
हाथों की अंगुलियों पर धागों को नचाकर करते हैं जरदोजी
बगड़ी नगर/पाली। चमकीले धागों को बारीक सुई में लपेटकर कपड़े पर करिश्मा बुनने की कला है जरदोजी। कारीगरी के बेमिसाल शिल्प से परिधान को सजाने ओर संवारने वाली इस कला के इबादतगार बगड़ी नगर में भी मौजूद हैं। जरदोजी कला में कई तरह के काम किए जाते हैं। रेशम में काम, करदाना मोती, सादी कसब, जरी, वायर, कांच कुन्दन और अन्य तरह के काम किए जाते हैं। कस्बे के दो तीन परिवार ही इस कार्य को करते हैं। कमाई बहुत कम व मेहनत ज्यादा होने के कारण इसको कोई करना नहीं चाहता है। इन परिवार के बच्चों के हाथों में कलम किताब की जगह सुई, धागा ओर मोती हैं। लड़कियां भी स्कूल जाने के बजाए इस हुनर को सीख रही हैं। परिवार वाले आर्थिक तंगी की वजह से बच्चों को यह कार्य सिखाते हैं। इस कार्य में लगी कारीगर कोशल्या जीनगर, मोहनी जीनगर व गायत्री जीनगर का कहना है कि सरकार द्वारा इस काम में कुछ मदद मिले या सरकार इसे उद्योग का दर्जा दे, तो कारीगरों को उचित मजदूरी मिलेगी।
मेहनत ज्यादा मजदूरी कम
जरदोजी कारीगरों को दिन में कई घंटो तक काम करना पड़ता है। तीन कारीगर मिलकर एक ओढने को तैयार करने में दो दिन का समय निकालते हैं। तब जाकर 200 रुपए का काम होता है। जिसमें से आधा मटेरियल का पैसा लग जाता है। आधे की ही बचत होती है। मटेरियल का बाजार यहां नहीं होने के कारण खरीदारी करने के लिए जोधपुर जाना पड़ता है। मेहनत ज्यादा और मजदूरी कम होने के कारण अब कारीगरों के होसलो ने भी जवाब देना शुरू कर दिया है। पंद्रह हजार की जनसंख्या वाले बगड़ी नगर में तीन परिवार ही काम कर रहे हैं।
Published on:
28 Nov 2021 09:27 pm
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