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प्रदेश की नदियों में पानी नहीं बह रहा है जहर

locationपालीPublished: Nov 24, 2021 03:56:40 pm

Submitted by:

Suresh Hemnani

– प्रदेश की नदियों में प्रदूषण की मात्रा बढ़ी- पानी पीना तो दूर अब नहाने के लायक भी नहीं- आसपास के खेत बंजर, लोग रोगग्रस्त

प्रदेश की नदियों में पानी नहीं बह रहा है जहर

प्रदेश की नदियों में पानी नहीं बह रहा है जहर

-सिकन्दर पारीक
जोधपुर। प्रदेश की कई जीवनदायिनी नदियों में निर्मल जल की धारा की बजाय प्रदूषण का जहर बह रहा है। नदियों का पानी प्रदूषण के खतरे की सीमाएं पार कर चुका है। समाधान के नाम कागजी योजनाओं पर पैसा जरूर बहा रहे हैं। इधर समस्या गहराती जा रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार देश की तकरीबन 521 में से 323 नदियों की हालत इतनी बुरी है कि उनके पानी में नहा भी नहीं सकते हैं। इनमें राजस्थान की बनास व चंबल शामिल है। इससे पहले हुए सर्वे में पाली की बांडी, जोधपुर की जोजरी और बाड़मेर की लूणी को सर्वाधिक प्रदूषित माना गया था। इनकी हालात भी जस की तस है। सर्वाधिक नुकसान आसपास के गांवों के किसानों को हो रहा है। खेत बंजर हो रहे हैं। कई जगह प्रदूषित गंदे पानी से सब्जियां उगाकर घर की रसोई में जहर परोसा जा रहा है। केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड की कार्रवाई के साथ एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) ने कई बार फटकार व जुर्माना लगाया, लेकिन नतीजा सिफर है।
भयावह है हालात
इन प्रदूषित नदियों में बीओडी 3 मिग्रा प्रति लीटर से कहीं ज्यादा है। मानक के अनुसार पीने के पानी में अधिकतम बीओडी दो या उससे कम होना चाहिए और नहाने के पानी में यह तीन से किसी भी कीमत पर अधिक नहीं होना चाहिए। इनमें आयरन, लेड, कैडमियम, कॉपर और निकल अधिकतम मात्रा में पाए गए हैं।
लग रहे हैं ये रोग
प्रदूषित पानी से डायबिटीज, हृदय रोग, गुर्दा रोग, अनीमिया, फेफड़े, सांस, पेट के रोग, जोड़ों में दर्द, सीने में खिंचाव, मांसपेशियों में दर्द, खांसी, थकान, उच्च रक्तचाप, कैंसर, अल्सर, हड्डियों की बीमारी व डायरिया समेत कई रोग लग रहे हैं।
नदी प्रदूषण के प्रमुख कारण
-औद्योगिक अपशिष्ट
-घरों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ और गंदे नाले
-अपशिष्ट उपचार संयंत्रों का खराब संचालन

यह है बानगी
बांडी नदी
पाली स्थित इस नदी के किनारे पर ही कपड़े की इकाइयां संचालित है। कुछ साल पूर्व तक इकाइयों का प्रदूषित पानी नदी में हो छोड़ा जाता था। कहने को तो एनजीटी की फटकार के बाद अब पानी नदी में नहीं बहाया जा रहा। लेकिन चोरी छिपे यह जारी है। नदी में प्लांटेशन समेत कई प्लान बने थे, लेकिन कोई काम नहीं हुआ।
जोजरी नदी
जोधपुर स्थित इस नदी में शहर के कई इलाकों का गंदा पानी व औद्योगिक इकाइयों का रसायनयुक्त पानी गिरता है। कई किसान इसी पानी से सब्जियां व फसल उगा रहे हैं। सीवरेज पानी को उपचारित करने के लिए प्रस्तावित कई एसटीपी कागजों से बाहर नहीं निकले हैं। करीब 20 करोड़ खर्च कर जोजरी से स्लज निकाला गया था। हालात वैसे ही है। जोजरी रिवर फ्रंट की डीपीआर बनी है, जिस पर दो करोड़ व्यय हुए। मुख्यमंत्री की बजट घोषणा में जोजरी रिवर फ्रंट शामिल है।
चंबल नदी
कोटा की इस सदानीरा इस नदी की पानी प्रदूषण से काला हो रहा है। गत वर्ष यहां लाखों की संख्या में मछलियां मर गई थी। हालत सुधारने के नाम पिछले सालों में करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं। वर्ष 2009 में 150 करोड़ तो अब नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा योजना के तहत फिर 258.48 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए हैं।
बनास नदी
किसानों की जीवनदायिनी इस नदी में प्रोसेस हाउस का काला पानी व एसिड बहाया जा रहा है। इससे आसपास के खेत खलियान उजड़ गए हैं। धीरे धीरे प्रदूषित जल का फैलाव बीसलपुर बांध और कोठारी नदी में भी होने लग गया है। सुधार की योजनाएं कागजों में दम तोड़ रही है।
लूणी नदी
बाड़मेर की इस नदी में औद्योगिक इकाइयों का केमिकलयुक्त पानी मिल रहा है। कुछ वर्ष तक बालोतरा व आसपास की टैक्सटाइल इकाइयां पूरी तरह बंद करवा दी गई थी, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। बिना उपचारित प्रदूषित पानी मरूगंगा को मैली कर रहा है।
इनका कहना है
चंबल और बनास के साथ ही पश्चिमी राजस्थान की लूणी सर्वाधिक प्रदूषित है। सहायक नदी बांडी व जोजरी का पानी भी प्रदूषित हो गया है। पहले अच्छी बारिश होने पर लूणी के दोनों किनारों के 100.100 किलोमीटर का क्षेत्र हरा-भरा रहता था। अब पानी लाल-पीला हो गया है। लूणी का प्रदूषित पानी जालोर के सांचौर तक चला गया है। राज्य की अधिकांश नदियां प्रदूषित औद्योगिक इकाइयों के केमिकलयुक्त पानी से हो रही है। टैक्सटाइल पार्क और गंदे पानी को अधिकाधिक रूप से उपचारित करना ही उपाय है। क्योंकि, रोजगार के साथ ही नदियों की पवित्रता बनाए रखना भी सभी का दायित्व है। सदन में भी यह मामला उठाया गया था। अभी भी नदियों के प्रदूषण और बढ़ते नुकसान की शिकायतें आ रही है। –राजेन्द्र गहलोत, राज्यसभा सांसद
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