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नोटबंदी का एक वर्ष : नोट तो बंद हुए थे, पर पाली के धड़कन की कम नहीं हुई गति

नोटबंदी से पाली के कपड़ा उद्योग पर नहीं पड़ा विशेष प्रभाव आज भी पहले जैसा ही हो रहा ट्रांजेक्शन

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पाली

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Rajeev Dave

Nov 09, 2017

notebandi

पाली.

प्रधानमंत्री के पिछले साल आठ नम्बर को नोटबंदी की घोषणा के बाद कई जगह व्यापार प्रभावित हुआ। लोगों को बैंकों के बाहर कतारों में लगाकर नोट बदलवाने पड़े, लेकिन पाली की धड़कन कपड़ा उद्योग पर इसका कोई विशेष प्रभाव नहीं हुआ। यहां के उद्योगपतियों की मानें तो शहर में चल रही करीब 800 से अधिक इकाइयों में नोटबंदी से पहले ही 80 प्रतिशत तक लेन-देन चेक के माध्यम से बैंक द्वारा ही होता था। दूसरा नोटबंदी के समय प्रदूषण की समस्या को लेकर पाली का उद्योग बंद भी था। इस कारण कपड़ा उद्योग इससे अछूता रहा। इधर, पाली में चल रहे दूसरे उद्योग पापड़ के व्यापारी भी नोटबंदी से अपने व्यापार को अप्रभावित ही बता रहे हैं।

नहीं आया था पेमेंट

नोटबंदी के समय एक प्रभाव यह रहा कि पाली के उद्यमी जिन थोक विक्रेताओं को कपड़ा भेजते हैं। वहां से करीब दो-तीन माह तक पेमेंट नहीं आया। जो दो-तीन माह बाद सामान्य हो गया और बैंकों में राशि का आदान-प्रदान पूर्व की तरह ही होने लग गया।

दो माह समस्या रही

पापड़ उद्यमी दीपक छाजेड़ के अनुसार नोटबंदी होने पर हमारा काम कैशलेस होने के कारण अधिक प्रभावित नहीं हुआ। दो माह पेमेंट की समस्या जरूर रही, लेकिन विशेष प्रभाव नहीं रहा। जो लोग कैश में काम करते थे, वे भी नोटबंदी के बाद बैंक से लेन-देने करने लगे। यहां रोजाना करीब 1 लाख किलो पापड़ बनता है। कोई भी व्यापारी अधिकतम 50 हजार का माल खरीदता है, जो छोटी रकम भी है। इस कारण नोटबंदी का अधिक प्रभाव नहीं रहा।

बैंक खाते खुलवा दिए

कपड़ा उद्योग में बैंक से ही भुगतान होने के कारण नोटबंदी का अधिक प्रभाव नहीं पड़ा था। जिन 20 प्रतिशत लोगों को कैश में भुगतान करते थे, उनके भी नोटबंदी के समय बैंक खाते खुलवा दिए।

विनय बम्ब, अध्यक्ष, राजस्थान हैण्ड प्रोसर्स टेक्सटाइल एसोसिएशन, पाली

केश का काम नहीं करते

पाली में कपड़ा उद्योग से कैश का काम बहुत कम है। यहां 80 से 90 प्रतिशत तक व्यापार बैंक लेन-देने से ही करते हैं। उस समय कपड़े पर टैक्स भी नहीं था। इस कारण नोटबंदी का प्रभावित नहीं कर सकी।

अशोक लोढ़ा, सचिव, सीईटीपी, पाली

आंकड़ों का गणित

1 करोड़ मीटर कपड़ा रोजाना बनता है पाली में

20 करोड़ रुपए होती है करीब एक करोड़ मीटर कपड़े की लागत

10 करोड़ मीटर कपड़ा तैयार करवा रहे थे उद्यमी नोटबंदी के समय पाली में

20 प्रतिशत लेने-देन (टैक्सी, चाय व श्रमिकों) को भुगतान होता था कैश में

1.50 लाख लोग करीब जुड़े हैं पाली के कपड़ा उद्योग से