
bangar hospital pali
नासल ड्रॉप का ज्यादा इस्तेमाल करना खतरनाक है। इससे राइनाइटिस का बढ़ता है खतरा बढ़ जाता है। इसके बावजूद कई लोग नाक बंद होने पर इस ड्रॉप का उपयोग करते है। पाली के अस्पताल में हर माह नासल ड्राप से नाक बंद होने से ग्रसित 200 से अधिक मरीज आते है।
नासल ड्रॉप, जिसे बंद नाक खोलने के लिए नाक में डाला जाता है। यह ड्रॉप नाक बंद होने पर मरीज बिना चिकित्सक की सलाह पर ही खरीद लेते है। उसे नाक में डालते है। इससे उनका नाम खुलने के बजाय बंद हो जाता है। उनमे राइनाइटिस का खतरा बढ़ जाता है। बिना चिकित्सक की सलाह के नासल का उपयोग करने से नाक नाक बंद होने व राइनाइटिस के हर माह बांगड़ चिकित्सालय में करीब 200 से अधिक मरीज उपचार के लिए आ रहे है।
नाक बंद रहना एक सामान्य समस्या है, जो की जीवन में लगभग हर व्यक्ति को होती है। इस पर कई बार चिकित्सक नासाल ड्रॉप का उपयोग 7 से 10 दिन तक करने की सलाह देते हैं, लेकिन बिना विशेषज्ञ की सलाह के इसका उपयोग लम्बे समय तक करने पर नाक पर वितरित असर होता है। ड्रॉप के साइड इफेक्ट आने लगते है। जिसे राइनाइटिसमेडिकामेंटोस कहते हैं।
इस दवा में ऑक्सीमीट जोलिन या जाइलो मेटाजोलें होेते है। इस नासल का शुरुआत में उपयोग करने पर नाक के अंदर के टिशूज की सूजन कम हो जाती है और नाक तुरंत खुल जाती है, लेकिन लंबे समय तक इसके उपयोग से इन टिशूज का लचीलापन कम हो जाता है। रक्त संचार में असामान्यताएं व नाक के अंदर स्थित टर्बिनेट अर्थात मांस का साइज बढ़ने लगता है, जिससे नाक में रुकावट आती है। नाक अक्सर बंद रहने लगता है। नाक में मांस बढ़ जाता है।
नासल ड्रॉप पर मरीज की निर्भरता बढ़ जाती है। दवा के प्रभाव का असर कम रह जाता है। इस कारण बार-बार ड्रॉप नाक में डालने की इच्छा होती है। नाक से पानी नहीं आता व छींक भी नहीं आती है। नाक बंद रहता है। ऐसा होने पर ड्रॉप को तुरंत बंद कर देना चाहिए।
कई मरीज अपने स्तर पर ही नाक में डालने की नासल ड्रॉप का अत्यधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। जिससे आने वाले समय में नाक बंद रहने वाली समस्या का बढ़ना लाजमी है। हर माह अस्पताल में ऐसे लगभग 200 से 300 मरीज नाक, कान व गला विभाग में आते है। नाक में ये ड्रॉप डालने के बाद नाक बंद रहने की समस्या और बढ़ जाती है। चिकित्सालय में दूरबीन एंडोस्कोपिक पद्धति के माध्यम से ऐसे मरीजों के नाक मे बढ़े हुए मांस का इलाज किया जाता है।
डॉ. गौरव कटारिया, विभागध्यक्ष, नाक-कान व गला रोग विभाग, राजकीय बांगड़ चिकित्सालय एवं मेडिकल कॉलेज पाली
Updated on:
05 May 2024 07:11 pm
Published on:
05 May 2024 07:05 pm
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