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राजीव दवे
पाली। शिक्षा विभाग के कायदे अभिभावकों व विद्यार्थियों के साथ स्कूलों संचालकों की भी मुसीबत बढ़ा रहे हैं। दरअसल, शिक्षा विभाग की ओर से 10वीं व 12वीं बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले विद्यार्थियों से भी समान परीक्षा शुल्क वसूलने की तैयारी है। जबकि ये विद्यार्थी समान परीक्षा योजना में शामिल ही नहीं है।
विभाग की ओर से राज्यस्तरीय समान परीक्षा योजना के तहत कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों से 10 रुपए शुल्क और मांगा है। यह शुल्क कक्षा 10वीं व 12वीं के प्रदेश के 19 लाख 98 हजार 509 बोर्ड परीक्षा के लिए पंजीकृत विद्यार्थियों से वसूलने की तैयारी है। इस मद के जरिये विभाग अपनी तिजोरी में लगभग एक करोड़ 99 लाख 85 हजार 90 रुपए जमा कराना चाहता है। इससे पहले अर्द्धवार्षिक परीक्षा के समय भी प्रश्न पत्रों के लिए प्रति विद्यार्थी 20 रुपए लिए गए थे।
दसवीं व बारहवीं बोर्ड परीक्षा देने वाले विद्यार्थी अब स्कूल नहीं आ रहे हैं। वह केवल मार्कशीट आने पर स्कूल पहुंचेंगे, जबकि परीक्षा शुल्क अभी जमा कराना है। ऐसे में संस्था प्रधान यदि शुल्क जमा करवाते हैं तो उनको अपनी जेब से देना होगा या एक-एक विद्यार्थी या अभिभावक को बुलाकर राशि लेनी होगी। संस्था प्रधानों पीड़ा है कि यदि शुल्क जमा नहीं कराते हैं तो कक्षा नवमीं व ग्यारहवीं के प्रश्न पत्र नहीं मिलेंगे।
बोर्ड परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों से जिला परीक्षा समान योजना का शुल्क लेना गलत है। निदेशालय की ओर से अर्द्धवार्षिक परीक्षा के समय 20 रुपए शुल्क लिया जा चुका है। अब फिर से 10 रुपए शुल्क के तौर पर मांगे जा रहे हैं।
-प्रदीप दवे, अध्यक्ष, निजी शिक्षण संस्थान विकास समिति, पाली
जिला परीक्षा समान परीक्षा के तहत कक्षा नवमीं से बारहवीं तक के विद्यार्थियों के लिए 10 रुपए ओर मांगे हैं। यह किस आधार पर लिए जा रहे हैं, यह तो निदेशालय स्तर से ही बताया जा सकता है।
-रिछपाल सिंह, संयुक्त निदेशक, शिक्षा मंडल, पाली
कक्षा दसवीं व बारहवीं के विद्यार्थी वार्षिक परीक्षा नहीं देंगे। उसके बाद भी विद्यालयों से कक्षा इन विद्यार्थियों का शुल्क मांगा जा रहा है। जो गलत है।
- जयनारायण कडेचा, कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष, राजस्थान शिक्षक संघ एकीकृत
Updated on:
29 Mar 2025 08:42 am
Published on:
29 Mar 2025 08:41 am
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