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हमारी विरासत : बेजोड़ कलाकारी का उदाहरण है यहां का महादेव मंदिर, जानिए पूरा इतिहास…

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पाली

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Suresh Hemnani

May 03, 2019

History of Mahadev Temple of Nadol in Pali district

हमारी विरासत : बेजोड़ कलाकारी का उदाहरण है नाड़ोल का महादेव मंदिर, जानिए पूरा इतिहास...

-प्रदीपसिंह राठौड़

पाली/नाड़ोल। अरावली की गोद में बसे नाड़ोल गांव का सोमनाथ महादेव मंदिर बेजोड़ कलाकारी का नमूना है। यह मंदिर अति प्राचीन है। मंदिर के चारों तरफ लगे पत्थर में की गई नक्काशी इसके वैभव की कहानियां कहतेनजर आते हैं। शिल्प कला का जादू कहलाने वाली यह मूर्तियां बड़े-बड़े पत्थरों पर उकेरी गई हैं। प्राचीन काल से ही यहां के राजा महाराजा सृजनशील व कला प्रेमी थे। उन्होंने अपने कार्यकाल में शिल्प कला के उदाहरण स्थापित किए हैं।

नाड़ोल गांव के मध्य में ही सोमनाथ दरवाजा बना हुआ है। उसके बांई तरफ धरातल से लगभग 25 फीट ऊंचा सोमनाथ महादेव मंदिर पर एक बार नजर पड़ते ही देखने वाले को सहज ही आकर्षित करता है। लगभग 1000 वर्ष पुराना मंदिर पाषाण कला और स्थापत्य का एक बेजोड़ उदाहरण है। बरसों पुराने इस मंदिर में 5 फीट लंबा विराट शिवलिंग स्थापित है। इसके पीछे गणपति व पार्वती माता विराजित हैं।

मंदिर के चारों तरफ विभिन्न मुद्राओं में नटराज की मूर्तियां हैं। हाथी, घोड़ा व कई देवी-देवताओं की आकृतियों को पत्थरों पर उकेरा गया है। इस मंदिर की अधिकतर मूर्तियां व शिवलिंग खंडित हैं। जानकारों की मानें तो यह खंडित मूर्तियां मध्य काल में मुस्लिम आक्रांता महमूद गजनवी सोमनाथ महादेव मंदिर गुजरात पर आक्रमण करने जाते समय अपनी हैवानियत की निशानी के रूप में यहां छोड़ कर गया था।

यहां के भव्य सोमनाथ मंदिर की मूर्तियों को तहस-नहस कर विराट शिवलिंग को भी खंडित कर दिया था। मंदिर के निर्माण को लेकर ग्रामीणों को कोई ठोस जानकारी नहीं है। मंदिर परिसर में लगे शिलालेख के आधार पर यह मंदिर लगभग 1000 वर्ष पुराना बताया जा रहा है लेकिन शिलालेख की लिपि समझ नहीं आने पर इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। मंदिर में उकेरी गई मूर्तियों को पत्थरों को एक दूसरे से जोडकऱ तराशा गया है।