
फोरलेन बनी बेसहारा मवेशियों की शरण स्थली, बढ़ा हादसों का ग्राफ
पाली/रायपुर मारवाड़। ब्यावर-पिंड़वाड़ा फोरलेन [ Beawar-Pindwara Fourlane ] का सफर तय करने जा रहे हैं तो जरा संभल कर चलें। यहां कदम-कदम पर बेसहारा मवेशी विचरण कर रहे हैं। डिवाइडर से उतर कर ये बीच सडक़ पर निकल आ रहे हैं। इससे कार व दुपहिया वाहन चालक हादसे के शिकार बन रहे हैं। भारी वाहनो की चपेट से मवेशियों की मौत भी हो रही है। इन हालातों को लेकर जिम्मेदारों ने आंखे मूंद रखी हैं। स्वयं की सजगता ही हादसे से बचा जा सकता है।
ब्यावर से लेकर पिंडवाड़ा तक का फोरलेन इन दिनों बेसहारा मवेशियों की शरण स्थली बन चुका है। वजह भी है कि बारिश के दिनों में जगह-जगह पर पानी भरा होने से मवेशी सूखे स्थान की तलाश में फोरलेन पर पहुंच रहे हैं। सडक़ के बीच बने डिवाइडर पर उगी घास को भी वे अपना आहार बनाने के लिए पहुंच रहे हैं। इस आवाजाही के दौरान वे वाहनों की चपेट में आ रहे हैं।
दस दिन में 100 से अधिक हादसे
बीते दस दिनों की बात करें तो ब्यावर से लेकर सुमेरपुर के बीच 100 से अधिक हादसे इन्हीं बेसहारा मवेशियों की वजह से हो चुके हैं। जिसमें कई वाहन चालक घायल भी हुए हैं। वहीं मवेशियों की मौत होने के साथ वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। पिछले साल के आंकड़ों पर यदि नजर डालें तो मवेशियों की चपेट में आने से कई दुपहिया वाहन चालक अपनी जान तक गंवा चुके हैं।
जिम्मेदार मुंह मोड़ रहे
फोरलेन पर मवेशियों को हटाने व मृत मवेशी का शव हटाने की जिम्मेदारी टोल वसूलने वाली कम्पनी की होती है। इधर, पुलिस प्रशासन का भी दायित्व बनता है कि बढते हादसों को कम करने के लिए बेसहारा मवेशियों को नजदीकी गोशालाओं में आसरा दिलाएं, लेकिन सभी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रहे हैं।
हर बार औपचारिकता
टोल वसूलने वाली कम्पनी ने पिछले साल ऐसे बेसहारा मवेशियों के सींगों पर रेडियम पट्टीकाएं लगवा औपचारिक जिम्मेदारी का निर्वहन किया था, लेकिन उसके परिणाम सार्थक साबित नहीं हो पाए थे। मवेशी के साथ वाहन चालकों की जीवन सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने की दरकार है।
Published on:
28 Aug 2020 08:57 am
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