
बिराटिया मेले में उमड़े श्रद्धालु
रायपुर मारवाड़. हाथों में ध्वजा और नारियल, मुख में जय बाबा री का जयघोष, कतार में कदम से कदम मिला आगे बढ़ते जातरू, अखण्ड ज्योत से उठती महक, मंगल गीतों का गायन करती महिलाएं, व्यवस्था में जुटे कार्यकर्ता, हर गतिविधि पर पैनी निगाह जमाए खाकीधारी, झूलों का आनंद लेते बच्चे, हाट बाजार में खरीदारी करती गृहणियां। कमोबेश कुछ ऐसा ही माहौल रविवार को बिराटिया खुर्द रामदेव मेले के अंतिम दिन देखने को मिला।
जिले के मिनी रूणेचा के नाम से राज्य में विख्यात बाबा के दरबार में भरे तीन दिवसीय मेले का आज रात महाआरती के बाद समापन हुआ।
मीलों दूर से पैदल आए जातरू
बाबा के दरबार में शनिवार रात से ही पैदल जातरू के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया जो आज देर रात तक जारी रहा। राज्य के कौने-कौन से मीलों का पैदल सफ र तय कर आए इन जातरू के चेहरों पर थकान का नामोनिशान तक नहीं था। दिल में आस्था लिए पहुंचे इन जातरुओं ने बाबा की चौखट चूम खुशहाली की मन्नतें मांगी। किसी ने नारियल तो किसी ने मिठाई का भोग लगाया।
गुजरात से भी पहुंचे बाबा के भक्त
इस मेले में गुजरात से भी बड़ी संख्या में जातरू पहुंचे। इन्होंने ने बाबा के दरबार में हाजरी लगाई और मन्नते मांगी।
माकूल बंदोस्त व जिमेदारों की रही पैनी नजर
मेले में पुलिस अधीक्षक दीपक भार्गव के निर्देशन में मन्दिर परिसर में अस्थाई पुलिस चौकी स्थापित की गई। 50 से भी अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। 200 से भी अधिक जवान मेले में गश्त करते रहे। वृताधिकारी विरेन्द्र सिंह राठौड़, थाना प्रभारी राजेन्द्र सिंह चारण, सेंदड़ा थाना प्रभारी विष्णुदत्त राजपुरोहित सहित अन्य अधिकारी पैनी नजरें जमाए रहे। इधर, एउपखण्ड अधिकारी मोहनलाल खटनावलिया के निर्देशन में 16 पटवारी, 15 ग्रामसेवक गतिविधि पर नजर रखते रहे।
सरपंच की टीम करती रही सेवा
सरपंच मीनू कंवर राठौड़ के नेतृत्व में तमाम वार्डपंच व 100 से अधिक कार्यकर्ता मेले में जातरूओं के लिए छाया पानी की सुविधा मुहैया कराते रहे। वाहन पार्र्किंग की अलग से सुविधा की गई। कई समाज सेवी संगठनों ने भी जातरू की सेवा की। मेडिकल टीम भी जातरू की मदद में जुटी रही।
बही सुरों की गंगा
मुख्य मेले की पूर्व संध्या पर शनिवार रात्रि में भजन संध्या हुई। इसमें राज्य के कौने-कौने से आए कलाकारों ने भजनों की प्रस्तुतियां दी। बाबा की जीवनी से जुड़े भजन की स्वर लहरियों से मंत्रमुग्ध श्रद्धालु झूमने को विवश हो गए। भोर तक बही सुरों की गंगा में श्रद्धालु डुबकियां लगाते रहे।
Updated on:
03 Sept 2017 08:58 pm
Published on:
03 Sept 2017 08:56 pm
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