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पाली. मूलियावास के निकट स्थित साटिया बस्ती के डेरे की बेटियों के सपने परिवार के लोग ही तोड़ रहे है। खेलने-कूदने और स्कूल जाने की उम्र में यहां की बेटियों को कमाई के चक्कर में परिवार के लोग ही देह व्यापार के दलदल में उतार देते हैं। ग्राहकों को कैसे रिझाते हैं, यह सब कुछ उनकी मां और बड़ी बहन से ही सीखने को मिलता है। सालों से चली आ रही इस कुप्रथा से बेटियों के सपने तो चूर हो ही रहे हैं, उनके स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
40 घरों की बस्ती
मूलियावास गांव के निकट स्थित साटिया बस्ती के करीब ४० घर है। यहां करीब ४० से अधिक युवतियां इस व्यापार में लिप्त है। इसी बस्ती की ही एक महिला ने बताया कि १२ वर्ष की उम्र के बाद युवतियों को इस व्यापार में लगा दिया जाता है।
लड़के भी नहीं पढ़ते
सरकार एक ओर शिक्षा को बढ़ावा दे रही है तो दूसरी तरफ स्थिति यह है कि इस बस्ती के न तो लड़के और न ही लड़कियों के परिवार के लोग पढ़ते हैं। इस बस्ती के युवक मजदूरी का काम करते हैं तो युवतियां देह व्यापार में लिप्त है।
मोहल्ले में ही है पांचवीं तक स्कूल
इस बस्ती में ही पांचवी तक स्कूल के लिए भवन का निर्माण कार्य चल रहा है। जो इन दिनों अंतिम चरण में है। ऐसे में बस्ती के ही एक घर में पांचवी तक की स्कूल चल रही है। इसमें २० से भी कम बच्चे हैं। सभी कक्षाओं के बच्चों को एक साथ बिठाकर अध्यापक हिम्मताराम पढ़ाते हैं। उन्होंने बताया कि मोहल्ले की अधिकतर बालिकाओं को परिवार के लोग ही पांचवी से आगे नहीं पढ़ाते। कई बार समझाइश कर चुके हैं।
मैं पढऩा चाहती थी लेकिन...
परिवार के द्वारा देह व्यापार में झोंकी गई एक युवती से पत्रिका ने बात की तो उसका दर्द झलक गया। उसने बताया कि वह तो अन्य लड़कियों की तरह आगे पढऩा चाहती थी और चिकित्सक बनबनने की इच्छा थी। जिससे कि मोहल्ले की महिलाओं का इलाज कर सकंू। लेकिन, मां और बड़ी बहन ने बताया कि पढ़ाई लिखाई हमारा काम नहीं है। अपना काम यह धंधा है। इतना कहते ही उसकी आंखों से आंसू आ गए। पत्रिका ने इस बदनाम बस्ती की अन्य लड़कियों से भी बात करना चाहा, लेकिन परिवार के लोगों ने बात नहीं करने दी।
Published on:
12 Sept 2017 12:33 pm
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