
सुमेरपुर के एक स्कूल की लाइब्रेरी में पढ़ते विद्याथीZ।
लाइब्रेरी का नाम सुनते ही एक स्थल का दृश्य आंखों के सामने तैरने लगता है। इसमें अलमारियों में रखी पुस्तकें, टेबल पर शांत बैठकर पढ़ते लोग होते हैं। स्कूलों में लाइब्रेरी में पुस्तकें लेते व पढ़ते विद्यार्थियों का नजारा सामने आता है, लेकिन समय के साथ यह बदल गए हैं। जो पुस्तकें सबसे बड़ी मित्र कही जाती है, उसकी जगह इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री ने ली है। आज िस्थति यह है कि सार्वजनिक पुस्तकालय अब महज नाम के रह गए है। वहां पुस्तकें नई नहीं है। लोग भी इक्का-दुक्का आते हैं। विद्यालयों की लाइब्रेरियों में तो पुस्तकालयाध्यक्षों के पद तक रिक्त है। वे शिक्षकों के भरोसे ही अधिकांश जगह कबाड़ जैसे कक्षों में या अलमारी में ही संचालित हो रही है। ऐसे में राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से 2 दिसम्बर को हर स्कूल में मनाया जाना वाला लाइब्रेरी दिवस कितना सफल व सार्थक है अंदाज लगाया जा सकता है।
लाइब्रेरी को जीवंत करना उद्देश्य
स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से लाइब्रेरी दिवस मनाने का उद्देश्य स्कूलों में लाइब्रेरी को जीवंत बनाना और विद्यार्थियों में पुस्तकों के प्रति रुचि पैदा करना है। सुरक्षा के नाम पर विद्यार्थियों को पुस्तकों से वंचित नहीं रखना है। जो यह बताने के लिए काफी है कि स्कूलों में लाइब्रेरी किसी हालत में चल रही है।
निजी लाइब्रेरी में शांति, इस कारण बनती जा रही पसंद
स्कूलों में लाइब्रेरी भले ही अलमारियों तक सीमित हो, लेकिन निजी क्षेत्र में इनका रूप बदल गया है। निजी लाइब्रेरी के शांत वातावरण में युवा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने जाते है। कुछ जगह पर उनको सहायक सामग्री मिलती है तो कुछ में केवल शांत माहौल व टेबल-कुर्सी।
स्कूलों में लाइब्रेरी दिवस पर यह करना है
इनका कहना है
लाइब्रेरी दिवस शनिवार को मनाया जाएगा। इसमें होने वाली गतिविधियों की समीक्षा करने के साथ हर जिले से तीन फोटो गु्रप में शेयर करने होंगे। कार्यक्रमों की सूचना परिषद को भी भेजी जाएगी।
रामलाल कुमावत, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी, माध्यमिक, पाली
Published on:
02 Dec 2023 10:03 am
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