काश्तकार बोले कि हम मर जाएंगे पर हमारी जमीन नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, बार-बार जयपुर के चक्कर काट रहे हैं, इससे अच्छा है हमें हमारी जमीने देनी ही नहीं है। मंगलवार को पाली जिले के रोहट कस्बे में डीमएआईसी प्रोजेक्ट की हुई जनसुनवाई में रोहट के पूर्व सरपंच एवं जिला प्रमुख प्रतिनिधि सिद्धार्थ सिंह और काश्तकारों ने विरोध करते हुए अधिकारियों से कही।
रोहट क्षेत्र के नौ गांवों में डीएमआईसी प्रोजेक्ट को लेकर निजी खातेदारी भूमि अवाप्ति को लेकर कुछ समय पहले सामाजिक अंकेक्षण टीम की ओर सर्वे किया गया था। जिसको लेकर मंगलवार को रोहट व निम्बली गांव के काश्तकारों की जनसुनवाई रोहट कस्बे के महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय में आयोजित की गई। जनप्रतिनिधि एवं काश्तकारों ने विरोध करते हुए कहा कि इस प्रोजेक्ट से रोहट क्षेत्र के काश्तकारों के साथ घोर अन्याय हो रहा है। आंखों पर पट्टी बांध कर सर्वे किया गया है। काश्तकार, वन्यजीवों का जीवन संकट में डालकर यहां पर डीएमआईसी प्रोजेक्ट लगाकर अन्याय किया जा रहा है। काश्तकारों को मुआवजा भी डीएलसी दर से मात्र 2.6 गुणा ही दिया जा रहा है। जबकि यहां की डीएलसी दरे नाम मात्र है।
ये रहे मौजूद
जनसुनवाई में अतिरिक्त जिला कलक्टर चन्द्रभान सिंह भाटी, उपखंड अधिकारी भंवरलाल जनागल, तहसीलदार प्रवीण चौधरी, रोहट पूर्व सरपंच एवं जिला प्रमुख प्रतिनिधि सिद्धार्थ सिंह, सरपंच भरत पटेल, रीको डिप्टी डायरेक्टर ओ पी थानवी, रीको के प्रवीण गुप्ता, थानाधिकारी उदय सिंह, पूर्व जिला परिषद सदस्य केशर सिंह परिहार सहित ग्रामीण मौजूद थे।
हजारों की संख्या में है वन्य जीव
रोहट क्षेत्र में हजारों की संख्या में वन्यजीव है। रोहट क्षेत्र में काला हरिण, खरगोश, नील गाय सहित अन्य पशु-पक्षी भी यहां पर विचरण करते रहते है। ऐसे में यहां पर डीएमआईसी प्रोजेक्ट लगने के बाद में इन वन्यजीवों का क्या होगा.., कहा जाएंगे.., इसका जबाब जनसुनवाई में आए अधिकारियों के पास भी नहीं मिला।
काश्तकार भूमिहीन हो जाएंगे
वर्तमान समय में रोहट क्षेत्र में डीएलसी दर बहुत ही कम है। हाईवे से एक किलोमीटर तक डीएलसी दर थोडी अधिक है, लेकिन एक किलोमीटर बाद में डीएलसी दर सभी के लिए एक सम्मान है। ऐसे में सरकार की ओर से डीएलसी दर से 2.6 गुणा ही मुआवजा दिया जा रहा है। जबकि प्रावधान 4 गुणा मुआवजा देने का है। रोहट में डीएलसी दर कम होने से मुआवजा बहुत ही कम आएगा।
यह है डीएमआईसी
दिल्ली व मुम्बई के मध्य डेडीकेट फ्रेंट कॉरिडोर व दिल्ली मुम्बई इण्डस्ट्रीयल कॉरीडोर परियोजना बनाई जा रही है, जो देश के छह राज्यों से होकर गुजरेगी। इसमें लगभग 39 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान का है। इस परियोजना में 24 औद्योगिक रीजन, 8 स्मार्ट सिटी, इन्टरनेशनल एयरपोर्ट, पावर प्रोजेक्टस, रेपिट ट्रांजिट सिस्टम, लॉजिस्टिक हब बनाए जा रहे हैं। इस योजना की लम्बाई 1504 किलोमीटर है। वर्ष 2009 में राज्य सरकार का भारत सरकार के साथ एमओयू निष्पादित किया गया था। जिसका मास्टर प्लान वर्ष 2016 में लागू किया गया था। इस योजना में राजस्थान में 5 इंनवेस्टमेंट नोटस प्रस्तावित है। जिसमें पाली-जोधपुर-मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र जेपीएमआईए विकसित किए जा रहे है। इसमें फेज ए में 638.4628 हैक्टयर भूमि, फेज बी में 1266.2693 हैक्टयर भूमि एवं फेज सी में 1277.4874 हैक्टयर भूमि विकसित की जाएगी