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इस धरती की गाथा सुनकर आप यहां आने से नहीं रोक पाएंगे खुद को

गोरे धोरा री धरती रो, पिचरंग पहाड़ा री धरती रो... विश्व की सबसे प्राचीन पर्वतमाला के दर्शन करने उमड़ता है विश्व

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पाली

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Rajeev Dave

Mar 30, 2019

pali news

इस धरती की गाथा सुनकर आप यहां आने से नहीं रोक पाएंगे खुद को

पाली . गोरे धोरा री धरती रो, पिचरंग पहाड़ा री धरती रो, कितरो-कितरो करुं मैं बखाण... गीत राजस्थान की गाथा बयां करता है, लेकिन मारवाड़-गोडवाड़ की मिश्रित संस्कृति वाले पाली जिले का इसमें बड़ा बखान है। इस गीत में पहाड़ों की बात आते ही विश्व की सबसे प्राचीन पर्वतमाला अरावली की सुंदर वादियां आंखों के सामने आ जाती है। वहीं बाड़मेर व जोधपुर के धोरों से सटे गांवों की गोरे धोरा री धरती रो... पंक्तियां बखान करती है। पाली की धरा पर अरावली की पहाडिय़ों में विश्व के मानचित्र पर अपनी छाप छोडऩे वाले स्थल है। जो राजस्थान के विलय के समय विख्यात तो थे, लेकिन आज आलम यह है कि राजस्थान तो क्या भारत में आने वाले पर्यटक भी यहां आने से खुद को नहीं रोक पाते हैं। यह बात आंकड़ों में भी साबित होती है। हमारे गोडवाड़ के पर्यटन स्थलों को देखने के लिए हर वर्ष 85 हजार से 1 लाख तक तो सिर्फ विदेशी पर्यटक आते हैं।
जब साधन नहीं थे, तब भी था नाम

पाली का गोडवाड़ प्राकृतिक रूप से समृद्ध होने के साथ ही देश में अपनी अलग पहचान रखता है। यहां पर्यटक उस जमाने से आ रहे है जब सडक़ें कच्ची थी और आवागमन के साधन तक नहीं थे। यहां जैन समाज का राणकपुर मंदिर है। जिस देखना कोई नहीं भूलता है। इसके अलावा सोनाणा खेतलाजी के दरबार में पर्यटकों की संख्या को देखते ही यहां प्रशासन की ओर से राकणपुर महोत्सव भी आयोजित करवाया जाने लगा। राणकपुर मंदिर के पास ही सूर्य मंदिर है। जो शिल्प कला का अद्भुत स्थल है। इनके पास ही मुछाला महावीर और राता महावीरजी है। नारलाई गांव अपनी प्राचीन संस्कृति व कला के कारण आकर्षण का केन्द्र है। इन क्षेत्रों में भारत की नामचीन हस्तियां क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, अभिनेता सलमान खान, सेफ अली खान, करीना कपूर, मंत्री स्मृति इरानी, मॉरिशस के राष्ट्रपति व फ्रांस के प्रिंस के साथ कई हस्तियां यहां आ चुकी है।
नए स्थल भी किए गए विकसित

गोडवाड़ की विरासत को ऊंचा उठाने के लिए यहां जवाई लेपर्ड कन्जर्वेशन विकसित किया गया। इसमें लेपर्ड को देखने के लिए पर्यटक आते है। यहां चलने वाली जीप, ऊंट व अश्व की सफारी करते हुए कुम्भलगढ़ अभयारण्य में प्राकृतिक सौन्दर्य हर किसी का मन मोह लेता है।
जोड़ दिया कॉरिडोर से

राजस्थान की स्थापना से पहले गोडवाड़ का एक बड़ा हिस्सा मेवाड़ क्षेत्र का माना जाता था। यहां घाणेराव कस्बे की बावडिय़ां आदि आज भी शिल्पकारी और जल संग्रह का उदाहरण है। पाली के गोडवाड़ की धरती को वर्ष 2007 में पर्यटन कॉरिडोर से जोडऩे की योजना बनाई थी। इसी के तहत कुंभलगढ़ से राणकपुर तक को जोड़ा गया। हालांकि इसके दूसरे चरण का कार्य पूरा नहीं हो सका।