
VIDEO : शिक्षक दिवस विशेष : अंधेरे में रहने वाले की दमक से जगमग हो रहा ‘जहां’, जानिए पूरी खबर...
पाली। Special story of teachers day : सरकारी स्कूल [ Government school ] के शिक्षक के बारे में अधिकांश लोगों की सोच ऐसे ही मानो वे कोई कार्य नहीं करते है, लेकिन जिले में कई ऐसे शिक्षक है जिन्होंने अपने कार्य और शिक्षण की विधियों से इस मिथक को तोड़ा है। उनके प्रयासों को देखकर निजी स्कूल के संचालक तक दांतों तले अंगुलियां दबा देते हैं। आज शिक्षक दिवस पर हम आपसे से ऐसे ही शिक्षक से रूबरू करवा रहे है। जिन्होंने अपनी कार्यकुशलता के दम और शारीरिक अक्षमता को दरकिनार करते हुए शिक्षा को ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।
कक्षा नवीं व दसवीं को पढ़ाते अंधशिक्षक वीराराम
पाली। शारीरिक अक्षमता जीवन के पथ में कभी बाधक नहीं होती है। हौंसला बुलंद और आत्मविश्वास भरपूर हो तो हर कठिनाई पीछे छूट जाती है। यह बात पाली के बालिया स्कूल में अंग्रेजी पढ़ाने वाले अंध शिक्षक [ Blind teacher ] वीराराम देवासी पर सटीक बैठती है। जो महज तीन वर्ष की उम्र में अपनी आंखों की रोशनी गंवा बैठे, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और आज हजारों बच्चों का जीवन संवार रहे हैं। उनके अंधे होने के बावजूद आज तक उनकी कक्षा का परीक्षा परिणाम 100 प्रशित रहा है। वह भी अंगे्रजी विषय का।
पत्नी छोडऩे आती है, फिर स्वयं लौटते हैं
सिनला गांव के मूल निवासी देवासी ने अब पाली में अपना मकान बना लिया है। जो बालिया स्कूल से करीब चार-पांच किलोमीटर दूर है। वहां से उनको पत्नी रोजाना सुबह छोडऩे आती है। इसके बाद स्कूल की छुट्टी होने पर वे टेम्पो से वापस घर लौटते हैं। देवासी बताते हैं कि उनकी बेटी प्रथम वर्ष में तथा बेटा सीनियर सैकण्डरी स्कूल में पढ़ रहा है। जबकि पत्नी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है।
दिव्यांगों के लिए करते हैं कार्य
वे बताते हैं कि बालिया स्कूल में अंग्रेजी विषय की वे सप्ताह में दो दिन कक्षा लेते हैं। इसके अलावा पंचायत समिति की ओर से पाली में दिव्यांगों के लिए कार्य करते हैं। इसमें स्कूलों में दिव्यांगों के लिए सुविधाओं व उनको आगे बढ़ाने का कार्य रहता है।
बच्चों से लिखवाते श्याम पट्ट पर
देवासी कक्षा में जाने के बाद भले ही किसी बच्ची को देख नहीं सके, लेकिन उनको हर बच्ची की जगह याद है। वे नाम से उसे इशारा करते हुए बुलाते हैं। बच्चिायों को बुलाकर श्याम पट्ट पर बोलकर अंग्रेजी के सवाल व जवाब लिखवाते हैं। बच्ची को स्पेलिंग नहीं आने पर उसे भी बोलकर लिखवाते हैं।
इस तरह जांचते हैं कॉपी
देवासी बताते हैं कि वे पुस्तक तो ब्रेल लिपि वाली उपयोग में लेते हैं, लेकिन बच्चों की कॉपी जांचते समय यह लिपि नहीं होती है। इस कारण वे बच्ची से सवाल का जवाब व अन्य वाक्य बुलवाते हैं। जिस जगह पर गलती होती है उसे सुधरवाते हैं। इसके बाद कॉपी में हस्ताक्षकर कर उसे प्रिंसिपल या पारी प्रभारी को दिखाते हैं। जिससे कॉपी में कोई गलती नहीं रह जाए।
Published on:
05 Sept 2019 12:55 pm
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