
तोरणेश्वर महादेव मंदिर
पाली। महाभारत काल में अर्जुन ने सुभद्रा का हरण किया और वे सुभद्रा को लेकर पाली जिले के दिवांदी गांव में आए और यहां श्रीकृष्ण ने महादेव के एक मंदिर में सुभद्रा और अर्जुन का पाणिग्रहण करवाया। ब्याह के लिए जब मंदिर के द्वार पर तोरण लगाया तो यह महादेव तोरणेश्वर कहलाने लगे। मारवाड़ के महाभारत कालीन इस मंदिर पर सावन के सोमवार पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
दिवांदी गांव जोधपुर और पाली दोनों जिलों की सीमा के करीब है। जोधपुर का धुंधाड़ा कस्बा यहां से 12 किमी पर ही है। प्राचीन काल में भूतेश्वर महादेव रहे इस मंदिर में शिवलिंग भी जमीन से निकला हुआ है। बताते है इसका निर्माण नहीं हुआ था।
तोरण लगाया था कृष्ण ने
पंडित पुखराज द्विवेदी, धुंधाड़ा बताते है कि ऐतिहासिक किवदंती है कि यहां महाभारत काल में कृष्ण ने अर्जुन- सुभद्रा का ब्याह करवाने के लिए तोरण लगाया था और यहीं पर पाणिग्रहण हुआ था।
सुभद्रा-शिव दोनों मंदिर
मारवाड़ के इस इलाके में सुभद्रा मंदिर का होना अचरज देता है लेकिन इस परिसर में सुभद्रा मंदिर है। इसके बाद भाद्राजून और सरभाकर में भी सुभद्रा मंदिर बने है। सुभद्रा मंदिर में भी क्षेत्र की महिलाएं दर्शन को पहुंचकर मन्नत मांगती है।
5000 पुरानी जाळ
मंदिर परिसर के ठीक सामने एक जाळ का वृक्ष है। पुजारी अशोक भारती बताते है कि यह जाळ भी पांच हजार साल पुरानी है। इस वृक्ष का फैलाव बहुत हो गया था, जिसको कम किया गया है। महाभारत काल से यह वृक्ष यहां पर है।
सावन सोमवार में मेला
सावन के सोमवार पर यहां मेला व रात्रि जागरण का आयोजन किया जाता है, जिसमें आसपास के पाली-जोधपुर जिले के भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते है। यहां पर महादेव के भक्तों का हर सोमवार को वर्ष पर्यन्त आना रहता है।
Published on:
03 Aug 2022 01:58 pm
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