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RAS Result 2021 : इन लोगों से सभी को लेनी चाहिए सीख, बढ़ना चाहिए आगे

नया कीर्तिमान : पाली के 15 होनहार बने आरएएस, परिजनों की खुशी का नहीं रहा ठिकाना

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पाली

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Suresh Hemnani

Nov 19, 2023

RAS Result 2021 : इन लोगों से सभी को लेनी चाहिए सीख, बढ़ना चाहिए आगे

RAS Result 2021 : इन लोगों से सभी को लेनी चाहिए सीख, बढ़ना चाहिए आगे

RAS Recruitment Exam 2021 के अंतिम साक्षात्कार के बाद शुक्रवार देर रात राजस्थान लोक सेवा आयोग ने परिणाम घोषित किया। इसमें पाली के गांवों में रहने वाले छह होनहारों ने परचम फहराया। उनके परीक्षा में चयन होने से परिजनों के साथ ग्रामीणों में खुशी छा गई। उन्होंने होनहारों का माला पहनाकर व मिठाई खिलाकर बहुमान किया। आरएएस में चयनित सभी होनहारों ने एक बात समान रूप से कही कि सफलता के लिए कठिन मेहनत के साथ लगन जरूरी है। भले ही पिछले परिणाम आपके पक्ष में नहीं रहे हो, लेकिन लक्ष्य पाने की ललक कम नहीं होनी चाहिए।

रैंक 4, विश्वजीतसिंह
प्रदेश में चौथी रैंक हासिल करने वाले विश्वजीत पाली के सोजत के निकट सारंगवास गांव के रहने वाले हैं। वे अभी पाली के सहकारी समितियां में विशेष लेखा परीक्षक के पद पर कार्यरत है। पिता पूरणसिंह सुमेरपुर कृषि मण्डी के सचिव है तो मां अरुणा कंवर गृहिणी है। विश्वजीत ने बताया कि आरएएस के लिए वर्ष 2021 में दूसरी बार परीक्षा देकर यह रैंक हासिल की है। वे बताते हैं कि रोजाना 10 से 12 घंटे अध्ययन करता था। उन्होंने तैयारी तो वर्ष 2016 में ही शुरू कर दी थी। इसके लिए प्रेरणा पिता व अंकल से मिली। उनका कहना था कि जीवन में हमेशा लक्ष्य का ध्यान रखना चाहिए। यदि आप 80-90 प्रतिशत भी लक्ष्य हासिल कर लेते हैं तो संतुष्ट होना चाहिए और मेहनत करते रहना चाहिए।

रैंक 99, राजेन्द्रसिंह राजपुरोहित
सुमेरपुर. बाबा गांव के राजेंद्रसिंह राजपुरोहित ने 99वीं रैंक हासिल की है। वे पिता के निधन के बाद डिप्रेशन में चले गए थे। उस समय मां गुलाब कंवर ने हौसला बढ़ाया और आगे बढ़ने को प्रेरित किया। राजेन्द्र बताते है कि मां की हिम्मत से मैं संघर्ष व मेहनत के बल पर यह सफलता हासिल कर सका। उन्होंने बताया कि पिता सोहन सिंह राजपुरोहित कृषि पर्यवेक्षक थे। जिनका साल 2010 में निधन हो गया था।

पति की रैंक 127, पत्नी की 418वीं
बाली तहसील के चिमनपुरा गांव के रहने वाले पति-पत्नी गिरीराजसिंह राणावत व गरिमा राठौड़ ने सफलता हासिल की है। गिरीराज बताते है कि पिता मनोहरसिंह राणावत व मां सरोज कंवर के साथ तहसीलदार विमलेन्द्र व आइएएस जितेन्द्र सोनी की प्रेरणा से यह सफलता मिली है। जोधपुर एसबीआई बैंक में डिप्टी मैनेजर पद पर कार्यरत राणावत ने बताया कि उन्होंने तत्कालीन घटनाक्रम पर अधिक ध्यान दिया। डिजिटल सामग्री का भी अधिक उपयोग किया। उन्होंने बताया कि सफलता के लिए पाठ्य सामग्री की पुनरावृति जरूरी है। इसके लिए छोटे-छोटे टॉपिक बनाने चाहिए। गिरीराज की पत्नी गरिमा राठौड़ जोधपुर के पीएचइडी विभाग में अभी एइएन के पद पर कार्यरत है। रामसिंह गुड़ा गांव की रहने वाली गरिमा बताती है कि पति के साथ तैयारी की। उनसे चर्चा भी हमेशा परीक्षा को लेकर होती थी। नौकरी करते हुए जब भी समय मिलता, अध्ययन करती थी। अवकाश के दिन 12-13 घंटे तक अध्ययन करती। पति के साथ ही परिजनों ने भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। मुख्य परीक्षा के लिए कई सीनियर से मार्गदर्शन लिया।

रैंक 410, ऋषभराजसिंह

जाणा निवासी ऋषभराज सिंह पुत्र जसवंतसिंह राणावत ने 410वीं रैंक हासिल की है। वे बताते है कि निरन्तर अध्ययन और परिश्रम से उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है। इसमे उनके परिजनों ने भी उनको पूरा सहयोग किया और हौसला बढ़ाया।

