
यहां पीपल में बसते हैं महादेव, कहलाए पीपलेश्वर
Sawan Ka Somwar 2022 : पाली। अरावली की वादियों के कण-कण में भोलेनाथ विराजमान है। यहां कई संतों ने सालों तक तपस्या की है, ऐसी ही एक तपोभूमि है पीपलेश्वर महादेव मंदिर। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है, लेकिन इसके प्रति आस्था में कोई कमी नहीं आई है। यहां आज भी शिवभक्तों का मेला सा लगा रहता है। श्रावण में तो ये शिवभक्तों का विशेष प्रिय स्थल बन जाता है। हो भी क्यों नहीं, यहां कुदरत की नैमत जो बरसती है।
हरे-भरे घने जंगल, आसमां छूती वादियां और फिजां में भोले की गूंज। कुछ ऐसा ही माहौल इन दिनों यहां का है। अरावली की हरी-भरी वादियों के बीच रावली टॉडगढ़ वन्य जीव अभयारण्य में कालब कलां-जस्सा खेड़ा रोड पर स्थित इस मंदिर के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। कहते हैँ कि पुरातन में यहां बहुत बड़ा पीपल का पेड़ था, इसी कारण इस स्थल का नाम पीपलेश्वर महोदव हो गया। किवदंती है कि यहां गुर्जरों ने चट्टान के नीचे भोले की पूजा शुरू की, जिसके बाद इसकी विधिवत स्थापना की गई। अब भी यहां पीपल का पेड़ है, जिसके प्रति लोगों की आस्था है।
रावत राजपूतों के संतोें की तपोभूमि है ये शिव मंदिर
ये शिवालय रावत राजपूतों के संतों की तपोभूमि है। यहां मगरांचल के राजपूतों के संतों ने भी बरसों तक तपस्या की है। श्रावण में तो यहां शिवभक्तों का तांता लगा रहता है। यहां के निमर्लसिंह सुरावत व चेतन प्रजापत का कहना है कि पूर्व में ऊदा रावल महाराज ने एक पैर पर खड़े रह कर कठोर तपस्या की थी। जिनकी मूर्ति मुख्य द्वार विराजमान है। वर्तमान में यहां रामा रावल महाराज विराजमान है।
Published on:
27 Jul 2022 09:31 pm
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