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उपेक्षा: पाली में जन्मे हल्दीघाटी युद्ध के वीर योद्धा को नहीं मिला सम्मान

सोजत (निप्र). हल्दीघाटी के योद्धाओं को जहां विश्व के महान इतिहासकारों द्वारा उचित स्थान देकर इस ऐतिहासिक युद्ध की तुलना यूरोप के थर्मोपोली से कर इनका महत्व बताया।

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उपेक्षा: पाली में जन्मे हल्दीघाटी युद्ध के वीर योद्धा को नहीं मिला सम्मान

उपेक्षा: पाली में जन्मे हल्दीघाटी युद्ध के वीर योद्धा को नहीं मिला सम्मान

सोजत (निप्र). हल्दीघाटी के योद्धाओं को जहां विश्व के महान इतिहासकारों द्वारा उचित स्थान देकर इस ऐतिहासिक युद्ध की तुलना यूरोप के थर्मोपोली से कर इनका महत्व बताया। साथ ही सोजत क्षेत्र से हल्दीघाटी एवं दिवेर के युद्ध में अपने शौर्य से दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाले महान् योद्धा चारण रामा सांदू की उपेक्षा से उनके इतिहास से भावी पीढी को वंचित रखा जा रहा है। इस सम्बध में सोजत क्षेत्र के संगठनों ने चारण रामा सांदू की प्रतिमा को सोजत के एतिहासिक दुर्ग में स्थापित करने की मांग की है।

उल्लेखनीय है कि जून की प्रचंड गर्मी में 1576 में विश्व के सबसे चर्चित हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना की ओर से युद्ध कर अपने अप्रतिम शौर्य से मुगल सेना के छक्के छुड़ा देने वाले योद्धाओं में से एक सोजत के निकटवर्ती ग्राम रामासनी सांदवान के चारण रामा सांदू ने हल्दी घाटी के साथ 1580 में हुए दिवेर युद्ध में भी अदम्य साहस का परिचय दिया। जिसके चलते आज भी उदयपुर के मोती मगरी म्युजियम में उनकी पोट्रेटनुमा फोटो लगी हुई है। हल्दी घाटी म्युजियम में हीरोज गैलेरी में भी उनकी पोटे्रट लगी हुई है।

उन्होंने हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप को मानसिंह के साथ युद्ध करते देख उसका भी वर्णन किया। महाराणा प्रताप को शत्रु पठान को तलवार के एक ही वार से कद्दू की तरह उसके शरीर को दो फंाक में कटते देख इस पर अपनी कविता ‘कट झलम शीश बगतर बरंग अंग कटै, कटै पाखर सुरंग तुरंग’ भी लिखी। महाराणा प्रताप के लिए कई श्रेष्ठ झूलने भी लिखे। वीर चारण रामा सांदू महाराणा प्रताप के लिए लड़ते हुए युद्ध भूमि में वीरगति को प्राप्त हुए। सोजत दुर्ग में कई बार रणनीतिक जामा पहनाने वाले वीर रामा सांदू की दुर्ग में एक भी स्मृति नहीं है। रामासनी सांदवान ग्राम का नाम भी इनकी वीरता के कारण इनके नाम पर पड़ा।
इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड ने लिखा कि राजस्थान में एक भी युद्ध स्थल ऐसा नहीं है जो वीरता में थर्मोपोली युद्धभूमि से कमतर रहा हो। अभिनव कला मंच अध्यक्ष गोरधनलाल गहलोत, सचिव चेतन व्यास, उपाध्यक्ष श्यामलाल व्यास, चारण समाज के वीरेन्द्रसिंह लखावत, अनोपसिंह लखावत, शिवदत्तसिंह, अखेसिंह लखावत, चन्द्रविक्रमसिंह, गजेन्द्रसिंह, महिपालसिंह, रघुनाथसिंह लखावत आदि ने पुरातत्व विभाग एवं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से हल्दीघाटी के इस वीर सूरमा की प्रतिमा सोजत दुर्ग में लगाने की मांग की है।