
सामान्य महिला बनेंगी जिला प्रमुख, तीसरी बार कमान संभालेगी ‘शक्ति’
पाली. जिला प्रमुखों के आरक्षण की लॉटरी ने शनिवार को प्रदेश के जिला प्रमुखों का वर्ग तय कर दिया। पाली जिले में यह सीट सामान्य महिला के नाम रही। ऐसे में अब पिछले 48 साल के इतिहास में तीसरी बार एक महिला के हाथों में जिला परिषद की कमान होगी। यह सीट तय होने के साथ ही इस पर दावेदारी जताने वालों ने तैयारी शुरू कर दी। सामान्य महिला की सीट होने के कारण अन्य वर्ग के नेता भी अपनी पत्नियों या रिश्तेदार को मैदान में उतारने का मानस मना रहे हैं। प्रदेश की बात करे तो लॉटरी में 16 जिलों में यह पद महिलाओं के लिए आरक्षित रहा है।
सुशीला कुमारी थी पहली जिला प्रमुख
पाली में पहले जिला प्रमुख वर्ष 1961 में बने थे। इसके 34 साल बाद सुशीला कुमारी पहली महिला जिला प्रमुख बनी। इनके बाद वर्ष 2005 से 2010 तक ममता मेघवाल ने बागडोर संभाली थी। अब दस साल बाद एक बार फिर जिला प्रमुख की सीट पर महिला काबिज होंगी।
सज्जनसिंह का सबसे लम्बा कार्यकाल
जिला प्रमुखों में सबसे लम्बा कार्यकाल सज्जनसिंह का रहा। जो 1 मार्च 1965 को जिला प्रमुख बने और 12 वर्ष तक इस पर बने रहे। इसके बाद सी. धर्मीचंद जैन का कार्यकाल 11 जनवरी 1982 से शुरू हुआ। वे नौ वर्ष तक प्रमुख रहे।
सात बार आइएस को बनाया गया प्रशासक
पाली जिले में जिला प्रमुख का निर्वाचन नहीं होने के कारण चार बार आइएएस अधिकारी को प्रशासक के रूप में कार्य सौंपा गया। ऐसा पहली बार वर्ष 1977 में हुआ। उस समय प्रियदर्शी ठाकुर प्रशासक बने। इसके बाद अलग-अलग समय में गजेन्द्र हल्दिया, आनन्द प्रसाद सक्सेना, केएल मीणा, तपेश पंवार, श्रीमत पाण्डेय व मुकेश शर्मा प्रशासक रहे।
अब तक जिला प्रमुख
-हरीशचंद्र माथुर
-शंकरलाल
-फूलचंद बाफणा
-सज्जनसिंह
-सी. धर्मीचंद जैन
-सुशीला कुमारी
-चतराराम सीरवी
-ममता मेघवाल
-खुशवीरसिंह
-पेमाराम सीरवी
Published on:
22 Dec 2019 01:54 am
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