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पाली में खेती में नवाचार, ग्रीनहाउस में खीरा ककड़ी की हुई बंपर पैदावार

किसान दिवस विशेष:

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ग्रीन हाउस खीरा-ककड़ी की बम्पद पैदावार

ग्रीन हाउस खीरा-ककड़ी की बम्पद पैदावार

पाली. मन में विश्वास और संकल्प हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। जिला मुख्यालय से मात्र 10 किलोमीटर दूरी पर खेतावास गांव के किसान जीवराज बंजारा ने भी संकल्प शक्ति से खेती में नवाचार का उदाहरण दिया। बंजारा ने दो साल पहले ग्रीन हाउस तैयार कर खीरा ककड़ी की खेती बाड़ी शुरू की। अब सालाना 10 से 12 लाख रुपए की पैदावार ले रहे हैं। रियलस्टेट के व्यापार में मंदी के बाद बंजारा ने अपने पारम्परिक खेती करने के बारे में विचार किया। कृषि विभाग के अधिकारयों से जानकारी हासिल कर ग्रीन हाउस लगाया। साल में दो बार खीरा ककड़ी की पैदावार ले रहे हैं।

45 दिन में फसल तैयार

खीरा ककड़ी की बुवाई के लिए क्यारी बना कर इसमें बीज बोये जाते हैं। हाथ से बुवाई के बाद बंूद बंूद सिंचाई से इसे सिंचा जाता है। चार से पांच दिन में बीज अंकुरण होता है। इसके बाद पखवाड़े में तंतु निकलने शुरु हो जाते हैं। इन तंतु के धागे से ऊपर लगी जाली से बांधना पड़ता है। जिससे बेल सीधे ऊपर की ओर बढ़े। इसके बढऩे व फूल फल लगने पर तीन चार स्थानों पर क्लिप लगाने पड़ते हैं। 45 दिन में उत्पादन मिलना शुरु होता है। 55 दिन तक पैदावार मिलती है। एक पैदावार के बाद बेल को उखाड़ कर नए सिरे से बुवाई करनी होती है।

ग्रीन हाउस पर 35 लाख रुपए का खर्च

किसान जीवराज बंजारा ने बताया कि 2018 में खेतावास के पास जमीन में ट्यबबेल खुदवा कर खेती शुरू की। ढाई बीघे में ग्रीन हाउस तैयार करवाया गया। इस पर 35 लाख रुपए की लागत आई। सरकार की ओर से 26 लाख रुपए का अनुदान मिला।

अजमेर, पाली व बालोतरा में बेचते है खीरा ककड़ी
किसान बंजारा खीरा ककड़ी को अजमेर, पाली व बालोतरा मंडी में बेचते हैं। खीरा ककड़ी के दाम 20 से लगातर 30 रुपए तक मिल जाते हैं। कई बार 50 रुपए किलो भी बिक जाती है। एक सीजन में 40 से 50 टन की खीरा ककड़ी की पैदावार लेते हैं।