
गिरी-सुमेल का युद्ध राजपूत ही नहीं बल्कि 36 कौम के अस्तित्व रक्षा के लिए लडा गया था
रायपुर मारवाड़। गिरी रणस्थली विकास समिति के संयोजक इन्द्रसिंह बागावास ने कहा कि गिरी-सुमेल का युद्ध महज राजपूत समाज के लिए नहीं लड़ा गया था। ये युद्व 36कौम के आत्म सम्मान एंव अस्तित्व रक्षा के लिए लड़ा गया था। इस युद्ध में बतौर योद्वा के रूप में राजपूत समाज के साथ देवासी, रावत, गुर्जर सहित अन्य जाति विशेष के लोगो ने हिस्सा लेकर अपने प्राणों की आहुति देकर समाज के गौरव की रक्षा की थी। वे बुधवार को गिरी रणस्थली पर आयोजित बैठक में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि योद्धाओं का बलिदान व्यर्थ नहीं जाए इसके लिए हर वर्ष 5जनवरी को इसी रणस्थली पर बलिदान दिवस के रूप में उन योद्धाओं के बलिदान को याद किया जाकर उन्हे श्रद्धासुमन अर्पित किया जाता है। इस बार भी वृहद स्तर पर बलिदान दिवस का आयोजन किया जाएगा। जिसमें राजपूत समाज के साथ 36 कौम के लोग हिस्सा लेंगे। समिति अध्यक्ष हनुमानसिंह भैसाणा ने आयोजन को सफल बनाने के लिए 36 कौम के लोगों को आगे आने का आव्हान किया। जोधपुर उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता दिलीपसिंह देवरिया ने युवा पीढ़ी को भी इसकी जानकारी होनी चाहिए कि उनके समाज के गौरव की रक्षा किन योद्धाओं ने की थी। युवाओं को संस्कारित करने के साथ उन्हें योद्धाओं के सम्मान की सीख देनी होगी। उन्होंने इस कार्यक्रम में 36 कौम के युवाओं को अनिवार्य रूप से शिरकत करने का आव्हान किया।
प्रत्येक तहसील स्तर पर बनाई समिति
बलिदान दिवस को लेकर बैठक में चर्चा के बाद जिले की प्रत्येक तहसील स्तर पर समिति का गठन किया गया। समिति में 36कौम के प्रबुद्वजनो को शामिल किया जाकर उन्हे सफल आयोजन को लेकर जिम्मेदारी सौपी गई। इस बैठक में पाली व अजमेर जिले के कई प्रबुद्धजन मौजूद थे। इन्होने भी आयोजन को लेकर सुझाव दिए।
इन्होंने भी की शिरकत
बैठक में दातारसिंह, चेनसिंह, नाथूसिंह, जीवनसिंह, रणजीतसिंह, महावीरसिंह, महिपाल सिंह, मदनलाल माली, प्रदीप आचार्य, हीरालाल माली सहित अन्य प्रबुद्धजन व 36 कौम के लोग मौजूद
Published on:
26 Dec 2019 02:50 am
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