
बांगड़ चिकित्सालय में आई लेप्रोस्कोपी मशीन।
पाली के बांगड़ मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के गायनिक विभाग में आने वाली महिलाओं को ऑपरेशन कराने पर अब अधिक दर्द नहीं सहना होगा। उनका सामान्य तरीके से पेट पर बड़ा चीरा लगाकर किए जाने ऑपरेशन की जगह छोटा सा चीरा लगाकर ही ऑपरेशन किया जा सकेगा। इसके साथ ही सर्जरी विभाग में भी अधिक उच्च तकनीक के माध्यम से ऑपरेशन होंगे।
बांगड़ मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय को करीब 75-75 लाख रुपए की दो लेप्रोस्कोपी मशीन मिली है। इनमें से एक मशीन गायनिक विभाग में स्थापित की जाएगी। जिससे दुरबीन के माध्यम से बच्चेदानी से जुड़े ऑपरेशन किए जा सकेंगे। अस्पताल के सर्जरी विभाग में दुरबीन से ऑपरेशन पहले किए जा रहे थे, लेकिन अब नई मशीन अधिक आधुनिक होने से वहां भी मरीजों का बेहतर उपचार हो सकेगा।
डीएचएल की होगी जांच
डायग्नोस्टिक हिस्टेरोलाप्रोस्कोपी निदान (डीएचएल) की जांच भी लेप्रोस्कोपी मशीन से हो सकेगी। यह एक ऐसी जांच है जिसका उपयोग महिला प्रजनन अंगों में बांझपन से संबंधित स्थितियों का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है। यह जांच अस्पताल में तो निशुल्क होगी, लेकिन बाहर कराने पर इसके 20-25 हजार रुपए तक लगते हैं।
मुख्य रूप से यह होगा लाभ
इनका कहना है
पाली के साथ जो मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय खुले थे, उनमे पाली मेडिकल कॉलेज को सबसे पहले आधुनिक लेप्रोस्कोपी मशीनें मिली है। इससे अब गायनिक विभाग में भी दुरबीन से ऑपरेशन किए जा सकेंगे।
डॉ. दीपक वर्मा, नियंत्रक व प्रिंसिपल, मेडिकल कॉलेज, पाली
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पेट के अंगों को देख सकते हैं
पेट के अंगों को देखने के लिए लेप्रोस्कोप का उपयोग किया जाता है। लेप्रोस्कोप एक लंबी, पतली ट्यूब होती है। जिसके सिरे पर एक उच्च-तीव्रता वाला प्रकाश और उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरा लगा होता है। इस उपकरण को पेट की दीवार में एक छोटा सा चीरा लगाकर अन्दर डाला जाता है। कैमरे की सहायता से चिकित्सक शरीर के भीतर देखकर ऑपरेशन कर देते हैं।
डॉ. बालगोपालसिंह भाटी, यूनिट हेड, गायनिक विभाग
Published on:
12 Feb 2024 11:29 am
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