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Rajasthan Assembly Elections 2023: ऐसे छोटे काम होते नहीं और बाते बड़ी-बड़ी, अब पूछे सवाल

जिले की दस समस्याएं, जो सालों से कर रही समाधान का इंतजार, नेताजी ने समस्याओं के समाधान के नाम पर किए है सिर्फ वादे।

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पाली

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Rajeev Dave

Nov 09, 2023

Rajasthan Assembly Elections 2023: ऐसे छोटे काम होते नहीं और बाते बड़ी-बड़ी, अब पूछे सवाल

पाली शहर के बीच से बहती बांडी नदी, जिसमे प्रदू​षित पानी है।

चुनावी बिगुल बज चुका है। सियासी तस्वीर साफ होने के साथ ही फिर से गांव-शहरों में वादों और दावों की बाढ़ सी आ गई है। लेकिन, जिले की कई ऐसी समस्याएं है, जिनका जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक शक्ति की इच्छा के अभाव में आज तक निराकरण नहीं हो सका है। वैसे तो धर्म, व्यवसाय व पर्यटन स्थल पाली जिले की धरा हर किसी को आकर्षित करती है, लेकिन यहां की जनता को सिवाय आश्वासन के और कुछ ज्यादा नसीब नहीं हो पाया। एक बार फिर चुनाव आने पर उन्हीं समस्याओं के समाधान का वादा किया जा रहा है, जो कि सालों से यथावत है। खास बात यह है कि ये समस्याएं बड़ी नहीं, बल्कि सामान्य है। अब जनता के पास मौका है, कि वे इन समस्याओं को प्रत्याशियों के सामने रखे और उनसे पूछे कि समाधान कैसे कराओगे।

प्रदूषण: नालियों में बहाते केमिकल युक्त पानी
प्रदूषण की समस्या पाली के लिए बड़ी है। इसके लिए जेडएलडी लगाया गया। पानी का रियूज किया जाना लगा, लेकिन अब भी कई लोग नालियों और बांडी नदी में प्रदूषित पानी बहा देते हैं। जिसका खामियाजा नियमों का पालन करने वाले भुगतते हैं। ग्रेनाइट स्लरी के साथ जिले के अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में भी अपशिष्टों का निस्तारण करने की व्यवस्था नहीं है।

पेयजल: शहर से गांवों तक मचती त्राहि-त्राहि
जवाई बांध में पानी रीतते ही शहर से गांवों तक त्राहि-त्राहि मच जाती है। माइंसों से पानी की आपूर्ति करनी पड़ती है। वाटर ट्रेन मंगवानी पड़ती है। जल जीवन मिशन के तहत घर-घर कनेक्शन पहुंचाने के दावे भले ही किए जा रहे है, लेकिन अधिकांश जगह कार्य अधूरा है। जल समस्या निराकरण की योजना भी बनी, लेकिन निराकरण शत प्रतिशत नहीं हुआ।

सीवरेज: गंदगी से दिलानी थी निजात, जो बेमानी
पाली शहर के साथ जिन शहरों में भी सीवरेज लाइन बिछाई गई। वह बड़ी समस्या बन गई है। सीवर का गंदा पानी लोगों के घरों तक पहुंच रहा है। चौबीस घंटे पेयजल आपूर्ति की पाइप लाइन में मिल रहा है। जलापूर्ति के समय यह पानी घरों में पहुंचने पर लोगों का बदबू के कारण घर में खड़े रहना मुश्किल हो जाता है। कई जगह सीवरेज का पानी सड़कों पर फैल रहा है।

अतिक्रमण: बाजार से गुजरना मुश्किल
पाली शहर के साथ जिले के कस्बों व गांवों मेंं अतिक्रमण बड़ी समस्या है। बाजार व सड़कों पर सालों से अतिक्रमण कर बैठे लोगों को पूछने वाला कोई नहीं है। बांडी नदी में रहने वाले लोगों को तो मकान तक दे दिए गए थे, लेकिन वे आज भी वहीं बैठे हैं। ऐसा ही हाल ढंड नाडी और खोडि़या बालाजी क्षेत्र का है। वोट की गणित की चलते उन्हें यहां से हटाया नहीं गया।

