये चार स्थल आमने-सामने, जो बनाते है शहर को खास

पाली का गुड़-खांड कटला।

पाली शहर में चार कटले हैं। जहां पहले से किराणे से लेकर कपड़ों तक की दुकानें हैं। ये कटले पाली की पहचान थे। जिले के किसी भी हिस्से से खरीदारी करने पाली आने वाले लोग कटलों में जरूर जाते थे। अब इन कटलों का नाम तक कई लोग नहीं जानते है। बाजार में गुड़-खांड कटला, खोपरा कटला, गांधी कटला और मोती कटला है। इनमें गुड़-खांड कटले के नाम से ही पता लग जाता है कि वहां पर किराणे के सामान की खरीद-फरोख्त होती थी। जो आज भी होती है। खोपरा कटले में किराणे व कपड़े की दुकानें है। गांधी कटले में कपड़े की दुकाने है। वहीं मोती कटला में जरी, कटलरी, मणिहारी के साथ कपड़े की दुकानें है।

कटले कितने पुराने पता नहीं
कटले में आज भी व्यापार करने वाले मुरली पित्ती बताते है कि कटले कितने पुराने हैं। यह जानकारी तो स्पष्ट नहीं है। मैं इनको 60 साल से देख रहा हूं। उससे पहले भी कटले थे। किराणे के साथ कपड़ों आदि की अधिकांश ग्राहकी इन कटलों में होती थी। ये कटले पाली की पहचान है। कटला में मंदिर में भी है। पाली में व्यापारी प्रतिष्ठान खोलने से पहले बाजारों व गलियों में विराजमान भगवान के दर्शन कर आते है।
बाजार था छोटा
व्यापारी नरेन्द्र माछर का कहना है कि कटलों के अलावा पहले सर्राफा बाजार, बाइसी बाजार, धानमंडी, घी का झंडा में दुकानें थी। बाजार छोटा था। धानमंडी में किसान अनाज लेकर आते थे। जो लोग गांवों से खरीदारी करने या सामान बेचने आते थे, वे धर्मपुरा केरिया दरवाजा पर शांतिनाथ मंदिर के बाहर बैलगाडि़यों को खड़ा करते थे। इसके बाद बाजार में आते। जर्दा बाजार में जूती आदि मिलती थी। हालांकि जिन वस्तुओं की दुकानें पुराने बाजारों व कटलों में थी। वे आज भी है, लेकिन कई नए प्रतिष्ठान भी खुल गए है।