रैंक 496, अमराराम पटेल
भांवरी गांव के रहने वाले अमराराम पटेल के पिता नारायणराम खेती करते है। मां पाबू देवी गृहिणी है। वे बताते है कि परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं होने पर उन्होंने निजी अस्पताल में नौकरी करते हुए आरएएस की घर पर ही तैयारी की। इसके बाद उनका पटवारी में चयन हो गया। पिछली बार उनकी 1489वीं रैंक आई थी। इस पर फिर तैयारी की और सफलता मिली। वे बताते है पत्नी विद्या देवी आठवीं तक पढ़ी है, लेकिन वह हमेशा कहती थी, आप पढ़कर अधिकारी बनो, जिससे गांव व जिले का नाम रोशन हो।

रैंक 528, राजबहादुरसिंह
सवराड़ के रहने वाले राजबहादुरसिंह सहकारी समिति के अध्यक्ष व वार्ड पंच है। उन्होंने पिता परबतसिंह मेड़तिया व माता तिलम कंवर की प्रेरणा से जयपुर में रहकर आरएएस की तैयारी की। वे साक्षात्कार में पहली बार ही पहुंचे और सफलता मिली। उन्होंने बताया कि वे रोजाना क्रमबद्ध तरीके से अध्ययन करते थे। वे डेढ़ से दो घंटे एक टॉपिक पर देते। उसके बाद आधे घंटे आराम कर फिर डेढ़ से दो घंटे अध्ययन करते। हालांकि उनका आरएएस में चयन हो गया है, लेकिन वे रैंक में सुधार के लिए अब फिर तैयारी में जुटे गए है।

रैंक 668, सुनील दाधीच
देवली कलां . ग्राम पंचायत बोयल के छितरिया गांव निवासी सुनील दाधीच ने दूसरे प्रयास में 668वीं रैंक हासिल की। सुनील बताते है पिता सत्यनारायण, माता शांति देवी की प्रेरणा से उन्होंने सफलता प्राप्त की है। किसान पिता के बेटे दाधीच के पिता का सपना था कि बेटा आरएएस बने। उनका पहले प्रयास में चयन नहीं हुआ, लेकिन पिता की प्रेरणा से फिर परीक्षा दी और अब सफलता प्राप्त की है। अभी वे अध्यापक के पद पर कार्यरत है।

रैंक 335, रविन्द्रसिंह चारण
निमाज . आरएएस में कस्बे के रविन्द्रसिंह चारण का चयन होने से खुशी छा गई। उनको आरएएस बनने की प्रेरणा नाना शम्भुदान आशिया व पिता भीमसिंह से मिली। आरएएस बनने के लिए उन्होंने शिक्षक की नौकरी छोड़ दी थी। वे अभी जैतारण पंचायत समिति की आगेवा ग्राम पंचायत में ग्राम विकास अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। उनका पहले इंडियन नेवी, एसएससी, पटवारी, एसआई में चयन हो चुका है।

रैंक 258, हितेन्द्रपालसिंह राठौड़
आरएएस की वर्ष 2016 से हितेन्द्रपालसिंह राठौड़ तैयारी कर रहे हैं। वे रोजाना आठ से दस घंटे अध्ययन करते थे। वे बताते है कि सभी विषय पर बराबर ध्यान दिया। हितेन्द्र अभी राजसमंद में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत है। उनके पिता छतरसिंह खेती करते हैं और मां मदन कंवर गृहिणी है। उन्होंने हितेन्द्र को हमेशा प्रेरित किया। हितेन्द्र कहते है कि चचेरा भाई सब इंस्पेक्टर है और एक भाई व्याख्याता है। उनको देखकर आगे बढ़ने की ठानी और सफलता मिली।

रैंक 592, महावीरसिंह चारण
महावीर सिंह चारण जब महज सात वर्ष के थे, उस समय पिता सज्जनसिंह चारण का निधन हो गया। इसके बाद मां उनके व छोटे भाई के साथ जोधपुर में रहने लगी। महावीर बताते है कि वर्ष 2016 में पहली बार आरएएस का साक्षात्कार दिया, लेकिन चयन नहीं हुआ। इस बार उन्होंने सफलता पाई है। वे अभी ग्राम विकास अधिकारी के पद पर पंचायत समिति लूणी जोधपुर में कार्यरत है। वे बताते है कि मां ने उनको बहुत प्रेरित किया।

रैंक 487, अंकित त्रिवेदी
भांवरी गांव के रहने वाले अंकित त्रिवेदी का चयन होने पर परिजनों के साथ ग्रामीणों में खुशी छा गई। अंकित ने बताया कि माता पुष्पलता व चाचा प्रवीण त्रिवेदी ने उसे हमेशा आगे बढ़ने की सीख दी। उनकी प्रेरणा से ही आरएएस की तैयारी शुरू की और आज सफलता मिली। खैरवा के स्कूल में व्याख्याता के पद पर कार्यरत अंकित ने स्वयं के स्तर पर ही नोट्स बनाकर तैयारी की।

रैंक 25वीं एमबीसी में, महेन्द्र चौहान
पाली के सुभाष नगर के रहने वाले महेन्द्र चौहान ने एमबीसी श्रेणी में 25वीं रैंक हासिल की है। उनके पिता गोविन्दराम चौहान सरकारी कर्मचारी व माता लूंगा देवी गृहिणी है। गुडलाई में ग्राम विकास अधिकारी के पद पर कार्यरत चौहान बताते है कि इस बार चौथी बार आरएएस की परीक्षा दी थी। पढ़ाई स्वयं के स्तर पर की और नोट्स बनाए। उसी से सफलता मिली।