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Jawai Dam: कभी पाली की प्यास बुझाने के लिए चलानी पड़ती थी वाटर ट्रेन, अब जवाई बांध में आ चुका है इतना पानी

Jawai Dam: जोधपुर से पाली के लिए वाटर ट्रेन का संचालन सबसे पहले 2002 में किया गया। इसके बाद 2005 और 2009 में वाटर स्पेशल ट्रेन चली।

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पाली

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Rakesh Mishra

Sep 20, 2024

jawai dam

Jawai Dam: पाली जिले के लिए जवाई बांध (Pali Jawai Dam) किसी वरदान से कम नहीं है। इस बार मानसून की झमाझम बारिश से जवाई बांध में एक साल तक प्यास बुझाने जितना पानी आ चुका है। हालांकि पहले ऐसी स्थिति नहीं थी। पाली जिले को कई बार भीषण जल संकट का सामना करना पड़ा था। उस दौरान जोधपुर शहर ने ही पाली की प्यास बुझाई थी। दरअसल जोधपुर से कई बार पाली के लिए वाटर स्पेशल ट्रेन भेजी जा चुकी है।

2002 में पहली बार चली थी ट्रेन

जोधपुर से पाली के लिए वाटर ट्रेन का संचालन सबसे पहले 2002 में किया गया। इसके बाद 2005 और 2009 में वाटर स्पेशल ट्रेन चली। 2016 में जल संकट के बीच वाटर ट्रेन संचालन की सारी तैयारी कर ली गई थी मगर बरसात हो जाने के कारण अंतिम क्षणों में इसका संचालन रद्द कर दिया गया। 2019 में चौथी बार ट्रेन चली।

1 अक्टूबर 2021 से वाटर ट्रेन चलाना प्रस्तावित था, लेकिन बारिश होने व जवाई बांध में पानी की आवक होने के चलते इसे पेंडिंग रखा गया। इसके बाद 2022 में वाटर स्पेशल ट्रेन को पांचवीं बार रवाना किया गया था। वाटर ट्रेन के एक फेरे में करीब 20 लाख लीटर पानी पाली भेजा जाता है। हालांकि इस बार स्थिति अगल है मानसून की मेहरबानी से जवाई बांध लबालब हो चुका है। अभी तक बांध में करीब 55 फीट पानी आ चुका है।

जालोर-पाली के लिए है संजीवनी

बता दें कि जवाई बांध के पानी पर कृषि क्षेत्र की निर्भरता तो जालोर और पाली जिले को समान रूप है, जबकि पेयजल स्कीस की बात करें तो इसका पानी पेयजल के लिए पाली जिले में होता है। कुल 10 शहर और 780 गांवों के लिए 9 एमसीएफटी पानी रोजाना पानी उपभोग हो रहा है। इस प्रोजेक्ट में सुमेरपुर के 33 गांव कस्बे शामिल हैं। जवाई बांध के पानी पर जालोर के हक निर्धारण की बात चल रही है। मामला हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है। जनहित याचिका पर रिपोर्ट मांगी गई है। इस पूरे मसले में अहम यह भी है कि बांध का पानी जवाई नदी प्रवाह क्षेत्र में नहीं छोड़ने से जालोर का कृषि क्षेत्र पूरी तरह से नष्ट होने के कगार पर है। इसलिए जवाई बांध के पानी पर जालोर के बड़े क्षेत्र की निर्भरता है।

नौ बार हो चुका है लबालब

मानसून में अच्छी बरसात से जवाई बांध में पानी की अच्छी आवक हुई। बांध का निर्माण 1956 में पूर्ण हो गया था। बांध में 13 गेट हैं। बांध अपने निर्माण से लेकर अब तक नौ बार लबालब हो चुका है। पिछले साल भी बांध के गेट खोले गए थे। बांध भरने से पाली, जालोर व सिरोही जिले में पेयजल की किल्लत नहीं रहती है। वहीं बांध के भरने की उम्मीदों से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। बता दें कि पिछले साल 10 सितम्बर को सुबह नौ बजे दो गेट खोले गए थे। सात साल बाद जवाई के गेट खुलने से पूरे पश्चिम राजस्थान में खुशी की लहर दौड़ गई थी।

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