Kumbhalgarh-Bhima Assembly :
-विनोदसिंह चौहान
महाराणा कुंभा की धरती कुंभलगढ़ का इतिहास सुनकर भुजाएं फड़कतीं है। खून उबल जाता है। करीब साढ़े चार सौ साल पहले निर्मित कुंभलगढ़ दुर्ग और इसके चारों तरफ करीब 36 किलोमीटर लंबी अभेद्य दीवार दुनिया को हमारे शौर्य और पराक्रम की कहानियां कहती है। कभी यहां वीरों के रक्त से धरा लाल हो जाया करती थी, आज पानी की बूंद-बूंद को तरस रही है। यहां का इतिहास जितना समृद्ध है, वर्तमान उतना ही अभावों से भरा। कुंभलगढ़ और भीम विधानसभा क्षेत्र में 150 किलोमीटर तक फैले गांव पानी को तरस रहे हैं। कुंभलगढ़ में सालाना करीब आठ लाख से ज्यादा सैलानी वीरों की धरती पर मत्था टेकने आते हैं।
सरकारें बदलती रहीं…नहीं बदली किस्मत
सुबह आठ बजे पाली से रवाना होकर चारभुजा नाथ मंदिर के पास गाड़ी रोककर चर्चा छेड़ी तो पेयजल संकट की पीड़ा लोगों की आंखों और चेहरे पर साफ नजर आई। स्थानीय लोगों के मन में टीस है कि सरकारें बदलती रहीं, लेकिन उनकी किस्मत नहीं बदली। क्षेत्र के भोलेश्वर प्रसाद पालीवाल ने कहा कि बरसों पहले पूर्व सिंचाई मंत्री स्व. हीरालाल देवपुरा ने बेड़च नाका पर बांध बनाने के लिए शिलान्यास किया था, तब से आज तक चारभुजा, मानावतों का गुढ़ा, छीलवाड़ा, सुरावड़, इच्छेड़, सुखार, बोराणा सहित करीब 35 गांव बांध की बाट ही जोह रहे हैं। यहां का समूचा पानी मारवाड़ चला जाता है और हम 800 रुपए का टैंकर डलवाने के लिए मजबूर हैं। शिलान्यास वाले पत्थर को देखकर मन उखड़-सा जाता हैं। यहां से हम आगे बढ़ते रहे और पेयजल किल्लत का मुद्दा साथ-साथ चलता रहा।
एक मटका पानी की कीमत 10 रुपए
कुंभलगढ़ के गोमती चौराहे पर चाय पीने रुके तो दुकानदार मांगीलाल ने बताया कि यहां कोई सवारी वाहन नहीं रुकता। सरकार ने यूरिनल तक नहीं बनाए। पानी की कमी के कारण उद्योग-धंधे नहीं पनप रहे। व्यापारी रेहड़ी वालों से मीठा पानी खरीदते हैं। वह भी एक मटका भरने के 10 रुपए वसूल रहे हैं।
भीम: नरेगा ही भर रहा ग्रामीणों का पेट
अरावली पर्वतमाला व चारों तरफ हरियाली से घिरे भीम विधानसभा क्षेत्र के लोगों के जीवन में खुशहाली का अभाव है। भीम मगरा इलाका है। यहां रोजगार बड़ा मुद्दा है। लोग गुजरात और महाराष्ट्र पलायन करते हैं। बीसलपुर बांध से पानी की परियोजना स्वीकृत हुई है। जिससे पानी की समस्या हल होने की उम्मीद बंधी है। एक दुकान पर बैठे सोहनदास बोले, लोग नरेगा में मजदूरी करते हैं, तब चूल्हा जलता है। राधेश्याम सैन का कहना था कि सरकार ने भरोसा दिलाया था कि भीम को चंबल से जोड़ेंगे, लेकिन अब तक इंतजार है। भीम के उपजिला चिकित्सालय में आए मरीजों ने नि:शुल्क दवा और इलाज को बेहतर बताया।