
स्कूलों में ऐसा हुआ, जो आपने सोचा नहीं होगा
दृश्य एक: सुल्तान उच्च माध्यमिक विद्यालय पाली
शहर के सुल्तान स्कूल में 11:30 बजे एक कक्ष में दो बच्चे शांत बैठकर शतरंज पर चाल चल रहे थे। उनके चारों तरफ दूसरे विद्यार्थी घेरा लगाकर बैठे व खड़े थे। जो अपने-अपने पक्ष के खिलाड़ी को चाल के बारे में इशारों से बता रहे थे।
दृश्य दो: राजकीय विद्यालय आदर्श नगर
संयुक्त निदेशक कार्यालय परिसर में चल रहे स्कूल में एक टेबल पर रखी शतरंज पर खिलाड़ी शतरंज की चाल पर विचार कर रहे थे। उनके पास ही स्कूल के एक शिक्षक भी खड़े थे, जो उनको प्यादों, वजीर व राजा के चलने के बारे में बता रहे थे।
दृश्य तीन: सोनाई मांझी स्कूल
इस स्कूल में विद्याथीZ बिना बस्ते के पहुंचे। प्रार्थना सभा के बाद उनको शतरंज दी गई तो वे शह और मात के खेल में दिमागी घोड़े दौड़ाने के साथ चाल चलने लगे। जैसे ही एक खिलाड़ी किसी प्यादे को मारता, साथी तालियां बजाकर उसका हौसला बढ़ाते।
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पाली। नो बैग डे पर ऐसा ही माहौल जिले के सरकारी स्कूलों में रहा। प्रार्थना सभा के बाद शुरू शतरंज के खेल में एक बाजी पूरी होते ही दूसरे खिलाड़ी दिमागी घोड़े दौड़ने के लिए बैठे और यह सिलसिला अवकाश तक अनवरत जारी रहा। विद्यार्थियों का कहना था कि क्रिकेट, कबड्डी, खो-खो आदि के खेल तो रोजाना ही खेलते है, लेकिन शतरंज का खेल उनसे कही अधिक बेहतर है। कई स्कूलों में तो दो-दो घंटे तक शतरंज की बाजियां चली। इस खेल में विद्यार्थियों के साथ शिक्षक भी शामिल हुए। कई स्कूलों में विद्यार्थियों को सिखाने के उद्देश्य से शिक्षकों ने घोड़े, प्यादे और वजीर के साथ चाल चली।
यह कारण है शतरंज खेल शुरू करने का
-विद्यार्थियों की बौदि्धक क्षमता का विकास करना
-विद्यार्थियों के टीवी, मोबाइल व वीडियो गेम का अधिक उपयोग करने की प्रवृत्ति को दूर करना
-विद्यार्थियों के मस्तिष्क का समुचित विकास हो
-विद्यार्थियों में सकारात्मक प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा हो
देश में पहली बार शुरू किया गया
देश में पहली बार राजस्थान में शतरंज का खेल स्कूलों में नो बैग डे पर शुरू किया गया है। शतरंज का खेल स्कूल में खेलने के बाद इसकी जिला और राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा।
Published on:
20 Nov 2022 05:29 pm
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