
गणपति का ऐसा दरबार, जहां आने को आतुर रहता है हर कोई
Ganesh Chaturthi 2022 : पाली। शहर के रेलवे स्टेशन जाने वाले मार्ग पर लोर्डिया तालाब के सामने नागा बाबा बगेची में विराजमान है बल्लाल गणेश। इस बल्लाल गणेश मंदिर को भगवान गजानन के सिद्ध पीठों में से एक माना जाता है। इस मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है।
महंत नारायणगिरी व महंत सुरेश गिरी ने बताया कि बल्लालेश्वर नाम के एक गजानन के भक्त हुए थे। उन्होंने प्रथम पूज्य भगवान गजानन की भूकरा पत्थर से प्रतिमा बनाई। भगवान को प्रसन्न करने के लिए कठोर आराधना की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान गजानन यहां विराजमान हुए और बल्लाल गणेश कहलाए। यह मंदिर कितना पुराना है इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है।
पुराणों में है मंदिर का वर्णन
बल्लाल गणेश मंदिर के सिद्धपीठ होने का वर्णन पुराणों में मिलता है। उनमें लिखा गया है कि सिंध प्रांत जाने वाले मार्ग के बीच बल्लाल गणेश का मंदिर है। वर्तमान में पाकिस्तान में िस्थत सिंध प्रांत जाने वाला मार्ग पाली होकर ही गुजरता था। इससे भी इस मंदिर के सिद्ध पीठ होने का प्रमाण मिलता है।
प्रतिमा पर चढ़ा है सिंदूर
भगवान बल्लाल गणेश की प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ा हुआ है। इस प्रतिमा के कमर में नाग लिपटा है। प्रतिमा के मष्तक पर पांच नागों का मुकुट है। जिस स्थान पर प्रतिमा स्थापित है। वहां पर प्रतिमा को हटाए बिना ही नए मंदिर का निर्माण कराया गया है।
नए मंदिर में विराजमान किए थे गजानन
बल्लाल गणेश के पुराने मंदिर के पास ही वर्ष 2017 में नए मंदिर का निर्माण कराया गया। उस मंदिर में हुबह बल्लाल गणेश की प्रतिमा जैसी ही प्रतिमा स्थापित की गई है। उसमें शिव परिवार के साथ मां अम्बे भी विराजमान है।
Updated on:
23 Aug 2022 03:54 pm
Published on:
23 Aug 2022 03:19 pm
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