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मंत्रीजी! आपके फर्ज से चुकेगा, ‘मातृभूमि का कर्ज’

- बूटासिंह के बाद जोधपुर संभाग से अश्विनी वैष्णव दूसरे शख्स, जो बने रेल मंत्री- पाली, जालोर व सिरोही के उद्यमी देश विकास की बढ़ा रहे रफ्तार, उन्हें रेल मंत्रालय से भी आस

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पाली

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Suresh Hemnani

Oct 03, 2021

मंत्रीजी! आपके फर्ज से चुकेगा, ‘मातृभूमि का कर्ज’

मंत्रीजी! आपके फर्ज से चुकेगा, ‘मातृभूमि का कर्ज’

पाली। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) और दिल्ली-मुम्बई इण्डस्ट्रीयल कॉरिडोर (डीएमआइसी) मारवाड़-गोडवाड़ ही नहीं समूचे प्रदेश की तकदीर बदलने में कारगर साबित होगा। डीएफसी टे्रक पर मालगाडिय़ों का परिवहन शुरू हो चुका हैं। डीएमआइसी के तहत रोहट, पाली और मारवाड़ जंक्शन क्षेत्र में जल्द ही औद्योगिक गतिविधियां शुरू होंगी, इसके लिए कवायद चल रही है। यहां निवेशक बड़ी तादाद में आएंगे। ऐसे में रेल सेवाओं का समुचित विस्तार बेहद जरूरी है। पूरे देश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान रखने वाले प्रवासी राजस्थानियों की जन्म भूमि भी मारवाड़-गोडवाड़ है।

पाली, जालोर, सिरोही के प्रवासी राजस्थानी महाराष्ट्र, गुजरात, बेंगलूरु, हैदराबाद, चैन्नई सहित आसपास के प्रदेशों में रहते है। त्योहारी सीजन व शादियों की सीजन में लाखों प्रवासी मारवाड़ गोडवाड़ आते हैं, लेकिन ट्रेन नहीं मिलती। सीमित ट्रेन व सीमित सीटों के कारण वे ज्यादा किराया देकर बसों व फ्लाइट से आना-जाना करते हैं। खासकर जोधपुर, पाली, सोजत रोड, बर, सेंदड़ा, मारवाड़ जंक्शन, रानी, फालना, जवाई बांध, आबूरोड से ये प्रवासी बैठते व उतरते है। दक्षीणी प्रांत की ट्रेनों को बढ़ाकर प्रवासी राजस्थानियों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में जोड़ा जा सकता है। वे रेलवे के विकास की रफ्तार भी बढ़ा सकते हैं।

दिल्ली व जयपुर के लिए मुख्याल से सिर्फ एक ट्रेन
पाली मुख्यालय से जयपुर व राजधानी दिल्ली जाने के लिए रोजाना सैकड़ों यात्री बसों में जाते है। पाली मुख्यालय से इन दोनों जगहों के लिए केवल एक ट्रेन रानीखेत एक्सप्रेस ही चलती है। मंत्रीजी यहां के लिए ट्रेन बढ़ाई जाए।

बर-बिलाड़ा रेल ट्रेक तो शुरू कर दो, बरस बीत गए
जोधपुर को राजधानी जयपुर के ट्रेक से जोडऩे का शॉर्टकट बर -बिलाड़ा रेलवे ट्रेक को जोडऩे की घोषणा कई बार हो चुकी है। हर सरकार यह घोषणा करती है, लेकिन काम नहीं होता। बर-बिलाड़ा ट्रेक से जुडऩे से यात्री जोधपुर से अजमेर व जयपुर शॉर्ट कट आ जा सकेंगे। इधर, बर तक रेलवे लाइन है और उधर बर तक लाइन चल रही है। केवल 50 किलोमीटर तक लाइन बिछानी है, आजादी के बाद से यह काम नहीं हो पाया।

अण्डरब्रिज एक भी सहीं नहीं, हालात खराब
रेल मंत्री जी, जिले में जितने भी रेलवे अण्डरब्रिज बनाए गए हैं, ये सभी ठीक स्थिति में नहीं है। बारिश में दिनों में ये जवाब दे जाते हैं। रायपुर मारवाड़ का हरिपुर रेलवे अंडरब्रिज में पानी भरने से कई गांवों का कनेक्शन देश दुनिया से कट जाता है। इसी प्रकार मारवाड़ जंक्शन, सोमेसर, पाली शहर व ग्रामीण इलाकों के सभी अंडरब्रिज जवाब दे रहे हैं।

