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VIDEO : यहां के अस्पताल में है अव्यवस्थाओं का आलम, एक्स-रे रिपोर्ट मिलने से पहले बढ़ रहा हड्डियों का दर्द

- दूरदराज से पहुंचने वाले मरीजों का लगाना पड़ रहा दुबारा चक्कर- जिम्मेदार अधिकारी भी नहीं दे रहे पूरा ध्यान- जिले के सबसे बड़े अस्पताल में हालात खराब

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पाली

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Suresh Hemnani

Jun 14, 2019

पाली। जिले का सबसे बड़ा Bangra hospital, जहां शहर ही नहीं जिलेभर के ग्रामीण क्षेत्रों से मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं। लेकिन, अव्यवस्थाओं के चलते उन्हें राहत नसीब नहीं हो पा रही। सबसे ज्यादा परेशानी हड्डी सम्बन्धित बीमारी से पीडि़तों की है। जो Orthopedic specialist के निर्देश पर एक्स-रे करवाने तो जाते हैं, लेकिन, जब तक उन्हें एक्स-रे रिपोर्ट मिलती है, तब तक तो चिकित्सक अस्पताल से घर लौट चुके होते हैं। ऐसे में उन्हें एक्स-रे दिखाने के लिए दूसरे दिन फिर से चक्कर लगाना पड़ता है। patrika team बांगड़ अस्पताल पहुंची तो कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला।

सुबह के करीब सवा दस बजे। बांगड़ अस्पताल मेडिकल कॉलेज में एक्स-रे व सोनोग्राफी करवाने के लिए मरीजों की कतार लगी दिखी। इधर, आउटडोर में भी चिकित्सकों के कक्ष के बाहर मरीजों की कतार नजर आई। बांगड़ अस्पताल के मुख्य गेट से अंदर जाते ही 32 नम्बर मेडिकल स्टोर के सामने के कक्ष में एक्स-रे पंजीयन के लिए जद्दोजद दिखी। पंजीयन के बाद परिजन मरीजों को लेकर एक्स-रे करवाने कतार में लग गए। जब यहां नम्बर आ गया तो मरीजों को 12 बजे के बाद एक्स-रे के लिए बुलाया। लेकिन, सच तो ये है कि दोपहर 12 बजे के बाद ही मरीजों को एक्स-रे मिलते है। एक्स-रे देने का काम दो बजे तक चलता है। कई मरीज एक्स-रे लेकर वापस हड्डी रोग विशेषज्ञ के पास जांच करवाने पहुंचे, लेकिन, तब तक चिकित्सक अपने चैम्बर से निकल गए। यह स्थिति रोजाना की है। ऐसे में सैकड़ों मरीजों को अपना एक्स-रे चिकित्सक को दिखाने के लिए दूसरे दिन अस्पताल का चक्कर काटना पड़ रहा है।

दो बजे से पहले ही चैम्बर छोड़ रहे चिकित्सक
medical college बनने के बाद बांगड़ अस्तपाल में हड्डी रोग विशेषज्ञों की भी संख्या बढ़ गई। वर्तमान में अस्थि रोग विभागाध्यक्ष डॉ. ओम शाह, डॉ. कैलाश परिहार, डॉ. राजेन्द्र डिडेल व डॉ. जसराज छीपा है, जो हड्डी रोगियों की जांच करते है। दोपहर करीब सवा एक बजे पत्रिका टीम नए बने आउटडोर में पहुंची तो वहां डॉ. ओम शाह, डॉ. राजेन्द्र डिडेल के चैम्बर का गेट लगा हुआ था। जबकि, डॉ. कैलाश परिहार चैम्बर में मरीजों की जांच करते दिखे। पत्रिका टीम यहां सवा दो बजे तक बढ़ी रही। एक बजकर 32 मिनट पर डॉ. ओम शाह अपने चैम्बर में आए। कुछ देर बैठने के बाद वे एक बजकर 48 मिनट पर चैम्बर से निकल गए। इधर, डॉ. परिहार ने भी अपनी सीट छोड़ दी और साथी चिकित्साकर्मियों से बातचीत में लग गए। हालांकि, वे दो बजे तक अस्पताल में ही रहे।

आउटडोर में कब किसकी ड्यूटी, कुछ पता नहीं
चिकित्सक की आउटडोर में ड्यूटी कब है, ऑपरेशन कौनसे दिन करते है। दिव्यांग प्रमाण पत्र किस दिन बनाते है। यह जानकारी अस्थि रोग विशेषज्ञ के कक्ष के बाहर चस्पा होनी चाहिए। लेकिन एक चिकित्सक के कक्ष के अलावा अन्य हड्डी रोग विशेषज्ञों के कक्ष के बाहर ऐसी कोई सूची चस्पा नहीं मिली। ऐसे में सूचना नहीं मिलने से मरीजों को परेशानी से दो-चार होना पड़ रहा है।

मरीजों का भी बढ़ा भार
बांगड़ अस्पताल के मेडिकल कॉलेज बनने के बाद चिकित्सकों की संख्या बढऩे से अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है। अस्पताल में जांच भी नि:शुल्क है। पहले रोजाना औसत 125 एक्स-रे होते थे, वह अब बढकऱ 175-200 प्रतिदिन तक पहुंच गए है।

मरीजों के हित में बदलेंगे समय
एक्स-रे देने का समय बदल देंगे, ताकि मरीजों को परेशानी न हो। सीनियर चिकित्सकों के आउटडोर में अपने चैम्बर में नहीं मिलने को लेकर मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल को पत्र भी लिखा है। – डॉ. ए.डी. राव, पीएमओ बांगड़ अस्पताल, पाली

समय का करना होगा पालन
अस्पताल का समय दो बजे तक है। चिकित्सक सीनियर हैं या जूनियर। अस्पताल समय तक उन्हें अपने चैम्बर में ड्यूटी देनी होगी। ताकि, मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। – डॉ. के.सी. अग्रवाल, प्रिंसिपल, बांगड़ मेडिकल कॉलेज, पाली