
रोडवेज की सरहद में सेंघ लगाकर राजस्व को चुना लगा रही है निजी बसें...यहां पढे़ पत्रिका की स्पेशल रिपोर्ट
पाली. कहते हैं वाहनों के पहिए किन्हीं सरहदों में नहीं बंधते, लेकिन बात जब प्रतिस्पर्धा की हो तो सरहद लांघना घाटे का सौदा बन जाता है। इन दिनों मारवाड़ और मेवाड़ की सरहद पर कुछ ऐसा ही हो रहा है। मेवाड़ क्षेत्र के पाली जिले की सीमा से लगते इलाकों में संचालित होने वाली निजी बसें सरहद लांघकर अब रोडवेज के राजस्व को चूना लगा रही है। मेवाड़ के देवगढ़ इलाके तक का परमिट होने के बावजूद मेवाड़ की निजी बसें मारवाड़ जंक्शन तक पहुंचने लगी है। सवारियां उठा ले जाने की वजह से इस रूट पर रोडवेज को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है। रोडवेज ने मारवाड़ जंक्शन होते हुए भीलवाड़ा रूट पर आधा दर्जन बसें चला रखी हैं। इन बसों को लम्बे समय तक यात्रीभार मिलता रहा है। पिछले कुछ समय से इस रूट पर यात्रीभार को देखते हुए मेवाड़ के निजी ऑपरेटरों ने भी अपने वाहन इस रूट पर बढ़ा दिए। हिमाकत तो तब होने लगी, जब देवगढ़ तक का परमिट होने के बावजूद मेवाड़ की निजी बसें मारवाड़ सीमा में प्रवेश कर मारवाड़ जंक्शन तक आने लगी।
कोई नहीं रख रहा सावचेती
मेवाड़ के निजी बस ऑपरेटर्स की इस हिमाकत के बाद जब रोडवेज में यात्रीभार घटने लगा तो प्रबंधन ने संबंधित अधिकारियों तक इसकी गुहार लगाई, लेकिन इस मसले पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। पहले इस रूट पर रोडवेज को प्रति बस अच्छी खासी सवारियां मिल रही थी, लेकिन मेवाड़ की निजी बसों के मारवाड़ जंक्शन तक आने के बाद रोडवेज के यात्रीभार में चालीस फीसदी तक की गिरावट दर्ज की जा चुकी हैं। भीलवाड़ा रूट की रोडवेज बसें पाली से मारवाड़ जंक्शन होते हुए देवगढ़ के मार्ग से आगे बढ़ती है।
हम कर चुके शिकायत
पाली-भीलवाड़ा रूट पर करीब आधा दर्जन बसें संचालित है। कुछ समय पहले तक इन बसों में अच्छा-खासा यात्रीभार था। पिछले कुछ समय से देवगढ़ तक के परमिट वाली निजी बसें मारवाड़ जंक्शन तक आने लगी है। इससे रोडवेज बसों में यात्रीभार के साथ राजस्व में गिरावट आई है। हम इसकी शिकायत प्रशासन के साथ-साथ संबंधित विभाग तक कर चुके हैं।
-स्वाति मेहता, मुख्य प्रबंधक, पाली आगार
Published on:
01 Jun 2018 12:00 pm
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