यार्ड तो बना दो, गरीबों का गेहूं भीग जाता
पाली रेलवे स्टेशन पर हर थोड़े दिनों में एफसीआई का गेहूं उतरता है। यहां स्टेशन पर गेहूं रखने का यार्ड नहीं है, ऐसे में पिछले कई सालों से यह गेहूं बारिश के दिनों में भीग जाता है। डीआरएम को कई बार समस्या बता दी, मंत्रीजी अब यहां यार्ड तो बना दो।

इसे झील कहें या अंडरब्रिज : बारिश के दिनों में बनता है राहत की जगह आफत
मारवाड़ जंक्शन। कस्बे के बीच से रेलवे टे्रक बना हुआ है। आसपास आबादी निवास करती है। पटरियां पार करने का कोई विकल्प नहीं है। आमजन को अपनी जान जोखिम में डालकर पटरियां क्रॉस करनी पड़ती है। फुट ओवरब्रिज से समस्या का काफी हद तक समाधान हो सकता है।

मिनी अण्डरब्रिज में प्रतिदिन लगता है जाम
कस्बे मे यातायात भार ज्यादा होने के कारण डब्ल्युआर गेट के पास बने मिनी अण्डरब्रिज में प्रतिदिन वाहनों का जाम लग जाता है। ऐसे में वाहन चालक भारी परेशानी का सामना करते हैं।

प्लेटफार्म नहीं है टीन शेड
स्थानीय रेलवे स्टेशन पर तीन ब्रॉडगेज रेलवे ट्रेक के प्लेटफार्म है तथा एक मीटरगेज रेलवे प्लेटफार्म है। एक नंबर पर पुराने स्टेशन की तरफ, दो व तीन पर पर्याप्त मात्रा में टीन शेड की व्यवस्था नही है। मीटरगेज प्लेटफार्म पर टीन शेड की व्यवस्था नहीं है। पार्र्किंग पर भी टीन शेड लगा हुआ नहीं है।

सुरक्षा के नही पुख्ता इंतजाम
इस रेलवे स्टेशन पर चारों दिशाओं से ट्रेनो का आवागमन होता है। प्रतिदिन सैकड़ों ट्रेनें आती है। हजारों यात्री यात्रा करते हैं। ऐसे में यहां पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं है। लगेज स्कैनर भी नहीं है। यात्रियों के जांच करने वाली मशीन भी नहीं है।

स्टेशन पर हो एटीएम, स्केलेटर व मेडिकल की व्यवस्था
रेलवे जंक्शन पर एटीएम की व्यवस्था होनी चाहिए। बुजुर्गों व विकलांगो के लिए स्वचलित सीढ़ीयों की व्यवस्था भी नहीं है। स्टेशन पर मेडिकल की सुविधा की भी दरकार है।

टे्रनों का ठहराव हो
अहमदाबाद से दिल्ली आश्रम एक्सप्रेस, गोरखपुर-अहमदाबाद-गोरखपुर एक्सप्रेस, भगत की कोटी से बांद्रा स्पेशल, ओखा-देहरानदून-ओखा ट्रेन, गरीब रथ ट्रेन एक्सप्रेस, नई दिल्ली से अहमदाबाद साप्ताहिक एक्सप्रेस

जालोर : अंग्रेजों के समय का यह रेलवे ट्रेक, ब्रॉडगेज में तब्दील पर सुविधाओं का अभाव
जालोर। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाने वाला समदड़ी-भीलड़ी रेल खंड अंग्रेजों के शासन काल में बिछाया गया था और उसके बाद मीटर गेज ट्रेक पर सफर चलता रहा। इस बीच ब्रॉडगेज प्रोजेक्ट क्रियान्वित होने के बाद इस ट्रेक पर वर्ष 2010 में यात्री गाडिय़ों का संचालन शुरू हो पाया। एक दशक से अधिक का समय गुजरने के बाद भी समदड़ी-भीलड़ी रेल खंड में बहुत सी कमियां है, जिन्हें दूर करने की जरुरत है। यह रेलवे ट्रेक एक तरफ बाड़मेर और जोधपुर को कनेक्ट करता है। दूसरी तरफ , समदड़ी से भीलड़ी वाया जालोर होते हुए गुजरात राज्य की कनेक्टिविटी का माध्यम भी है। इसी रूट से भीलड़ी से आगे पोर्ट और सामरिक दृष्टि से जुड़े महत्वपूर्ण भुज क्षेत्र का जुड़ाव भी है।

