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अकोला बफर जोन में पर्यटन को बढ़ावा देने भोपाल से दिल्ली तक हड़कंप

अकोला बफर जोन में पर्यटन को बढ़ावा देने भोपाल से दिल्ली तक हड़कंप

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Akola buffer zone

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पन्ना। पन्ना टाइगर रिजर्व में पर्यटन को बढ़ावा देने के किए जा रहे प्रयासों से बाघों पर गंभीर संकट की आशंका जताई जा रही है। इसी को लेकर पार्क की फील्ड डायरेक्टर और डिप्टी डायरेक्टर के बीच उपजे मतभेद से दिल्ली और भोपाल तक हड़कंप मचा है।

राज्य सरकार के कर्मचारी की ओर से सीधे केंद्र शासन के विभाग को पत्र लिखने से प्रदेश सरकार भी उलझ गई है। डिप्टी डायरेक्टर की आशंकाओं को गंभीरता से लेते हुए डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने मामले की जांच असिस्टेंट इंस्पेक्टर जनरल (एनटीसीए) रीजनल ऑफिस नागपुर हेमंत कामदी को सौंपी है और मामले में जांच रिपोर्ट ऑफिस मैमोरेंडम जारी होने के 15 दिन के अंदर सौंपने निर्देशत किया है।

गौरतलब है कि पन्ना टाइगर रिजर्व में आने वाले पर्यटकों का लाभ यहां के लोगों को मिले, इसके लिए लोग लंबे समय से मड़ला गेट बंद कर अकोला से नया गेट खोले जाने की मांग करते रहे हैं। पूर्व के महीनों में मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) भोपाल ने पन्ना का दौरा किया था। इसके तहत स्थानीय लोगों की मांग पर उन्होंने अकोला बफर जोन से टूरिज्म प्रारंभ करने को लेकर निर्देश दिए थे। इसको लेकर पार्क प्रबंधन द्वारा तैयारियां की जा रही थीं।

इसी बीच पार्क प्रबंधन ने अपने अध्ययन में पाया कि अकोला से टूरिज्म शुरू होने से बाघों को बड़ा खतरा हो सकता है। पन्ना टाइगर रिजर्व की डिप्टी डायरेक्टर बासु कन्नौजिया ने मामले को लेकर चिंताजनक स्थिति से अवगत कराते हुए एक पत्र प्रदेश मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) भोपाल को लिखा है। यही पत्र एनटीसीए को भी भेजा है।

प्रदेश शासन के अधिकारी द्वारा केंद्र शासन को पत्र लिखे जाने से भोपाल से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मचा हुआ है। मामले में जहां एक ओर प्रदेश की सरकार उलझी हुई नजर आ रही है वहीं दूसरी ओर एनटीसीए ने मामले में जांच खड़ी कर दी है। इससे पूरे मामले को लेकर जहां वाइल्ड लाइफ से जुड़े अधिकारियों में हड़कंप की स्थिति है, वहीं टूरिज्म कारोबार से जुड़े लोग भी खासे परेशान हैं।

अकोला जोन बाघों के लिए अनुकूल नहीं

डिप्टी डायरेक्टर द्वारा लिखे पत्र में बताया गया कि वर्तमान में पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ और शावकों की संख्या 42 है। ये कोर और बफर जोन में स्वच्छंदता पूर्वक विचरण कर रहे हैं। बाघ अनुश्रवण दलों द्वारा पाया गया कि उक्त बाघों में से अधिकांश का मूवमेंट क्षेत्र पन्ना कोर के साथ ही बफर क्षेत्र के अकेाला, अमझिरिया, बांधी उत्तर, बांधी दक्षिण, बराछ और झलाई बीटों में रहता है, जो पन्ना टाइगर रिजर्व के कुल क्षेत्रफल 1695 वर्ग किमी में से उक्त बीटों का कुल क्षेत्र करीब 65.63 किमी है। क्षेत्र बाघों के रहवास के लिए उपयुक्त है। यहां पानी और भोजन उपलब्ध है।

बन सकते हैं बाघ-मानव द्वंद्व के हालात

पन्ना-कटनी-अमानगंज स्टेट हाइवे पन्ना बफर जोन से ही निकला है। यहां वाहनों के दबाव से बाघों के आवास का डिस्टर्बेंस बना है। यदि यहां से पर्यटन जोन बना दिया जाता है तो बाघों के रहवास पर दोहरा विपरीत असर पड़ेगा। इसके परिणाम स्वरूप उक्त क्षेत्र में बहुतायत में पाए जाने वाले बाघ यहां से पलायन करके अन्यत्र या ग्रामीण क्षेत्रों में जा सकते हैं। इससे बाघ और मानव के बीच द्वंद्व के हालात बन सकते हैं।

एनटीसीए ने बैठाई जांच, 15 दिन में रिपोर्ट देने निर्देश

बताया गया कि राज्य शासन के उक्त अधिकारी द्वारा दी गई जानकारी को गंभीरता से लेते हुए एनटीसीए ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। एनटीसीए के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल निशांत वर्मा ने ऑफिस मेमोरेंडम जारी कर असिस्टेंट इंस्पेक्टर जनरल रीजनल ऑफिस नागपुर हेमंद कामदी को जांच अधिकारी तैनात किया है।

नाइट सफारी क्षेत्र में सुरक्षा पर भी चिंता

पत्र में बताया गया कि नाइट सफारी का संचालन गंगऊ अभ्यारण और पन्ना बफर क्षेत्र में ही किया जा रहा है। यहां पर्यटक रात में 9 बजे तक भी जंगल में घूमने का आनंद लेते हैं, जबकि उक्त क्षेत्र में निगरानी टॅावर और वायरलेस स्टेशन स्थापित नहीं हैं। इसके कारण यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। इसलिए वन और वन्य प्राणियों की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने के बाद ही नाइट सफारी की व्यवस्था किया जाना उचित होगा।

उक्त पत्र के बाद से पन्ना टाइगर रिजर्व में अधिकारियों के बीच टशन वाला माहौल तो बना ही है, दिल्ली और भोपाल तक के भी अधिकारी उलझे हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर केएस भदौरिया का कहना है कि पन्ना टाइगर रिजर्व में अभी तक एनटीसीए की जांच टीम नहीं आई है।

मामले में एनटीसीए ने जांच के लिए भी मना कर दिया है। पीसीसीएफ के स्तर पर जब कुछ होगा तब एनटीसीए जांच करेगा। इनके लिखने से कुछ नहीं होता है। वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे के अनुसार फील्ड डायरेक्टर झूठ बोल रहे हैं। एनटीसीए ने जांच के लिए मना नहीं किया है। एनटीसीए के मामले में जांच बैठाने के दस्तावेज मेरे पास हैं। बाघों की सुरक्षा को लेकर गंभीर लापरवाही बरतने पर फील्ड डायरेक्टर को हटाए जाने की मांग करते हैं।