
PM Kusum Yojana...ऐसे तो सौर ऊर्जा से कैसे जुड़ेगा नाता?
विश्व में ऊर्जा के सबसे बड़े स्रोत सूर्य की ऊर्जा से बिजली बनाने व किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए लाख जतन करने के बावजूद परिणाम सकारात्मक नहीं आ रहे हैं। कुसुम सी योजना के नियम भी बदले, बावजूद इसके पाली में महज 32 पंजीयन ही हो पाए हैं। इनमें से डिस्कॉम की ओर से 27 पंजीयनकर्ताओं का सत्यापन किया गया है।
पूरे संभाग में एक जगह हुआ कार्य
पीएम कुसुम सी योजना की पुरानी योजना में 7.50 होर्स पावर के बिजली फीडरों से जुड़े किसानों की अनुपयोगी भूमि पर सोलर प्लांट लगाना तय किया गया था। इसमें दस प्रतिशत राशि फीडर से जुड़े हर किसान को देनी थी। जबकि आदिवासी क्षेत्रों में किसानों को यह राशि नहीं देनी थी। इसके बावजूद बिलाड़ा में एक प्लांट लगा और एक का कार्य सिरोही में चल रहा है।
अब साथ में जोड़े डवलपर
किसानों का रुझान कम होने पर अब कुसुम सी में किसानों के साथ डवलपर जुड़ सकता है। इसका पोर्टल अगस्त 2022 में शुरू किया गया। इसमें किसान की जमीन 25 साल के लिए लीज पर ली जाती है। एक मेगावाट सोलर प्लांट की लागत करीब 3.50 से 4 करोड़ रुपए तक आती है। इससे औसत 1.50 से 2 लाख यूनिट बिजली हर माह पैदा होती है। इसमें पाली जिले में 32 पंजीयन हुए है।
अभी तक कहीं नहीं लगा
कुसुम सी योजना के तहत अभी प्रदेश व जोधपुर संभाग में किसी जगह पर प्लांट का कार्य नहीं हुआ है। इसके लिए किसान को पोर्टल पर पंजीयन करवाना है। प्लांट से बनने वाली बिजली जीएसएस में जाएगी। जिससे किसान जुड़ा है, वहां से ही किसान को बिजली मिलेगी।
एसके भाटी, अधीक्षण अभियंता, आरए-सी, डिस्कॉम, जोधपुर
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यह है मुख्य समस्याएं
- महज एक मेगावाट की लागत 3.50 से 4 करोड़ रुपए।
-कुसुम सी या कुसुम योजना की जानकारी से वंचित किसान।
-1 मेगावाट के लिए करीब 2 हैक्टेयर भूमि की जरूरत।
-राशि नहीं होने पर किसान को डवलपर के साथ एग्रीमेंट करना पड़ता है।
Published on:
16 May 2023 10:35 am
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