जयपुर-दिल्ली के लिए सीधी ट्रेन नहीं
जालोर में ग्रेनाइट उद्योग खास पहचान रखता है और इस उद्योग की बड़ी मंडियां भी यहीं है। लेकिन अब तक जालोर होते हुए जयपुर दिल्ली के लिए कोई सीधी ट्रेन नहीं है। इसके लिए लंबे समय से मांग उठ रही है। सीधी ट्रेन के संचालन से उद्यमियों को फायदा होगा।

जालोर में कंटेनर डिपो की जरूरत
जालोर में 1300 से अधिक ग्रेनाइट इकाइयां है और देशभर ही नहीं विदेशों तक यहां से ग्रेनाइट पहुंचता है। रेल लाइन होने के बाद भी जालोर में अब तक लोडिंग प्वाइंट नहीं है। हालांकि यहां से कंटेनर डिपो की स्थापना के लिए तीन बार प्रयास हुए, लेकिन प्रयास सफल नहीं हो पाए हैं।

दक्षिण भारत के लिए ट्रेनों के फेरे बढ़े
जालोर जिले से प्रवासी अधिक संख्या में गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटका, तमिलनाडु में व्यापार करते हैं। पिछले तीन सालों में इन राज्यों के लिए ट्रेनों का संचालन हो रहा है, लेकिन फेरों की संख्या कम है। मुख्य रूप से बाड़मेर-यशवंतपुर टे्रन के फेरे बढ़ाने के साथ बीकानेर-दादर सुपरफास्ट टे्रन को नियमित करने की जरूरत है। चैन्नई के लिए एक लंबी दूरी की टे्रन वाया समदड़ी-भीलड़ी संचालित की जाए।
सिरोही

सिरोही : आजादी के बाद से सिरोही के रेलवे कनेक्शन का इंतजार
सिरोही। आजादी के 75 साल बाद भी सिरोही जिला मुख्यालय रेलवे से नहीं जुड़ पाया है। सिरोहिवासियों की एक उम्मीद है कि रेलमंत्री ये एक सपना पूरा कर जाओ, सिरोही जिला मुख्यालय को रेलवे से जोडऩे का साहस दिखा दो। वैसे, सिरोही के लोग समय-समय पर जनप्रतिनिधियों से सिरोही जिला मुख्यालय को रेलवे से जोडऩे की कई मर्तबा गुहार लगा चुके हैं पर जनप्रतिनिधि केन्द्र सरकार के समक्ष कारगर पैरवी कर पाए। सिरोही जिला मुख्यालय को रेलवे लाइन से जोडऩे के लिए पूर्व केन्द्रीय मंत्री बूटासिंह से लेकर अब तक कई जनप्रतिनिधि कई बार रेलवे लाइन के लिए सर्वे की बात कर चुके हैं। वर्ष 2015 व 2016 में सर्वे के लिए बजट भी पारित किया गया, लेकिन सर्वे का नतीजा पता नहीं चला।

सर्वे बागरा जालोर रेलवे स्टेशन से सिरोही होते हुए पिण्डवाड़ा और पिण्डवाड़ा रेलवे स्टेशन से उदयपुर तक नई रेल लाइन बिछाकर इन चारों शहरों को कनेक्ट करने के लिए हुआ बताया। दीगर प्रश्न यह है कि जम्मू-कश्मीर सरीखे पहाड़ी इलाकों में रेल लाइन बिछ सकती है तो जालोर, सिरोही, पिण्डवाड़ा, उदयपुर के बीच क्यों नहीं बिछ सकती।

आबूरोड-अम्बाजी-तारंगा हिल को जोडऩे की परियोजना गायब
केन्द्र में यूपीए सरकार के कार्यकाल में जब गुजरात के भरत सोलंकी रेल राज्यमंत्री थे, तब उन्होंने 1695.72 करोड़ की लागत के प्रोजेक्ट से मंदिरों की नगरी अम्बाजी को राजस्थान में आबूरोड रेलवे स्टेशन व गुजरात में जैन तीर्थधाम तारंगाजी के तारंगा हिल रेलवे स्टेशन से जोडऩे की स्वीकृति की बात की थी। आगे कुछ नहीं हो पाया। दिलचस्प बात तो यह है कि तारंगा हिल रेलवे स्टेशन पीएम मोदी के गृह कस्बे वडनग़र वाली रेलवे लाइन से ही जुड़ा हुआ है।

