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बच्चों ने लगाया कान, घर बैठे पाया ज्ञान

-शिक्षा वाणी कार्यक्रम [ Education speech program ] के तहत शुरू करवाया गया अध्ययन-रेडियो पर सुबह 11 से 11 से 11.55 तक चला कार्यक्रम

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पाली

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Suresh Hemnani

May 12, 2020

बच्चों ने लगाया कान, घर बैठे पाया ज्ञान

बच्चों ने लगाया कान, घर बैठे पाया ज्ञान

पाली। लॉकडाउन [ lockdown ] लगने के बाद से प्रदेश के सरकारी के साथ निजी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों का अध्ययन बाधित है। परीक्षाएं भी नहीं हुई है। इस पर स्कूल शिक्षा विभाग [ School Education Department ] की ओर से नई पहल करते हुए सोमवार से शिक्षा वाणी कार्यक्रम [ Education speech program ] शुरू किया गया।

इसमें सुबह 11 से 11.55 बजे तक बच्चों को रेडियो के माध्यम से अध्ययन करवाया गया। इसके लिए विभाग की ओर से शिक्षावाणी नाम से एक ब्रोशर भी निकाला गया। जिसे संस्था प्रधानों व शिक्षकों के माध्यम से बच्चों के अभिभावकों के मोबाइल पर सोशल मीडिया के माध्यम से भेजा गया। जिससे वे उसमें अपने क्षेत्र के संभाग स्थित रेडियो सेन्टर के आइकॉन पर क्लिक कर इस कार्यक्रम को आसानी से सुन सके। जिनके पास मोबाइल नहीं है और ब्रोशर नहीं मिला, उन्होंने रेडियो स्टेशन के अंक के आधार पर अध्ययन का श्रवण किया।

30 जून तक किया जाएगा प्रसारण
राज्य सरकार के संस्थान एससीइआरटी व प्रसार भारती के बीच कराकर के तहत यह कार्यक्रम 30 जून तक चलाया जाएगा। एससीइआरटी उदयपुर ने इसके लिए तीन भागों में विषय वस्तु तैयार की है। -विनोदकुमार पन्नू, सहायक परियोजना समन्वयक, समग्री शिक्षा अभियान, पाली

तीन भागों में बंटा है अध्ययन
-पहले पन्द्रह मिनट : कक्षा एक से पांच तक के लिए मीना की कहानी पर आधारित है। इस कार्यक्रम को यूनिसेफ के सहयोग से तैयार किया है।
-दूसरे 20 मिनट : कक्षा तीन से आठ तक के लिए विषय वस्तु पर आधारित सामग्री का प्रसारण किया गया और किया जाएगा।
-अंतिम 25 मिनट : कक्षा नौ से बारह तक के लिए विषय वस्तु आधारित सामग्री का प्रसारण, जो वर्ष 2020-21 के पाठयक्रम बदलाव पर आधारित है।

पहले यह आई समस्या
इससे पहले शिक्षा विभाग की ओर से लॉकडाउन में स्माइल प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। इसमें इंटरनेट के माध्यम से सोशल मीडिया पर रोजाना सामग्री प्रेषित करना शुरू किया था, लेकिन कई गांवों व कस्बों में इंटरनेट नहीं होने के कारण यह प्रोजेक्ट सफल नहीं हो सका। इस पर पत्रिका की ओर से समाचार प्रकाशित कर ध्यान आकर्षित किया गया था। इसके बाद अब आकाशवाणी के माध्यम से अध्ययन करवाना शुरू किया गया है।