खस्ताहाल मार्ग: शहर से गांव तक गड्ढे
जिले में नेशनल हाइवे को छोड़ दे तो शहर से गांवों तक सड़कें खस्ताहाल है। उन पर चलना दूभर है। पाली को संभाग बनाने के बावजूद हालात ऐसे है कि लोगों को आए दिन प्रदर्शन करना पड़ता है। गांवों में तो सड़कें कच्ची है या इतनी गड्ढों भरी है कि उन पर वाहन चलाना तो दूर पैदल चलना तक मुश्किल है। इसके बावजूद किसी अधिकारी या नेताजी का ध्यान इन पर नहीं जाता।

रैफर का दर्द: अस्पतालों में नहीं चिकित्सक
गांवों या कस्बों में बीमार होने पर ग्रामीणों को पाली या जोधपुर भागना पड़ता है। वहां चिकित्सकों की कमी है। बाली के चिकित्सालय को उप जिला अस्पताल में क्रमोन्नत कर दिया गया, लेकिन सुविधा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र जैसी है। ऐसा ही हाल जिले के अन्य चिकित्सालयों का है। जिसके कारण कई ग्रामीण क्षेत्र में फर्जी चिकित्सक लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।

ओवरब्रिज: ठहर जाता है शहर
मारवाड़ जंक्शन कस्बा, जहां रोजाना 100 से अधिक रेलगाडि़यों का आवागमन होता है। वहां हर पांच-सात मिनट बाद कस्बा ठहर जाता है। कारण है रेलवे फाटकों का बार-बार बंद होना। कई बार तो गंभीर मरीजों की जान पर बन आती है। वहां ओवरब्रिज की मांग लगातार उठ रही है, लेकिन आज तक आश्वासन के अलावा जनता को कुछ नहीं दिया गया।

ट्रांसपोर्ट: गांवों में नहीं जाती रोडवेज
जिले का जैतारण विधानसभा क्षेत्र, जिसमें 38 ग्राम पंचायत है। इनमें से 35 में रोडवेज की बस नहीं जाती है। ग्रामीणों को पैदल या निजी वाहनों से ही सफर करना पड़ता है। जिले के कई क्षेत्रों में भी निजी वाहन ही आवागमन का सहारा है, जो मनमानी राशि वसूलते है। रोडवेज बस चालक तो रात में फोरलेन पर ही सवारियों को उतार देते हैं। जिससे उनको गांवों व कस्बों तक तीन-चार किमी पैदल चलना पड़ता है।

कृषि मंडी: कोल्ड स्टोरेज तक नहीं
जिले की सबसे बड़ी कृषि मंडी सुमेरपुर। जहां पाली के साथ अन्य जिलों से भी किसान फसल लेकर आते हैं, लेकिन मंडी में कोल्ड स्टोरेज की सुविधा तक नहीं है। यहां जीरा मंडी विकसित नहीं करने से किसानों को गुजरात जाना पड़ता है। पाली शहर के साथ जिले में अन्य जगह बनी कृषि मंडियों में अनाज की खरीद-फरोख्त नाम मात्र की होती है।

पार्किंग: सुविधा नहीं होने से परेशानी
पाली जिले के गांवों व कस्बों में पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। पाली शहर के सबसे व्यस्त चौराहे पर ही पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। बाजार में खड़े बेतरतीब वाहनों के कारण रोजाना जाम लगता है। ऐसा ही हाल जिले की नगर पालिकाओं क्षेत्रों व कस्बों का है। बाजारों में महिलाओं के लिए भी सुविधाओं का अभाव है। जिससे बाजार खरीदारी करने पहुंचने पर लोगों को परेशानी होती है।