ये परियोजनाएं या तो पूरी या पूरा होने के कगार पर
बेशक सिरोही जिले से गुजरती रेलवे लाइन के दोहरीकरण, सिर्फ गुड्ज ट्रेनों के दौडऩे के लिए रेवाड़ी हरियाणा-इकबालगढ़-गुजरात तक अलग ट्रैक की गोल्डन कॉरिडोर, रेलवे लाइन के विद्युतीकरण, सरूपगंज के पास करीब चार सौ एकड़ भूमि पर सूखा बंदरगाह सरीखी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के काम या तो पूरे हो चुके है या पूरे होने के कगार पर चल रहे हैं।

पाली रेलवे एक नजर
कुल ट्रेन दिनभर में-21
यात्रीभार हर माह- 1100 करीब

ट्रेन जो नहीं रुकती पाली रेलवे स्टेशन
-बांद्रा-भगतकोठी एक्सप्रेस
-उधमपुर एक्सप्रेस
-त्रिसुन्नापली हमसफर एक्सप्रेस

मारवाड़ जंक्शन रेलवे स्टेशन
प्रतिदिन ठहराव -26 टे्रनें
प्रतिदिन सीधे निकलती - 06 टे्रनें
यात्रीभार -2000

फालना रेलवे स्टेशन
साप्ताहिक टे्रनें-30
प्रतिदिन टे्रनों का ठहराव-08
प्रतिदिन सीधे निकलती टे्रनें-10

पब्जिक व्यू...
प्रवासियों के लिए सबसे बड़ी दिक्तत सिरोही जिला मुख्यालय का रेल लाइन से अभी तक नहीं जुड़ पाना है। कारण कि अन्य राज्यों से जो ट्रेन आबूरोड या पिण्डवाड़ा आती है। उनमें अधिकांश ट्रेन देर रात एक बजे से तीन बजे के बीच स्टेशन पर उतारती है। ऐसे में सिरोही या जालोर की तरफ जाने वाले प्रवासियों को गंतव्य तक जाने के लिए साधन नहीं मिल पाता। इसलिए रेल मंत्री को चाहिए कि वे प्रवासियों को ध्यान में रखते हुए पिण्डवाड़ा से जालोर वाया सिरोही होते हुए रेल लाइन से जोड़ें ताकि राहत मिल सके। -शंकर भाई माली, टोरसा ग्रुप सदस्य, राजस्थान मीटरगेज प्रवासी संघ

हमने पिछले दिनों मंडल रेल प्रबंधक की अध्यक्षता में हुई बैठक में क्षेत्र की विभिन्न रेलवे सम्बंधित समस्याओं को उठाया था। करीब एक दशक पूर्व आबूरोड अम्बाजी रेल लाइन के लिए सर्वे हो चुका है, लेकिन अब तक बजट स्वीकृति के अभाव में कार्य शुरू नहीं हुआ है। गांधीनगर ओवर ब्रिज के कार्य को शीघ्र पूरा करने, आबूरोड रेलवे स्टेशन पर एस्केलेटर की व्यवस्था करने, अंडर ब्रिज में बरसाती पानी के भराव से हो रही परेशानी से निजात दिलवाने की मांग की गई थी। -लाभशंकर त्रिवेदी, सदस्य रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति अजमेर

तिरूपति से राजस्थान के लिए कोई टे्रन नहीं है। इस बारे में कई बार मांग भी उठा चुके हैं। तिरूपति को पुष्कर और अजमेर तीर्थ स्थल से जोडकऱ टे्रन शुरू की जानी चाहिए। इससे प्रवासी राजस्थानियों को भी फायदा होगा। पाली, जालोर, सिरोही में रेल सेवाओं का विस्तार किया जाना बेहद जरूरी है। यह न केवल यात्रियों के लिए सुविधाजनक होगा, बल्कि औद्योगिक विकास के लिए भी सहायक होगा। रेल मंत्रालय को इस दिशा में विचार करना चाहिए। -गजेन्द्र कुमावत, निवासी निमाज, तिरूपति में व्यवसायी

जोधपुर-पाली के मध्य रोहट में दिल्ली-मुम्बई कॉरिडोर बन रहा है। ऐसे में पाली जिले में रेल सेवाओं का विस्तार भविष्य के लिहाज से भी जरूरी है। पाली जिला मुख्यालय से रात्रिकालीन दिल्ली के लिए सीधी रेल सेवा शुरू की जानी चाहिए। कुछ टे्रनों का ठहराव भी सुनिश्चित किया जाए। औद्योगिक विकास के साथ-साथ प्रवासी राजस्थानियों का जुड़ाव हमारे क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। रेल मंत्री को इस बारे में जल्द कदम उठाना चाहिए। -राकेश मेहता, पूर्व सदस्य, रेल परामर्शदात्री समिति, पाली